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क्या होते हैं रत्न और इन्हें जागृत करके ही क्यों किया जाता है धारण, पढ़ें यहां

रत्न धारण करके ग्रहों को भी मजबूत किया जा सकता है. (Image- Shutterstock)

रत्न धारण करके ग्रहों को भी मजबूत किया जा सकता है. (Image- Shutterstock)

रत्न शास्त्र में रत्नों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. हर एक राशि और ग्रह का अलग रत्न होता है, जिसका प्रभाव भ ...अधिक पढ़ें

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हाइलाइट्स

रत्न एक तरह के पत्थर होते हैं.
रत्न किसी न किसी रासायनिक अनुपातिक से मिलकर बने होते हैं.

Gemstone : ज्योतिष शास्त्र में और रत्न ने शास्त्र में ग्रह नक्षत्रों के अनुसार, रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है. ये सभी रत्न और उपरत्न एक तरह के पत्थर होते हैं, जिन्हें कुंडली में कमजोर ग्रहों को मजबूत करने के लिए धारण किए जाते हैं. इन्हें बिना जागृत किए धारण नहीं किया जाता. बिना जागृत किए रन्त धारण करने से उसका कोई फल प्राप्त नहीं होता. आज हमें भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कि रत्न क्या होते हैं और रत्न को किस तरह जागृत किया जाता है.

रत्न क्या है

रत्न एक तरह के पत्थर होते हैं, जिन्हें धारण करके कई सारी समस्याएं, बीमारियां और आर्थिक तंगी से छुटकारा पाया जा सकता है. यहां तक कि इन्हें धारण करके ग्रहों को भी मजबूत किया जा सकता है. कुछ रत्न रंग-बिरंगे होते हैं, तो कुछ सादे होते हैं, कुछ विरल घनत्व के होते हैं, कुछ सघन घनत्व के होते हैं, कुछ रत्न पारदर्शी होते हैं, वहीं कुछ रत्न अपारदर्शी होते हैं. यह सभी रत्न किसी न किसी रासायनिक अनुपातिक से मिलकर बने होते हैं.

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हर रत्न की अनेक प्रजातियां

महर्षि पाराशर और वराह मिहिर ने अपने ग्रंथों में इस बात का संक्षिप्त में वर्णन किया है कि हर रत्न की अनेक प्रजातियां होती है. इसमें उन्होंने इन रत्नों की संख्या के बारे में विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी है.

जैसे- मूंगा की 62 प्रजातियां है, लेकिन 7 ही उपलब्ध हैं. वहीं नीलम की 400 से ज्यादा प्रजातियों के बारे में पढ़ने को मिलता है परंतु 65 ही मौजूद हैं. हीरे की 39 प्रजातियां और पुखराज की 24 प्रजातियां हैं. इसी तरह हर एक रत्न की अनेक प्रजातियां हैं.

रत्न को क्यों जागृत करना चाहिए?

यदि रत्न अपने मूल स्वभाव में हैं और उसे बिना जागृत किए ही धारण किया जाए, तो उसका कोई फल प्राप्त नहीं होता, इसलिए रत्न को जागृत करना आवश्यक है.

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रत्न को जागृत करने की विधि

उदाहरण के लिए पुखराज रत्न लेते हैं. पौधों के पत्ते के बारे में बता रहे हैं जैसे मकोय, सिसवन, दिथोहरी, अकवना, तुलसी और पलोर के पत्तों को पीसकर इन सभी के वजन के 3 गुना जितना पानी मिलाकर उबालें है. जब इसका लगभग सारा पानी सूख जाए तो इसे नीचे उतार कर ठंडा होने दें. इसके तली में थोड़ा सा पानी एकत्र हो जाएगा. इस पानी को गाय के चार गुना शुद्ध दूध में मिला दीजिए. इसमें पुखराज डाल दीजिए. किसी चम्मच की सहायता से हर 3 मिनट में उस पुखराज को बाहर निकालिए और फूंक मारकर उसे सुखाकर वापस उसी घोल में डाल दीजिए. यह प्रक्रिया 8 से 10 बार दोहराएं. इससे पुखराज रत्न जागृत हो जाएगा. हर रत्न को जागृत करने की अलग विधि है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion

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