1988 में आई 'कयामत से कयामत तक' से पहले आमिर असिस्टेंट डायरेक्टर रहे थे.
आमिर खान (Aamir Khan) आज हिंदी सिनेमा का वो सितारे हैं, जिनकी फिल्मों का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. हर कोई ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ की बेहतरीन एक्टिंग का दीवाना है. 1988 में जूही चावला (Juhi Chawla) के साथ फिल्म ‘कयातम से कयामत तक’ (Qayamat Se Qayamat Tak) से लीड रोल में डेब्यू करने वाले आमिर खान की इस पहली ही फिल्म ने धमाल मचा दिया था. सिनेमाघरों में इस फिल्म की सफलता ने धमाल मचा दिया और फिर चारों तरफ आमिर-आमिर ही होने लगा था. लेकिन हम आपको आज इस फिल्म की रिलीज से पहले का वो माहौल और किस्सा बताने जा रहे हैं, जब कई लोगों ने आमिर खान को रेस हारने वाला ‘नौसिखिया’ घोड़ा मान लिया था. इतना ही नहीं, एक डिस्ट्रिब्यूटर ने तो इस फिल्म का ट्रायल देखने के बाद इसे ‘कयामत से हजामत तक’ नाम दे डाला था. आइए आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ.
फिल्मों आने से पहले ही आमिर खान को लेकर बुरी-बुरी बातें होने लगी थीं. दरअसल आमिर अपने चाचा और उस दौर के प्रसिद्ध निर्देशक नासिर हुसैन के साथ फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर भी रह चुके थे. ऐसी ही दो फिल्में थीं ‘मंजिल मंजिल’ और ‘जबरदस्त’. इन दोनों फिल्मों में आमिर असिस्टेंट डायरेक्टर थे. 1984 में आई ‘मंजिल मंजिल’ में सनी देओल और डिंपल कपाड़िया के साथ प्रेम चोपड़ा और आशा पारेख भी थे. वहीं दूसरी फिल्म थी ‘जबरदस्त’ जो 1985 में आई थी. इस फिल्म में भी आमिर खान ही चाचा नासिर के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर बने थे. इस फिल्म में नासिर के निर्देशन के साथ आरडी बर्मन का संगीत था. पर ये दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस बुरी तरह फ्लॉप हो गईं.
2 फिल्में हुई फ्लॉप तो बिगड़ा माहौल
उस दौर में फिल्मों से जुड़े लोगों में ये बातें होने लगी थीं कि आमिर जैसे नौसिखिए के हाथ में यों फिल्म दे देना नासिर हुसैन का एक नादान फैसला था. खास कर ‘मंजिल मंजिल’ और ‘जबर्दस्त’ की नाकामयाबी के बाद एक बार फिर आमिर को ‘कयामत से कयामत तक’ में पर्दे पर लीड हीरो की तरह लाना. इस फिल्म में आमिर असिस्टेंट राइटर भी थे. नासिर हुसैन की फिल्म से लॉन्च हो रहे आमिर को लेकर उस दौर में माहौल कुछ ऐसा था कि ‘कयामत से कयामत तक’ का ट्रायल देखने के बाद एक डिस्ट्रिब्यूटर ने यहां तक कहा कि नासिर हुसैन कि यह फिल्म ‘कयामत से हजामत तक’ साबित होगी.
हर बार हमें कोई गड़बड़ी मिलती थी: आमिर खान
हालांकि 29 अप्रैल, 1988 में रिलीज हुई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल किया और कई लोगों को आमिर के बारे में अपनी राय बदलने पर मजबूर कर दिया. इस फिल्म की सफलता के बाद 1989 में फिल्मफेयर मैगजीन को दिए इंटरव्यू में आमिर ने इस सारे मामले पर बात करते हुए कहा, ‘हां, बाजार में इस फिल्म की कोई खास मांग नहीं थी. फिल्म बनने के दौरान हमारी सबसे बड़ी चिंता थी कि चाचा का नाम खराब न हो. मुझे याद है, हर बार फिल्म के ट्रायल में हम सभी छह लोग, मंसूर और मैं भी होते थे और हर बात फिल्म में कोई न कोई खामी नजर आ जाती थी.’
आमिर खान से मिलना नहीं चाहते थे मीडिया वाले
अपने इसी पुराने इंटरव्यू में आमिर खान ने बताया कि कैसे ‘कयामत से कयामत तक’ की सफलता से पहले उनके लिए मुश्किल थी. आमिर ने कहा, ‘हां, पहले प्रेस के लोग मुझसे बात करना नहीं चाहते थे. ‘कयामत से कयामत तक’ की रिलीज के बाद भी फिल्म के प्रचारक किसी तरह मुझसे बातें करने के लिए दो-चार पत्रकार जुटा पाते थे पर बाद में वो भी गायब हो जाते थे.’
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