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'भुज' के निर्देशक की दादी सहित 300 महिलाओं ने जान पर खेलकर युद्ध के दौरान बनाई थी हवाई पट्टी

‘भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया’शुक्रवार को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज की जा चुकी है.

‘भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया’शुक्रवार को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज की जा चुकी है.

निर्देशक अभिषेक दुधैया (Abhishek Dudhaiya) ने 'भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया' (Bhuj: The Pride of India) बनाने के लिए विजय का ...अधिक पढ़ें

    मुंबई. फिल्म ‘भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया’ (Bhuj: The Pride of India) के निर्देशक अभिषेक दुधैया (Abhishek Dudhaiya) का कहना है कि फिल्म की कहानी उन्हें उनकी दादी की असल जिंदगी से जुड़ी एक घटना की याद दिलाती है. 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान उनकी दादी समेत भुज के एक गांव की करीब 300 महिलाओं ने क्षतिग्रस्त हो चुकी एयरस्ट्रिप (हवाई पट्टी) के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी.

    यह फिल्म बहादुरी, देशभक्ति और संकल्पशक्ति से जुड़ी एक सच्ची कहानी पर आधारित है. फिल्म में दिखाया गया है कि 1971 में भारतीय वायु सेना के भुज स्थित हवाई अड्डे के प्रभारी स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक चुनौतियों का सामना करते हुए माधापुर के एक गांव की करीब 300 महिलाओं की मदद से क्षतिग्रस्त हो चुकी हवाई पट्टी का निर्माण करते हैं. फिल्म में विजय कार्णिक (Vijay Karnik) की भूमिका में दिग्गज एक्टर अजय देवगन (Ajay Devgn) दिखाई देंगे.

    अभिषेक दुधैया बोले- भुज में इस कहानी को एक लोककथा के रूप में सुनाया जाता है
    अभिषेक दुधैया ने रमन कुमार, रितेष शाह और पूजा भवोरिया के साथ मिलकर इस फिल्म की कहानी लिखी है. निर्देशक के तौर पर दुधैया की यह पहली फिल्म है. इससे पहले वह ‘एहसास’, ‘अग्निपथ’, ‘सिंदूर तेरे नाम का’ और ‘उम्मीद नयी सुबह की’ जैसे टेलीविजन धारावाहिकों का निर्देशन कर चुके हैं. अभिषेक दुधैया ने पीटीआई-भाषा को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा, ‘भुज में इस कहानी को एक लोककथा के रूप में सुनाया जाता है. मेरी दादी लक्ष्मी परमार उस समय 35 वर्ष की थीं, वह उन 300 महिलाओं में से एक थीं जिन्होंने वायु सेना की हवाई पट्टी बनाने में मदद की और मैंने उनसे इसके बारे में बहुत सारी कहानियां सुनी थीं.’ इन महिलाओं ने जान की परवाह न करते हुए युद्ध के दौरान हवाई पट्टी बनाने में कार्णिक की मदद की थी.

    निर्देशक ने कहा कि इस फिल्म के जरिए वह उन युवा दर्शकों तक पहुंचना चाहते हैं, जिन्हें 1971 के युद्ध के बारे में अधिक जानकारी नहीं है. अभिषेक ने कहा, ‘मुझे पता था कि यह एक महंगी फिल्म साबित होगी क्योंकि यह एक युद्ध पर आधारित फिल्म है. बहुत लोगों ने सुझाव दिया कि मुझे पहले छोटी-छोटी फिल्में बनानी चाहिए और ‘भुज’ मेरी दसवीं फिल्म होनी चाहिए. यह काम बहुत बड़ा था, लेकिन मुझे यकीन था कि मैं इस तरह की प्रेरक कहानी पर फिल्म बना सकता हूं और इस अवसर को छोड़ना नहीं चाहता था.’

    अभिषेक ने फिल्म बनाने से पहले कार्णिक के अलावा 1971 में हवाई पट्टी के निर्माण में सहयोग करने वाली उन 60 महिलाओं से बात की, जो आज भी जीवित हैं. अभिषेक फिल्म की कहानी को एकदम वास्तविक रूप देना चाहते थे. उनकी दादी का 10 वर्ष पहले ही निधन हो गया था.

    महिला सशक्तिकरण का शानदार उदाहरण है यह फिल्म
    अभिषेक ने कहा कि यह फिल्म महिला सशक्तिकरण का शानदार उदाहरण है. हवाई पट्टी के पुनर्निर्माण में विजय कार्णिक की मदद करने के लिए कुछ महिलाओं ने अपने घरों तक को तोड़ दिया था. महिलाओं ने राष्ट्र सेवा की भावना को सर्वोपरि रखते हुए यह असंभव कार्य कर दिखाया. अभिषेक के मुताबिक कार्णिक और उनका मानना था कि अजय देवगन ही इस किरदार के लिए बेहतर विकल्प होंगे.

    अजय देवगन के साथ काम करने के अनुभवों पर बात करते हुए अभिषेक ने कहा, ‘अजय सर ने फिल्म की कहानी से जुड़ी बुनियादी चीजों को समझने के लिए कार्णिक जी के बहुत सारे वीडियो देखे. यह सब कैसे हुआ, यह समझने के लिए वह उनसे भी मिले. जब अजय सर जैसा कोई व्यक्ति आपका साथ देता है तो जिम्मेदारी और दबाव ज्यादा होता है. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे मेरी पहली फिल्म में उनके साथ काम करने का मौका मिला.’

    ‘भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया’ शुक्रवार को डिज्नी प्लस हॉटस्टार वीआईपी पर रिलीज हो चुकी है. फिल्म में अजय देवगन के अलावा संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, ऐमी विर्क, नोरा फतेही और शरद केलकर ने भी अहम भूमिका निभाई है. अभिषेक ने कहा कि उनकी अगली फिल्म परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह के जीवन पर आधारित होगी.

    Tags: Ajay Devgn, Bhuj The Pride of India

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