मुंबईः मराठी फिल्म इंडस्ट्री को हमेशा से उसकी सब्जेक्ट और बेहतरीन सिनेमा बनाने के लिए सराहा गया है. मराठी फिल्म जगत में हर दर्शक वर्ग को ध्यान में रखते हुए फिल्में बनाई जाती हैं और बच्चों को लेकर कई ऐसे फिल्म बनी हैं जो उनको प्रोत्साहित करते हैं. हाल ही में रिलीज हुई महेश मांजरेकर (Mahesh Manjrekar) द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म ‘नाय वरनभात लोन्चा कोण नाय कोन्चा!’ भी इन्हीं में से एक है, जिसकी अब हर तरफ चर्चा हो रही है.
इस फिल्म में बच्चों को लेकर होने वाले गुनाह सिनेमा को प्रदर्शित किया गया है. लेकिन, महेश मांजरेकर की ‘नाय वरनभात लोन्चा कोण नाय कोन्चा!’ के रिलीज होते ही एक और फिल्म की चर्चा शुरू हो गई है और ये फिल्म है कानभट्ट (Kanbhatt). ये एक मराठी मूवी है, जिसकी तुलना महेश मांजरेकर की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म से की जा रही है.
मराठी मूवी कानभट्ट एक युवा लड़के ‘प्रभात’ के जीवन को खूबसूरती से दर्शाती फिल्म है, जो अपने सपने और इच्छा का पालन करता है, लेकिन किस्मत के पास उसके लिए कुछ और योजनाएं हैं जिसके लिए वह एक अलग रास्ते पर चला गया. फिल्म में आने वाले मोड़ इतने दिलचस्प हैं कि यह दर्शकों को बांधे रखने में काफी हद तक कामयाब होती है.
वेद और विज्ञान के बीच के संबंध को दर्शाती है कानभट्ट
कहानी वेद और विज्ञान के बीच के संबंध को दर्शाती है. वह अपने जीवन में संघर्ष करता है और आखिरकार अपनी मंजिल पर पहुंचता है. फिल्म के जरिए निर्देशक अपर्णा एस होसिंग ने बच्चों को प्रेरित करने की कोशिश की है और बच्चों के भविष्य के लिए क्या बेहतर हो सकता है.
निर्माता और निर्देशक अपर्णा एस होसिंग के मुताबिक, “मराठी सिनेमा अपनी बेहतरीन फिल्मो के लिए जानी जाती है. बड़ी मेहनत के बाद इस इंडस्ट्री को सराहना मिली है. कानभट्ट फिल्म को दर्शकों और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह द्वारा बहुत सराहा गया है. हमें अपने बच्चे को शिक्षित करने के लिए कानभट्ट जैसी और फिल्मों की जरूरत है.”
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