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UPSC Preparation: इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच जरूरी क्यों? जानिए पूर्व सिविल सर्वेंट से

UPSC Preparation: इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच जरूरी क्यों?

UPSC Preparation: इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच जरूरी क्यों?

UPSC Preparation: ‘इन्टरडिसीप्लीनरी एप्रोच‘ का शाब्दिक अर्थ है - विभिन्न अनुशासनों के बीच आंतरीक संबंध स्थापित करके चलन ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. UPSC Preparation: इस ब्लॉग में अंगे्रजी के ‘इन्टरडिसिप्लीनरी एप्रोच‘ शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है. चूंकि मुझे इस भाव को सटीक रूप से व्यक्त करने वाला हिन्दी का कोई शब्द नहीं सूझा, इसलिए ऐसा करना पड़ा। खैर, ‘इन्टरडिसीप्लीनरी एप्रोच‘ का शाब्दिक अर्थ है – विभिन्न अनुशासनों के बीच आंतरीक संबंध स्थापित करके चलने की रणनीति. यहां मैं इस रणनीति का उपयोग सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने के संबंध में कर रहा हूं. यहां आप ‘अनुशासन‘ के स्थान पर यदि ‘विषय‘ शब्द को रख देंगे, तो मेरे मंतव्य को समझने में सुविधा हो जायेगी.

सिविल सर्विस परीक्षा; जो देश की ही नहीं, बल्कि दुनिया की कठिन परीक्षाओं (प्रतियोगिताओं) में से एक मानी जाती है, इसके लिए आपको दो-चार नहीं, बल्कि कई-कई विषय पढ़ने पड़ते हैं. इसमें आर्टस और कामर्स से लेकर साइंस तक के विषय शामिल हैं. हां, यह जरूर है कि आपके इस अध्ययन को आगे ‘सामान्य‘ शब्द लगाकर उसके स्तर को काफी कम कर दिया गया है. विज्ञान, जो एक कठिन शाखा है, कुल पूछे गये प्रश्नों में इसकी संख्या भी काफी कम रखी गई है.

तो फिर यह परीक्षा कठिन क्यों है? इसके सबसे मुख्य दो कारण हैं. पहला है, इन विषयों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की जटिलता तथा दूसरा है – विषयों की समसामयिकता, यानी कि उनके बारे में आज तक की जानकारी का होना. जहां तक समसामयिकता (करेन्ट अफेयर्स) का सवाल है, इसे अखबारों-समाचार पत्रों से तैयार किया जाता है. लेकिन जब प्रश्नों के उत्तर देने तथा उन उत्तरों में करेन्ट अफेयर्स को शामिल करने की बात आती है, तो परीक्षार्थी को चक्कर आने लगता है. वह स्वयं को एक विचित्र किस्म के भंवर में फंसा हुआ पाता है. उसे यह तो लगता है कि जिस चैप्टर से यह प्रश्न आया है, उस अध्याय को उसने पढ़ा है. ठीक-ठीक तरीके से ही पढ़ा है. फिर भी उसे अच्छे से यह समझ में नहीं आ रहा है कि दरअसल, पूछा क्या गया है. जब यह समझ में आ जाता है, तब यह निश्चित कर पाना मुश्किल लगता है कि इस प्रश्न के उत्तर में लिखा क्या-क्या जाये.

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वस्तुतः यही सिविल सर्विसेस एग्जाम की सबसे बड़ी चुनौती है, मुख्य परीक्षा की ही नहीं बल्कि प्रारम्भिक परीक्षा की भी. तो फिर इसका हल क्या है? इसका एकमात्र जो हल है, वह है, डिसीप्लीनरी एप्रोच के साथ पढ़ाई करना. ज्यादातर परीक्षार्थियों का यह दुर्भाग्य होता है कि उन्होंने इससे पहले की पढ़ाई इस तरीके से नहीं की हुई होती है. जिस तरह के प्रश्न उस समय पूछे गये थे, उनके उत्तर के लिए इस तरीके की जरूरत भी नही होती है. इसलिए यह नई पद्धति उनके लिए न केवल कठिन ही लगती है, बल्कि दिमाग इसे ग्रहण भी नहीं कर पाता. लेकिन यदि आपको सिविल सर्वेंट बनना है, तो आप मानकर चलें कि फिलहाल तो इसका कोई विकल्प नहीं है.

Tags: UPSC, Upsc exam, Upsc result

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