उद्धव जी भगवान श्रीकृष्ण के चाचा देवनाग के पुत्र, मित्र और परम भक्त थे. image-canva
श्रीकृष्ण लीला में उद्धव चरित्र बहुत मार्मिक प्रसंग है. उद्धव गुरु बृहस्पति के शिष्य व परम विद्धान थे, जिन्हें ज्ञान के साथ प्रेम व भक्ति का मर्म समझाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में भेजा था. जहां गोपियों का प्रेम देखकर वह अपना ज्ञान भूल गए थे. आज हम आपको उन्हीं उद्धव की कथा गोपी प्रसंग के साथ बता रहे हैं.
उद्धवजी की कथा
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, उद्धव श्रीकृष्ण के चाचा देवनाग के पुत्र, मित्र और परम भक्त थे. उन्होंने गुरु बृहस्पति जी से ज्ञान प्राप्त किया था. वे तत्वज्ञान के प्रकांड पंडित थे. कंस के वध के बाद जब श्रीकृष्ण मथुरा में थे, तब एक बार उन्होंने उद्धवजी को प्रेम की माधुरी का अनुभव कराने का विचार किया.
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उन्होंने उद्धवजी से कहा कि ब्रज की गोपियां उनके वियोग में दुखी हैं, इसलिए तुम जाकर उन्हें अपने ब्रह्मज्ञान से समझाओ. अपने स्वामी की आज्ञा से उद्धव ब्रज में गए. यहां नंद व यशोदा का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम को अनुभव करने के साथ वे गोपियों से भी मिले.
उन्होंने एकांत में उन्हें अपना ज्ञान संदेश सुनाया. उन्होंने कहा कि भगवान वासुदेव किसी एक जगह नहीं हैं, बल्कि निराकार रूप में सब जगह हैं. भगवद् बुद्धि रखते हुए उन्हें हर जगह देखो. पर खूब समझाने पर भी गोपियां नहीं मानीं. श्रीकृष्ण की याद में उनके आंसू बहते ही रहे.
गोपियां बोलीं कि उद्धवजी आपका गूढ़ ज्ञान हमारे काम का नहीं है. हम तो उन श्यामसुंदर की भोली- भाली सूरत पर ही मुग्ध हैं, जो कभी माखन चुराता तो कभी गाय चराता था. गोपियों संग अटखेलियां तो कभी उनके साथ रास रचाता था. उनके दर्शन के अलावा हमें कोई ज्ञान या पदार्थ नहीं चाहिए. जब ऐसा अलौकिक प्रेम को देखा तो उद्धवजी भी ज्ञान देना भूल भावों से भर गए और गोपियों को प्रणाम कर वापस मथुरा लौट आए.
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श्रीकृष्ण ने दिया था गीता का उपदेश
पंडित जोशी के अनुसार श्रीकृष्ण ने उद्धव को भी गीता का उपदेश दिया था. जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीला का संवरण करने लगे तो उद्धव भी वहां पहुंचे थे. तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश कर बद्रीकाश्रम जाने का निर्देश दिया था. यही गीता उद्धव गीता के नाम से जानी जाती है. इस तरह उद्धव परम भागवत और भगवान श्रीकृष्ण के अभिन्न विग्रह थे.
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