भगवान श्रीकृष्ण के जैसी पौंड्रक के बारे में एक बात और थी- पौंड्रक के पिता का नाम भी वसुदेव था.
नई दिल्ली: पौंड्रक कौन था? आपने यदि धर्मग्रंथ पढ़े होंगे तो समझ गए होंगे कि किसके बारे में बात हो रही है. भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को लेकर यूं तो लोगों की नई पीढ़ी भी जिज्ञासु रही है. किंतु, धर्मग्रंथों में श्रीकृष्ण के समय के ऐसे अनेक राक्षस-राजाओं का वर्णन है, जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे. आज पौंड्रक के बारे में यहां हम आपको बताएंगे. पौंड्रक, वो राजा जो खुद को असली कृष्ण बताता था.
वह रूषदेश (मीरजापुर) का राजा था, कुछ पुरालेखों में पौंड्रक के काशी/चुनार देश/करुपदेश या पुंड्र देश का राजा उल्लेख भी मिलता है. कौशिकी नदी के तट पर किरात, वंग एवं पुंड्र देशों पर उसका स्वामित्व था. पौंड्रक मूर्ख एवं अविचारी था, जो अनीतियों पर चलता था. पौंड्रक कहता था, ‘कृष्ण तो मैं हूं’. उसने काठ के 2 हाथ जुड़वाकर अपनी कुल 4 भुजाएं कर ली थीं.
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इसके अलावा उसने अपना नकली चक्र, मोर मुकुट, शंख, तलवार, कौस्तुभ मणि तक बना लिए थे. वहीं, पौंड्रक के सलाहकार-मंत्रियों आदि उसके कान भरते रहते थे, उसे कहते थे, ‘आप भगवान विष्णु का अवतार हैं. मथुरा वाला कृष्ण तो काला है, ग्वाला है. तुम समस्त पृथ्वी पर शासन करो.’
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भगवान श्रीकृष्ण के जैसी पौंड्रक के बारे में एक बात और थी- पौंड्रक के पिता का नाम भी वसुदेव था, इसलिए भी पौंड्रक खुद को वासुदेव कृष्ण मानता था. उसने भगवान श्रीकृष्ण को नकली कहकर, उन्हें बुरा-भला बोलना शुरू कर दिया. उनका उपहास उड़ाता था. यहां तक कि उसने द्वारिका में दूत भी भेज दिया और वहां सभा में धमकी दिलवाई.
उसकी धमकी पर पहले तो श्रीकृष्ण ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन कुछ समय बाद जब पौंड्रक की हरकतें बढ़ने लगीं तो श्रीकृष्ण ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली. तब पीताम्बर पहने पौंड्रक 2 अक्षौहिणी सेना लेकर युद्धभूमि में आया. उसने एक च्रक भी धारण किया, फिर श्रीकृष्ण को ललकारा. तब श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र छोड़ा और पौंड्रक को सेना समेत मार गिराया.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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