बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमोल पालेकर ने अपने एक्टिंग करियर में निभाए गए किरदारों को न सिर्फ निभाया बल्कि उन्हें वैसे ही जिया भी. वैसे अमोल की ज़िन्दगी भी किसी सिनेमा से कम नहीं रही. फिल्म ठुकरा देने वाला शख्स दिग्गज कलाकर बन जाएगा ये किसने सोचा होगा, शायद अमोल ने ख़ुद भी नहीं. लेकिन बैंक क्लर्क से लेकर फिल्मों तक के सफ़र ने अमोल को सिनेमा में हमेशा के लिए अमर कर दिया. यूं तो अमोल एक पेंटर बनना चाहते थे लेकिन किस्मत के आगे किसकी चली है. एक्टिंग नकारते नकारते वो ख़ुद अचानक से एक्टिंग की दुनिया में एक बड़ा नाम बन गए.
अलग अलग किरदार निभा चुके अमोल आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं. अमोल भले ही आज 74 साल के हो गए हैं लेकिन उनकी हिम्मत और ऊर्जा वही शुरूआती दौर वाली ही है. 24 नवंबर 1944 को मुंबई के एक लोअर मिडिल क्लास परिवार में जन्में अमोल के पिता पोस्ट ऑफिस में काम करते थे और उनकी मां एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थीं. उस दौरान अमोल के घर के हालत ऐसे थे कि वो बेमन ही सही लेकिन एक बैंक में बतौर क्लर्क काम करने लगे थे.
मुंबई के प्रसिद्ध सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स के स्टूडेंट रहे अमोल एक पेंटर बनना चाहते थे. वो वहां फाइन आर्ट्स के स्टूडेंट थे. पेंटिंग के शौक की वजह से उन्होंने बड़ी बड़ी प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया. लेकिन किस्मत को ये मंजूर नहीं था, उनका मुकाम था सिनेमा जहां वो शायद न चाहते हुए भी खिंचते चले जा रहे थे.
अमोल की ज़िन्दगी लगभग ठीक ही चल रही थी कि उसमें अचानक से एक फ़िल्मी ट्विस्ट आया. दरअसल अमोल की मुलाकात अपनी छोटी बहन की एक क्लासमेट से हुई. वो क्लासमेट कोई और नहीं उनकी पत्नी और स्क्रीनराइटर चित्रा थीं. बहरहाल, उस वक्त अमोल को लगा कि चित्रा ही उनकी सोलमेट हैं और वो उनसे बेइन्तेहां मोहब्बत कर बैठे. चूँकि चित्र एक थियेटर आर्टिस्ट थीं तो अमोल अब थियेटर कि तरफ अपना रुझान बढ़ा चुके थे.
अमोल न सिर्फ चित्रा के साथ थियेटर जाते बल्कि वो वहां रिहर्सल भी करने लगे थे. ऐसे में एक दिन उनकी मुलाकात फेमस डायरेक्टर सत्यदेव दुबे से हुई. दुबे ने न सिर्फ उनकी प्रतिभा को पहचाना बल्कि उन्हें एक्टिंग करने का बढ़ावा भी दिया. जिसके बाद उन्हें बासु चटर्जी ने एक फिल्म ऑफर की लेकिन मन से पेंटर अमोल ने वो प्रस्ताव ठुकरा दिया.
अमोल ने भले ही फिल्म ठुकरा दी लेकिन चटर्जी उनके पीछे ही पड़ और इसके बाद उन्होंने अमोल के सामने एक और फिल्म का ऑफर रखा. लेकिन इस बार हर बार ना नुकुर करने वाले अमोल मान गए. और एक्टिंग की राह पर चल पड़े.
साल 1971 में अमोल ने एक मराठी फिल्म 'शांतता कोर्ट चालू आहे' से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की. इसके बाद गोलमाल, घरौंदा, नरम-गरम, बातों-बातों, छोटी सी बात जैसी फिल्में, पालेकर की बेहतरीन और सादगी से भरी एक्टिंग का ही नतीजा हैं. फिल्म गोलमाल के लिए अमोल को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड भी मिला था.
दिल से हमेशा से पेंटर रहे अमोल ने न सिर्फ एक्टिंग की बल्कि निर्देशन में भी अपना हाथ आजमाया और हिट फिल्मों में शामिल भी हुए. फिलहाल दिल से ये पेंटर अब इस शोर शराबे से दूर पुणे में अपने दिल की चाहत पेंटिंग के साथ वक्त बिता रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 24, 2018, 14:25 IST