मुगले-ए-आजम के 61 बरस. (फोटो साभार: Movies N Memories/Twitter)
मुंबई: ‘मुगल-ए-आजम’ (Mughle-E-Azam) फिल्म 5 अगस्त 1960 को रिलीज की गई थी. के आसिफ (K Asif) के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं आप सबने सुनी होगी. इस फिल्म की भव्यता, डायलॉग्स, दिलीप कुमार (Dilip Kumar)-मधुबाला (Madhubala) की जोड़ी के अलावा फिल्म का संगीत भी अद्भुत है. इसके सभी गाने आज भी सुने जाते हैं. इस फिल्म के संगीतकार नौशाद थे. लाखों के बजट वाले जमाने में इस फिल्म का बजट डेढ़ करोड़ रुपए था.
यूं तो फिल्म मुगल-ए-आजम का पूरा म्यूजिक ही गजब का है. लेकिन सबसे मशहूर ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ को माना जाता है. ये गीत कुछ ऐसा है कि आज भी प्रेम दीवानों को साहस देता है. सुप्रसिद्ध स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज में गाए गए इस गाने के बारे में जानकार बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के लोक कहावत ‘प्रेम किया क्या चोरी करी’ को नौशाद ने शकील बदायूंनी को बताया था. शकील ने अपने खूबसूरत शब्दों की बाजीगरी में पिरो कर इस गाने को ऐतिहासिक बना दिया. जानकार बताते हैं कि इस गाने को बनाने की धुन शकील और नौशाद पर कुछ इस कदर सवार हुई कि दोपहर से जो बैठे तो अगली सुबह ही जाकर उठे.
ये तो रही इस गाने के लिखने की कहानी अब फिल्मांकन के बारे में भी जान लेते हैं. शीशमहल के बीच सैकड़ों प्रतिबिंबों के खास पिक्चराइजेशन वाले इस गीत को जब दर्शकों ने देखा तो मंत्रमुग्ध हो गए. इस गाने पर जब मधुबाला डांस करती तो उनकी छवि शीशे के छोटे-छोटे टुकड़ों में इस तरह दिखती कि देखने वाले भाव विभोर हो उठे. उस जमाने में इस गाने को शानदार बनाने के लिए आज की तरह न साजो-सामान थे न विजुअल इफेक्ट के लिए टेक्नोलॉजी ही थी.
इस गाने में इको इफेक्ट लाने के लिए भी डायरेक्टर को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. इको इफेक्ट के लिए चारो तरफ आवाज टकराने का असर लाने के लिए नौशाद ने लता की आवाज को अलग-अलग टेक में रिकॉर्ड कर एकसाथ मिलाया था. इको का असर लाने के लिए लता स्टूडियो के कमरे से लता धीरे-धीरे चलते हुए बाथरूम में जाती थीं जहां अलग माइक लगा था और वहां पर गाती थीं.
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आज के जमाने में फिल्म मेकिंग और गाने की रिकॉर्डिंग, शूटिंग को टेक्नोलॉजी ने काफी आसान बना दिया है. उस दौर में अलग-अलग तरह के इफेक्ट के लिए म्यूजिक डायरेक्टर कड़ी मेहनत करते थे. कहते हैं कि उस जमाने में भी अकेले इस गाने की शूटिंग में 10 लाख रुपए खर्च हुए थे. कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज भी यह फिल्म 61 साल बाद भी चर्चा में बनी हुई है.
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