किसी व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा यह कुंडली में बैठे ग्रहों पर निर्भर होता है,
Astrology : आज की बढ़ती हुई प्रतियोगिता के दौर में हर व्यक्ति चाहता है कि उसे उसकी मेहनत का अच्छा फल मिले. समाज में उसका नाम-मान हो, उसे और उसके परिवार को कभी भी किसी चीज की कमी ना हो. उसके पास भरपूर धन दौलत और शोहरत हो. इन सभी चीजों के लिए व्यक्ति का भाग्य प्रबल होना बहुत जरूरी है. सिर्फ सोचने या चाहने भर से कुछ नहीं होता.
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो काफी पढ़े लिखे होने के बाद भी अपने पूरे जीवन में संघर्ष करते रहते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती और कुछ लोग कम पढ़े लिखे होने के बाद भी थोड़ी सी कोशिशों से ही अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर लेते हैं. आइए जानते हैं ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति की कुंडली का नवा घर या नवा स्थान ही भाग्य स्थान कहलाता है. किसी व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा यह इस घर में बैठे ग्रहों पर निर्भर होता है या फिर जो ग्रह इस घर को देखता है उसके अनुसार ही व्यक्ति के भाग्य को जो प्राप्त होता है. यदि इस घर के स्वामी ग्रह किसी अन्य घर में बैठा है तो इससे भी व्यक्ति का भाग्य प्रभावित होता है. नवे घर में बैठे हुए ग्रह बताते हैं कि हमारे जीवन में सुख और धन कब आएगा.
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-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली के नवें घर या भाग्य स्थान पर सूर्य होते हैं, तो ऐसा व्यक्ति स्वाभिमानी और बहुत महत्वकांक्षी माना जाता है. ऐसे व्यक्ति का भाग्य उदय 22वें वर्ष में होना तय होता है. ऐसे लोग राजनीति और सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती है.
-यदि किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली के नवे घर या भाग्य स्थान में चंद्रमा विराजमान हैं तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 16वें वर्ष में ही हो जाता है. ऐसे व्यक्ति दयालु प्रवृत्ति के होते हैं. इनका धार्मिक कारणों से काफी जुड़ाव रहता है और यह अपने जन्म स्थान से दूर जाकर तरक्की करते हैं.
-यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के नवें घर या भाग्य स्थान पर मंगल विराजमान होते हैं तो ऐसा व्यक्ति भूमि से संबंधित कार्यों में सफलता पाता है. ऐसे व्यक्ति अपने जन्म स्थान पर ही काफी अच्छी तरक्की प्राप्त करते हैं. इनका भाग्योदय 20वें वर्ष में होना माना जाता है. कई बार यह लोग धन अर्जित करने के लिए गलत तरीकों का भी उपयोग करते हैं.
-किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह का नवें स्थान या भाग्य स्थान पर होना दर्शाता है कि इस व्यक्ति का भाग्य उदय 32वें वर्ष में होगा. ऐसे लोग कल्पनाशील और बहुत अच्छे लेखक माने जाते हैं. ऐसे लोगों को ज्योतिष शास्त्र, गणित और पर्यटन के क्षेत्र में काफी लाभ मिल सकता है और यह अपने जीवन में प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं.
-गुरु ग्रह नवें स्थान या फिर भाग्य स्थान का स्वामी ग्रह माना जाता है. यदि किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली में गुरु इस स्थान में है, तो यह सबसे उत्तम होता है. ऐसे व्यक्ति का भाग्य उदय 24 वर्ष में होना तय होता है और 55 से लेकर जीवन काल तक इन्हें भाग्य का साथ मिलता है. धन संपत्ति के साथ इन्हें अपार मान सम्मान भी प्राप्त होता है.
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-यदि किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली के नवम भाव में शनि ग्रह होते हैं, तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 36वें वर्ष में होना तय होता है. ऐसे व्यक्ति धीमी गति से तरक्की करते हैं. ऐसे व्यक्तियों का रुझान, नियम कानून और प्राचीन मान्यताओं की तरफ ज्यादा होता है. इसके साथ ही राहु या केतु ग्रह का नवें स्थान में होना बताता है कि व्यक्ति का भाग्योदय 42 वर्ष में होगा.
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