लंबे समय तक उर्वशी के साथ भोग करने के बाद इन्हें वैराग्य हुआ था. image-canva
Urvashi and king pururavas story: पौराणिक कथाओं में राजा पुरुरवा की कथा काफी प्रसिद्ध है. इनके गुण देखकर स्वर्ग की सर्वश्रेष्ठ अप्सरा उर्वशी भी उन पर मोहित हो गई थी. लंबे समय तक उर्वशी के साथ भोग के बाद उन्होंने योग का मार्ग अपनाया था. जिसके बाद उन्हें भगवान की प्राप्ति हुई थी. आइए आज आपको उन्ही की कथा बताते हैं.
राजा पुरुरवा व उर्वशी की प्रेम कथा
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार पौराणिक कथाओं में महाराज पुरुरवा को बुध का पुत्र बताया गया हैं. माता ईला के गर्भ से पैदा होने पर ये ऐल भी कहलाये. एक बार पृथ्वी पर भ्रमण करने आई स्वर्ग की सर्वश्रेष्ठ अप्सरा उर्वशी को राक्षस ने घेर लिया तो उन्होंने उसकी रक्षा की. उर्वशी ने देवर्षि नारद से भी पुरुरवा के रूप, गुण, शील व वीरता की कथा सुनी थी. ऐसे में वह पुरुरवा पर मोहित हो गई. इंद्र की सभा में पुरुरवा को याद करने पर देवराज इंद्र ने उसे मृत्यलोक यानी पृथ्वी लोक में जाने का शाप दे दिया था. ऐसे में वह पुरुरवा के पास ही आकर रहने लगी.
उर्वशी का लौटने पर हुआ ज्ञान
पंडित जोशी के अनुसार शाप का समय खत्म होने पर इंद्र की चाल से देवांगना उर्वशी राजा पुरुरवा को छोड़कर फिर स्वर्ग चली गई. उसके चले जाने पर पहले तो पुरुरवा बहुत दुखी हुए. फिर जब उनका दुख धीरे— धीरे दूर हुआ तो उन्हें ज्ञान प्राप्ति के साथ वैराग्य हो गया. उन्होंने मन में सोचा कि इंद्रियों का विषयों से संयोग होने पर ही मन में विकार आता है. जिसका परिणाम ही दुख होता है. जो लोग विषयों से दूर रहते हैं उनका मन अपने आप निश्चल होकर शांत हो जाता है. इसलिए विषय पदार्थों का संग कभी नहीं करना चाहिए. इस सोच के साथ वे भगवान के ध्यान में लीन हो परम पद को प्राप्त हुए.
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