कवि और गीतकार गुलजार (Gulzar), लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को 'चमत्कार' मानते हैं. गुलजार का कहना है कि यह उनके अच्छे कर्म हैं कि उन्हें महान सिंगर के साथ काम करने का मौका मिला. गुलजार ने एक बार लता जी से मजाक में कहा था कि फिल्म 'किनारा' की लाइन 'मेरी आवाज ही पहचान है' उनके लिए बहुत उपयुक्त थी. कभी किसी ने नहीं सोचा था कि ये पंक्तियां लता जी के लिए सच होंगी. वे एक शानदार इंसान थीं और पूरा देश उन्हें मिस करेगा.'
गीतकार गुलजार (Gulzar) को लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के साथ कई गानों को लेकर काम करने का सौभाग्य मिला. लता जी ने उनकी फिल्म ‘लेकिन’ को प्रोड्यूस भी किया था, जिसने कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे. इसमें एक मशहूर गाना ‘यारा सीली सीली’ भी है. ‘न्यूज 18’ से हुई एक खास बातचीत में, गुलजार ने लता मंगेशकर के साथ काम करने के अपने अनुभवों के बारे में बताया.
गुलजार कहते हैं, ‘मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकता, क्योंकि मैं उनके बारे में जितना भी बात करूंगा, वह कम ही होगा. मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि वे यह दुनिया छोड़कर चली गई हैं. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेरे लिखे शब्दों को लताजी ने अपनी मधुर आवाज में गाया. यह मेरे अच्छे कर्म हैं कि मैं उनके साथ काम कर सका. वे एक चमत्कार हैं और इस तरह का चमत्कार बहुत कम होता है.’
वे आगे कहते हैं, ‘लता जी भारत के इतिहास का हिस्सा रही हैं. उन्होंने देश और फिल्म इंडस्ट्री में कई बदलावों को देखा और उनका सामना किया है. मुझे याद है कि टेलीविजन बाद में आया था. रेडियो हुआ करता था और उनकी आवाज सुनकर लोग जागते थे. मैं भी लता जी की आवाज सुनकर जाग जाता था. वे हमारी रोजाना की जिंदगी का हिस्सा रही हैं. होली से लेकर ईद, दिवाली और शादी समेत हर त्योहार पर लता मंगेशकर का गाना बजता था.’
लता जी सभी को शांति के साथ सुनती थीं
गुलजार लता जी में आए बदलाव के बारे में कहते हैं, ‘अपने करियर के आखिरी कुछ सालों में, उन्हें उस तरह के गाने पसंद नहीं थे जो लिखे गए थे. उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि तुम कुछ अच्छी फिल्म बनाओ, जिसमें कोई अच्छे गाने हों. आप क्यों नहीं लिख देते. वे हमेशा लोगों के फीडबैक जानने के लिए तैयार रहती थीं और शांति के साथ सभी को सुनती थीं. उन्होंने गायन को कभी भी काम की तरह नहीं देखा.’
लता जी ने गुलजार की फिल्म ‘लेकिन’ को किया था प्रोड्यूस
गुलजार, लता के साथ काम करने के बारे में बताते हैं, ‘हमने साथ में कई फिल्मों में काम किया था, जिसमें उनके साथ मेरा पहला गाना 1963 में रिलीज हुई फिल्म ‘बंदिनी’ का था. उन्होंने इसमें ‘मोरा गोरा अंग लई ले’ गाना गाया था. तब से हमने ‘खामोशी’, ‘किनारा’, ‘मासूम’, ‘लिबास’, ‘दिल से’, ‘रुदाली’ समेत कई प्रोजेक्ट्स पर साथ काम किया था. मैं वाकई में भाग्यशाली था कि उन्होंने मेरी फिल्म ‘लेकिन’ को प्रोड्यूस किया था. सबसे अच्छी बात यह थी कि उन्होंने ‘यारा सीली सीली’ के लिए बेस्ट सिंगर का नेशनल अवॉर्ड जीता था. हमें कुल मिलाकर पांच राष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे.’
लता जी को पूरा देश करेगा मिस
गुलजार लता के साथ हुई गुफ्तगू को याद करते हुए कहते हैं, ‘मैंने एक बार उनके साथ मजाक किया था कि फिल्म ‘किनारा’ के गाने की लाइन ‘मेरी आवाज ही पहचान है’ उनके लिए बहुत उपयुक्त थी. कभी किसी ने नहीं सोचा था कि ये पंक्तियां लता जी के लिए सच होंगी. वे एक शानदार इंसान थीं और पूरा देश उन्हें मिस करेगा.’
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