ये फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई है.
Atithi Bhooto Bhava Movie Review: एक्टर प्रतीक गांधी, जैकी श्रॉफ और शर्मिन सेहगल की फिल्म ‘अतिथि भूतो भव’ ओटीटी पर रिलीज हो गई है. हिंदी सिनेमा में ‘प्यार की ताकत’ को दिखाती कई फिल्में हैं, लेकिन ये फिल्म लव स्टोरी के एंगल को भूतिया अंदाज में पेश करने की जुगत कर रही है. लव स्टोरी में हॉरर का एंगल एक अच्छी कोशिश साबित होता है या नहीं ये तो आप फिल्म देखकर ही तय कर सकते हैं.
कहानी: कहानी है श्रीकांत शिरोडकर की जो स्टैंडअप कॉमेडियन हैं. उसे खाना बनाने का शौक है और अपनी गर्लफ्रेंड नेत्रा के साथ वो 4 साल से लिव-इन में रह रहा है. श्रीकांत के लिए प्यार जताना जरूरी नहीं है, जबकि वहीं नेत्रा के लिए इमोशन्स और भावनाएं ही सबसे ज्यादा जरूरी हैं. नेत्रा इस रिश्ते में शादी चाहती है और श्रीकांत को अपने रिश्ते का नाम देने में कोई दिलचस्पी नहीं है. इस बीच अपने स्टैंडअप कॉमेडी शो से लौटते हुए श्रीकांत कुछ ऐसा करता है कि एक भूत को अपना अतिथि बनाकर घर ले आता है. लेकिन ये भूत श्रीकांत की जान नहीं लेना चाहता बल्कि अब अपनी जिंदगी का प्यार पाना चाहता है.
इस फिल्म में काफी सारे एलीमेंट ऐसे हैं जिन्हें जब शायद स्क्रिप्ट के तौर पर उतारा जा रहा होगा तो जरूर ऐसा लगा होगा कि ऑडियंस हंस-हंस के लोटपोट हो जाएगी. जैसे 55 साल के भूत का 30 साल का जिंदा लड़का दादा है. इस भूत को उसके प्यार से मिलाने के लिए मुंबई से मथुरा तक का मीलों लंबा सफर प्लेन या ट्रेन से नहीं बल्कि रोड-ट्रिप के जरिए… लेकिन ये सारी चीजें जब एक साथ मिलती हैं तो एक मजेदार या फनी फिल्म क्रिएट नहीं कर पातीं.
ये फिल्म देखते हुए मुझे कई फिल्में थोड़े-थोड़े हिस्से में याद आईं. जैसे एक सरदारजी का यंग जनरेशन के लड़के को प्यार के बारे में समझाने की कोशिश और लिव-इन में रह रहे प्रतीक गांधी का प्यार के प्रति नजरिया देख मुझे ‘लव आजकल’ जैसी स्टोरी लाइन की फील आई. वहीं फिल्म का टाइटल ‘अतिथि भूतो भव’ पहले ही मुझे किसी दूसरे टाइटल से जुड़ा लग रहा था. वहीं किसी भी फिल्म को मजेदार बनाने के लिए ट्रायड ऐंड टेस्टेड फॉर्म्यूला ‘रोड ट्रिप’ भी इस कहानी में जोड़ा गया है. पर सारी चीजें मिल कर आपको एंटरटेन नहीं कर पातीं.
प्रतीक गांधी अपने किरदार में काफी जस्टिफाइंग रहे हैं पर फिर भी वो असर नहीं छोड़ पाते. साथ ही ‘स्कैम 1992’ के बाद उन्होंने अपने लिए पहले ही काफी ऊंचे स्टैंडर्ड सेट कर लिए हैं. जैकी श्रॉफ भूत के किरदार में क्यूट लगे हैं. दरअसल इस फिल्म का भूत भी काफी अलग है. अक्सर फिल्मों में भूत की काट भगवान ही होते हैं, लेकिन इस फिल्म में भूत खुद माता रानी के आगे फूल चढ़ाता है, श्रीकृष्ण के मंदिर में जाता है… 114 मिनट की ये फिल्म पूरी होकर भी एंटरटेन नहीं कर पाई. हालांकि इसका क्लाइमैक्स का सीन मुझे अच्छा लगा तो क्लाइमैक्स के सीन और प्रतीक गांधी-जैकी श्रॉफ के लिए मेरी तरफ से इस फिल्म को 1.5 स्टार.
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