जब कृष्णावतार में ब्रज में प्रकट हुए सभी देवी-देवता. Image-canva
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान श्रीहरि के अनेकों अवतार हुए, जिन्होंने सदा अपने भक्तों की रक्षा हेतु अवतार लिया और प्राणी मात्र का उद्धार किया. सभी अवतारों के पृथक पृथक रूप, गुण, हेतु, कथा आदि है परंतु श्री कृष्णावतार को श्रीहरि विष्णु का पूर्णावतार कहा जाता है क्योंकि वह सभी 64 कलाओं से युक्त थे. उनकी लीलाएं सम्पूर्ण संसार में फैली है अथवा समस्त भक्तों के मन को लालायित करती हैं. कृष्णावतार सबसे मनमोहक होने के साथ साथ सबसे शक्तिशाली अवतार भू माने जाते हैं. परंतु क्या आप जानते हैं कि कृष्णावतार में केवल कृष्ण ही दुर्लभ नहीं थे अपितु सभी देवी-देवताओं ने कन्हैया के साथ अवतार लेकर श्री कृष्ण लीला को सफल बनाया.
श्रीकृष्णोपनिषत के अनुसार जब भगवान ने देवताओं को पृथ्वी पर जन्म लेने का आदेश दिया तो उन्होंने भगवान से विनती की कि उन्हें किसी ऐसे रूप में अवतरित करें जिससे भगवान का साथ एवं उनके श्री अंगों को स्पर्श करने की उनकी जो मनोकामना है वह पूर्ण हो सके, तभी वह धरती पर जन्म लेंगे. जिसपर भगवान ने मुस्कुराकर उन्हें आश्वासन दिया कि जो वे चाहते हैं वही होगा, उनकी यह इच्छा जरूर पूर्ण होगी. तो आइए जानते है की ब्रज लीला में कौनसे देवता ने लिया कौनसा रूप…?
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•स्वयं भगवान श्रीहरि ही नंदबाबा के रूप में अवतरित हुए.
•मुक्ति महारानी ने मैय्या यशोदा का रूप लिया.
•श्रीहरि की माया माता देवकी एवं वेद भगवान वासुदेव जी के रूप में प्रकट हुए.
•दया रानी ने माता रोहिणी का रूप लिया एवं शेषनाग बलराम के रूप में अवतरित हुए.
•वेदो की ऋचाएं एवं राम अवतार में मिले सभी ऋषि-मुनियो ने गोपी बनकर जन्म लिया एवं भगवान का परमानंददायक आलिंगन प्राप्त किया.
•वैकुंठ ने गोकुल एवं वहां के तपस्वी महात्माओं ने वृक्ष का रूप धारण किया.
•गोप रूप में स्वय भगवान विष्णु ही विराजमान हुए.
•ब्रह्मा जी ने कन्हैया की लकुटी का रूप लिया.
•भक्ति देवी वृन्दा रूप में प्रकट हुई एवं देवर्षि नारद श्रीदामा नामक सखा बने
•शम श्रीकृष्ण के परममित्र सुदामा बने एवं सत्य ने अक्रूर जी का रूप धारण किया.
•माता पृथ्वी ही पटराणी सत्यभामा के रूप में और वेदों की ऋचाएं बाकी पटरानियों के रूप में अवतरित हुई.
•भगवान शिव ने मधुर तान वाली कन्हैया की बंसी का रूप लिया और हमेशा कन्हैया के अधरो पे शोभायमान रहे.
•देवराज इंद्र ने भगवान के पीताम्बर के रूप में जन्म लिया.
•महर्षि कश्यप और माता अदिति नंदबाबा के घर में उस ऊखल एवं रस्सी के रूप में प्रकट हुए जिससे दामोदर लीला के दौरान मैया यशोदा ने कन्हैया को बांध दिया था.
•क्षीरसागर को गोपियों के घर में दूध दही के रूप में अवतरित किया गया जिसमें सखाओं के सहित नहाकर एवं जिसे खाकर कन्हैया ने अपना बचपन गुजारा.
•द्वारपाल जय ने कंस, लोभ क्रोध ने दैत्य, द्वेष ने चारुण, मत्सर ने मुष्टिक, दर्प ने कुवलयापीड़ हाथी, गर्व ने बकासुर राक्षस एवं महाव्याधि ने अघासुर का रूप धारण किया और कन्हैया के हाथो मुक्ति पाई.
•श्रीहरि के वाहन गरुण भाण्डीर वट बने और धर्म चंवर के रूप में प्रकट हुए.
•महेश्वर शंख, वायुदेव वैजयन्ती माला, और निम्बार्क भगवान सुदर्शन चक्र रूप धारण कर लीला के पात्र बने.
अथवा इस प्रकार सभी देवी, देवताओं और निज पार्षदों को भगवान ने अपनी कृष्णावतार की अद्धभुत लीला का हिस्सा बना उन्हें कृतार्थ किया…
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