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मोहम्मद रफी से तकरार, फिर BR चोपड़ा ने लॉन्च किया टू-कॉपी सिंगर, कहलाए 'वॉयस ऑफ नेशन'

महेंद्र कपूर ने अपनी आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि 4 दशकों तक लोगों के कानों में उनके कंठ की शहद घुलती रही.

महेंद्र कपूर ने अपनी आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि 4 दशकों तक लोगों के कानों में उनके कंठ की शहद घुलती रही.

Voice Of Nation Mahendra Kapoor: एक नेशनल, चार फिल्मफेयर और 20 से ज्यादा अवॉर्ड्स अपने नाम कर चुके महेंद्र कपूर ने सिं ...अधिक पढ़ें

मुंबई. ‘तुम अगर साथ देने का वादा करो’ और ‘नीले गगन के तले’ गाने 50 सालों बाद भी लोगों की जुबान से नहीं उतरे हैं. अक्सर ही तन्हाई में या फिर रात के अकेलेपन में ये गाने अक्सर लोगों के कानों को ठंडक पहुंचाते हैं. साल 1967 में आई फिल्म ‘हमराज’ के इन दोनों अमर गानों को महेंद्र कपूर ने अपनी आवाज से नवाजा था. महेंद्र कपूर, देश के ऐसे दिग्गज फनकार जिनकी आवाज मोहम्मद रफी (Mohmmad Rafi) से मिलती थी. इतना ही नहीं महेंद्र कपूर को मोहम्मद रफी के रिप्लेटसमेंट के तौर पर ही इंडस्ट्री में आने का मौका मिला था.

लेकिन महेंद्र कपूर ने अपनी आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि 4 दशकों तक लोगों के कानों में उनके कंठ की शहद घुलती रही और उन्हें ‘वॉयस ऑफ इंडिया’ का भी नाम दिया गया. 9 जनवरी 1934 को पंजाब के अमृतसर में जन्मे महेंद्र कपूर कम उम्र में मुंबई आ गए थे. यहां पहुंचकर महेंद्र कपूर ने पंडित हुसनलाल, जगन्नाथ बुआ से क्लासिकल संगीत की ट्रेनिंग ली. महेंद्र कपूर ने अपने सुरों को निखारा और मर्फी ऑल इंडिया सिंगिग कॉम्टीशन में हिस्सा लिया.

इस कॉम्पटीशन को जीतने के बाद महेंद्र कपूर का अनोखा अंदाज लोगों को भाने लगा था. इस अवॉर्ड जीतने के बाद महेंद्र कपूर को साल 1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘आधा है चंद्रमा आधी है रात’ में प्लेबैक सिंगर के तौर पर गाने का मौका मिला. इसके बाद बीआर चोपड़ा और मोहम्मद रफी के बीच किसी बात को लेकर तनातनी हो गई. जिसका फायदा महेंद्र कपूर को मिला और उनकी रातों-रात किस्मत चमक गई.

दो दिग्गजों के झगड़े में चमक गई महेंद्र कपूर की किस्मत
दरअसल बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म मेकर बीआर चोपड़ा चाहते थे कि मोहम्मद रफी केवल उनकी फिल्मों में गायें. बीआर चोपड़ा ने जब मोहम्मद रफी से अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होंने मना कर दिया. मोहम्मद रफी ने अकेले बीआर चोपड़ा के साथ गाने से साफ मना कर दिया. मोहम्मद रफी की इस बात से नाराज होकर बीआर चोपड़ा ने इंडस्ट्री को मोहम्मद रफी का रिप्लेसमेंट देने का फैसला कर लिया. इसी दौरान बीआर चोपड़ा की नजर महेंद्र कपूर पर पड़ी.

अब महेंद्र कपूर थोड़ा बहुत काम कर चुके थे लेकिन कोई बड़ा नाम नहीं थे. साल 1963 में बीआर चोपड़ा डायरेक्टेड फिल्म गुमराह रिलीज हुई. सुनील दत्त, अशोक कुमार और माला सिन्हा स्टारर इस फिल्म में महेंद्र कपूर ने अपनी आवाज दी. फिल्म का एक गाना ‘चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों’ 60 सालों बाद भी खूब सुना जाता है. यहीं से महेंद्र कपूर और बीआर चोपड़ा की जुगलबंदी शुरू हो गई. इसके बाद बीआर चोपड़ा ने महेंद्र कपूर से एक के बाद कई सुपरहिट गाने गवाए.

साल 1967 में रिलीज हुई फिल्म ‘हमराज’ के गाने सुपरहिट रहे. इन गानों के लिए महेंद्र कपूर को फिल्म फेयर के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया. इसके बाद महेंद्र कपूर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. महेंद्र कपूर ने अपने करियर में 100 से भी ज्यादा गानों को अवाज दी है. साथ ही हिंदी के अलावा दूसरी रीजनल भाषाओं में भी महेंद्र कपूर का जादू खूब सर चढ़कर बोला. अपने गानों के लिए महेंद्र कपूर को 1972 में पद्मश्री के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

महेंद्र कपूर की आवाज से हुआ था महाभारत का आगाज
महेंद्र कपूर खुद भी बेहद धर्मिक इंसान थे और भगवान में गहरी आस्था रखते थे. महेंद्र कपूर जिस भी शहर में जाते थे वहां के फेमस मंदिर पर जाकर भगवान के दर्शन करते उसके बाद ही अपने होटल जाया करते थे. अगर महेंद्र कपूर काम के सिलसिले में दिल्ली जाते तो कनॉट प्लेस पर हनुमान मंदिर जाकर आर्शीवाद लेना कभी नहीं भूलते.

वहीं अगर कोलकाता जाते तो मां काली के दर्शन किए बिना होटल का रुख नहीं करते थे. महेंद्र कपूर हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे और उनका नाम लिए बिना स्टेज पर कदम नहीं रखते थे. बीआर चोपड़ा ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट महाभारत बनाकर तैयार किया और इसका आगाज महेंद्र कपूर की आवाज से ही कराया. महाभारत सीरियल टेलीकास्ट होते ही बजने वाला ‘यदा यदा ही धर्मस्य’ श्लोक को महेंद्र कपूर ने ही अपनी आवाज दी थी.

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