Dr APJ Abdul Kalam Girls Library: उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में रहने वाली 25 वर्षीय आरिफा की इच्छा प्रोफेसर बनने की है जिसके लिए वह यूजीसी नेट की तैयारी कर रही हैं. इलाके में कोई पुस्तकालय नहीं होने की वजह से उन्हें पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर (नॉर्थ कैंपस) जाना पड़ता था. कोविड-19 के कारण उनकी तैयारी में काफी अड़चने आई हैं, लेकिन स्थानीय पार्षद ने इलाके में ही लड़कियों के लिए एक पुस्तकालय खोल दिया है जिससे उन्हें खासी आसानी हुई है.
‘डॉ एपीजे अब्दुल कलाम गर्ल्स लाइब्रेरी’
सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मुस्लिम बहुल चौहान बांगर वार्ड से कांग्रेस के पार्षद चौधरी जुबैर अहमद ने इलाके में अपने खर्च से एक निजी स्कूल में लड़कियों के लिए ‘डॉ एपीजे अब्दुल कलाम गर्ल्स लाइब्रेरी’ खोली है, जो कि फ्री है. यहां विभिन्न विषयों की कई किताबें हैं. पार्षद का दावा है कि इलाके में इस तरह का पुस्तकालय पहले नहीं था और उन्होंने पिछले साल हुए नगर निगम के उपचुनाव के दौरान स्थानीय लोगों से यहां खासकर लड़कियों के लिए एक पुस्तकालय बनाने का वादा किया था, जिसे उन्होंने पूरा कर दिया है.
संबंधित विषयों की किताबों का इंतज़ाम
अहमद ने ‘न्यूज एजेंसी’ को बताया, “अभी पुस्तकालय खुले कुछ ही दिन हुए हैं, बावजूद इसके इलाके की 200-250 लड़कियां पढ़ने आ चुकी हैं. पुस्तकालय में स्कूल जाने वाली लड़कियों के अलावा, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं – जैसे यूजीसी नेट, नीट, लोकसेवा आदि- की तैयारी कर रही लड़कियां शामिल हैं.” उन्होंने कहा, “हमारी तवज्जो इसी बात पर है कि पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली लड़कियां ज्यादा आएं. इसके लिए हम संबंधित विषयों की किताबों का इंतज़ाम कर रहे हैं.”
लड़कियों को पढ़ाई के लिए मुनासिब माहौल
सिर्फ लड़कियों के लिए ही पुस्तकालय खोलने के सवाल पर अहमद ने कहा, “मेरी मां आठवीं कक्षा तक पढ़ी हुई हैं, लेकिन उन्होंने मुझे पढ़ाया. इसलिए लड़का पढ़ता है तो घर चलता है, और लड़की पढ़ती है, तो नस्ल पढ़ती है. इसलिए लड़की का पढ़ना ज्यादा जरूरी है. दूसरे, जब मैं पिछले साल उपचुनाव के दौरान प्रचार कर रहा था तो मैंने देखा कि इलाके में छोटे घर हैं और जगह की तंगी की वजह से हमारी बच्चियां ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाती थी. इसलिए हमने यहां एक पुस्तकालय खोला ताकि लड़कियों को पढ़ाई के लिए मुनासिब माहौल मिले और वे भी आगे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.”
इलाके में कोई पुस्तकालय नहीं
राजनीतिक विज्ञान में एमए कर चुकी आरिफा ने बताया कि उनके पिता 10 साल पहले गुजर गए थे और वह स्कूली बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकालती हैं और उनकी मां मेहनत मज़दूरी करती हैं. उन्होंने ‘न्यूज एजेंसी’ से कहा, “उनका सपना प्रोफेसर बनने का है. वह इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) – राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) की तैयारी कर रही हैं. इलाके में कोई पुस्तकालय नहीं होने की वजह से उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस स्थित पुस्तकालय जाना पड़ता था. एक तो वहां से अंधेरा होने से पहले निकलना पड़ता था और दूसरे आने-जाने में खासा वक्त लगता था. वहीं कोविड के कारण पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. ऐसे में इलाके में ही यह पुस्तकालय खुलने से मुझे काफी सहूलियत हुई है.”
जो किताबें चाहिए, पुस्तकालय संचालक को बताएं
वहीं शिक्षा में डिप्लोमा कर चुकी 23 वर्षीय अरीबा ने बताया कि वह संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा की तैयारी में लगी हुई हैं. उन्होंने कहा कि अबतक वह ‘यूट्यब’ के जरिए प्रतिष्ठित परीक्षा में सफल होने की तैयारी कर रही थीं और सोशल मीडिया के माध्यम से इस पुस्तकालय के बारे में जानकारी मिली तो यहां आईं. उनके मुताबिक, हालांकि यहां सारी किताबे नहीं हैं और जो किताबें उन्हें चाहिए, उनके बारे में पुस्तकालय के संचालक को बता दिया है.
फिलहाल पुस्तकालय में करीब 300 किताबें
फार्मासिस्ट बनने की तैयारी कर रही राबिया का भी यही कहना है कि उनके विषय से संबंधित अधिक किताबें पुस्तकालय में नहीं है. इसपर अहमद ने कहा कि वह यहां आने वाली लड़कियों से उन किताबों की जानकारी ले रहे हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है और जल्द ही ये सब किताबें यहां मंगवा दी जाएंगी. उन्होंने यह भी बताया कि इसकी क्षमता 50-55 लड़कियों की है और फिलहाल पुस्तकालय में इतिहास, राजनीति, भूगोल, सामान्य ज्ञान समेत अन्य विषयों की करीब 300 किताबें हैं.
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