लास्ट चांस में UPSC CSE न दे पाने वाले कैंडिडेट्स को मिलेगा एक और मौका, जानें

शीर्ष अदालत ने केन्द्र से कहा था कि वह उन अभ्यर्थियों को एक अवसर और प्रदान करने पर विचार करे.
दायर याचिका पर केन्द्र को जवाब देने का निर्देश दिया. इस मामले को अगले साल जनवरी के लिये स्थगित कर दिया.
- News18Hindi
- Last Updated: December 19, 2020, 2:30 PM IST
नई दिल्ली. केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि इस साल कोविड महामारी से उत्पन्न स्थिति की वजह से अपने अंतिम प्रयास में यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में शामिल नहीं हो सके अभ्यर्थियों को एक और अवसर प्रदान करने का मुद्दा विचाराधीन है.
यूपीएससी की परीक्षा में अपने अंतिम अवसर से वंचित रहे गये अभ्यर्थी
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ को यह जानकारी केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दी. पीठ कोविड-19 महामारी की वजह से यूपीएससी की परीक्षा में अपने अंतिम अवसर से वंचित रहे गये अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘यह विषय सरकार के विचाराधीन है.’’
चार अक्टूबर को हुई संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षाइससे पहले, 30 सितंबर को न्यायालय ने कोविड-19 महामारी और देश के कई राज्यों में बाढ़ से उत्पन्न गंभीर स्थिति के मद्देनजर चार अक्टूबर को होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2020 को स्थगित करने से इंकार कर दिया था.
उन अभ्यर्थियों को एक अवसर और प्रदान करने पर विचार
हालांकि, शीर्ष अदालत ने केन्द्र से कहा था कि वह उन अभ्यर्थियों को एक अवसर और प्रदान करने पर विचार करे जो कोविड महामारी की वजह से परीक्षा के लिये अपने अंतिम प्रयास में उपस्थित नहीं हो सकते. न्यायालय को उस समय बताया गया था कि इस बारे में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ही औपचारित निर्णय ले सकता है.
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केन्द्र को जवाब देने का निर्देश
इस बीच, पीठ ने रचना सिंह की अलग से दायर याचिका पर केन्द्र को जवाब देने का निर्देश दिया और मामला सरकार के विचाराधीन होने संबंधी सालिसीटर जनरल के बयान के बाद इस मामले को अगले साल जनवरी के लिये स्थगित कर दिया.
यूपीएससी की परीक्षा में अपने अंतिम अवसर से वंचित रहे गये अभ्यर्थी
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ को यह जानकारी केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दी. पीठ कोविड-19 महामारी की वजह से यूपीएससी की परीक्षा में अपने अंतिम अवसर से वंचित रहे गये अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘यह विषय सरकार के विचाराधीन है.’’
चार अक्टूबर को हुई संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षाइससे पहले, 30 सितंबर को न्यायालय ने कोविड-19 महामारी और देश के कई राज्यों में बाढ़ से उत्पन्न गंभीर स्थिति के मद्देनजर चार अक्टूबर को होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, 2020 को स्थगित करने से इंकार कर दिया था.
उन अभ्यर्थियों को एक अवसर और प्रदान करने पर विचार
हालांकि, शीर्ष अदालत ने केन्द्र से कहा था कि वह उन अभ्यर्थियों को एक अवसर और प्रदान करने पर विचार करे जो कोविड महामारी की वजह से परीक्षा के लिये अपने अंतिम प्रयास में उपस्थित नहीं हो सकते. न्यायालय को उस समय बताया गया था कि इस बारे में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ही औपचारित निर्णय ले सकता है.
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केन्द्र को जवाब देने का निर्देश
इस बीच, पीठ ने रचना सिंह की अलग से दायर याचिका पर केन्द्र को जवाब देने का निर्देश दिया और मामला सरकार के विचाराधीन होने संबंधी सालिसीटर जनरल के बयान के बाद इस मामले को अगले साल जनवरी के लिये स्थगित कर दिया.
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