Delhi Schools Reopen: स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने राष्ट्रीय राजधानी में लंबे समय तक बंद रहने के बाद स्कूलों को फिर से खोलने के फैसले का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि आगे पठन-पाठन में कोई बाधा नहीं आएगी जबकि अभिभावकों का एक वर्ग जूनियर कक्षाओं के लिए स्कूल फिर से खुलने को लेकर संशय में है.
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने शुक्रवार को सात फरवरी से कक्षा 9वीं-12वीं के लिए स्कूलों के साथ-साथ उच्च शैक्षणिक संस्थानों और कोचिंग सेंटर को फिर से खोलने का फैसला किया. इसके साथ ही, 14 फरवरी से नर्सरी से 8वीं तक की कक्षाएं फिर से शुरू करने का भी निर्णय किया गया.
नर्सरी से 8वीं तक के लिए 14 फरवरी से स्कूल खोलने की घोषणा
नेशनल प्रोग्रेशिव स्कूल कॉन्फ्रेंस (एनपीएससी) की अध्यक्ष सुधा आचार्य ने कहा, ‘कक्षा 9वीं से 12वीं के लिए सोमवार से और कक्षा नर्सरी से 8वीं तक के लिए 14 फरवरी से स्कूल खोलने की घोषणा से छात्र उत्साहित हैं. हम डीडीएमए के निर्णय का स्वागत करते हैं. स्कूल से जुड़े सभी हितधारकों इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार बच्चे अपने दूसरे घर वापस आ जाएंगे. हम उम्मीद करते हैं कि आगे पठन-पाठन में कोई व्यवधान नहीं होगा.’ दिल्ली के 122 स्कूल इस संगठन के सदस्य हैं.
‘एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स’ ने कहा कि कक्षा 9वीं-12 वीं के लिए स्कूलों को फिर से खोलना स्वागत योग्य है, लेकिन यह निर्णय निराशाजनक भी है. संगठन ने कहा, ‘टीकाकरण और अन्य पहलुओं को परे रखते हुए स्कूलों को सभी वर्गों और सभी कक्षाओं के लिए फिर से खोल दिया जाना चाहिए था.’
तीसरी लहर के मद्देनजर 28 दिसंबर से स्कूल फिर से बंद
ओमीक्रोन स्वरूप के कारण तीसरी लहर के मद्देनजर पिछले साल 28 दिसंबर को स्कूलों को फिर से बंद कर दिया गया था. इससे पहले शहर के स्कूलों को कुछ समय के लिए खोल दिया गया था.
एमआरजी स्कूल, रोहिणी की प्रधानाध्यापक अंशु मित्तल ने कहा, ‘हम छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से खोलने के कदम का स्वागत करते हैं क्योंकि अब 15-18 आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान चल रहा है. उम्मीद है कि इस आयु वर्ग के अधिकतर छात्रों ने पहली खुराक ले ली होगी.’
द श्री राम वंडर इयर्स, रोहिणी की प्रधानाध्यापक शुभी सोनी ने कहा कि स्कूलों को लंबे समय तक बंद रखना कोई समाधान नहीं है.
अलग-अलग तारीखों से स्कूल खोलने के पीछे तर्क
वहीं, ऑल इंडिया पैरेंट एसोसिएशन (एआईपीए) के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने विभिन्न कक्षाओं के छात्रों के लिए अलग-अलग तारीखों से स्कूल खोलने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘‘यह शिक्षा के लिए छात्रों के अधिकारों की अनदेखी करने वाला एक नौकरशाही फैसला है. छात्रों की सभी कक्षाओं के लिए स्कूलों को 7 फरवरी से फिर से खोल दिया जाना चाहिए था. निर्णय लेते समय अधिकारियों को यह ध्यान रखना चाहिए था कि दिल्ली स्कूल शिक्षा कानून 1973 एक शैक्षणिक वर्ष में स्कूल में न्यूनतम 200 शिक्षण दिवस अनिवार्य करता है.’’
दिल्ली पैरेंट एसोसिएशन (डीपीए) की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा, ‘‘हम 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए स्कूलों को फिर से खोलने के हालिया आदेश की सराहना करते हैं क्योंकि इस आयु वर्ग के अधिकतर बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है और उन्हें बोर्ड की तैयारी भी करनी होती है. यह भी अच्छा है कि सरकार ने कॉलेजों और संस्थानों को भी खोलने की अनुमति दे दी है.’’
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