मशहूर सिंगर को राज कपूर अपनी आत्मा कहते थे. (फोटो साभार: neilnitinmukesh/Instagram)
मुंबई: इंडस्ट्री के मशहूर गायक मुकेश (Mukesh)‘आवारा’ फिल्म का गाना ‘आवारा हूं’, ‘मेरा जूता है जापानी’ गाकर इतिहास रच दिया था. शोमैन राजकपूर (Raj Kapoor) और मुकेश एक दूसरे के पूरक माने जाते थे. मुकेश की मीठी-दिलकश आवाज से लोग उनके मुरीद हो जाया करते थे. ‘मल्हार’ और ‘अनुराग’जैसी फिल्मों से मुकेश ने फिल्म निर्माण में भी हाथ आजमाया था. सफल सिंगर ने आर्थिक तंगी भी झेली थी. कई हिट गाने देने के बावजूद एक वक्त ऐसा था जब उनके पास अपने बच्चों की स्कूल फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे. खुद उनके बेटे नितिन मुकेश ने हैरान करने वाला खुलासा किया था.
हैरानी की बात है कि ‘आवारा हूं’, ‘मेरा जूता है जापानी’ जैसे गाने गाकर मुकेश मशहूर सिंगर बन चुके थे फिर भी उन्हें करीब 6-7 साल संघर्ष करना पड़ा था. मुकेश को साल 1941 में पहला ब्रेक फिल्म ‘निर्दोष’ मिला था. इंडस्ट्री में शुरुआती दौर मुश्किल भरा था. के एल सहगल को मुकेश की आवाज पसंद आई थी. नौशाद के साथ अच्छी ट्यनिंग थी. उस दौर में मुकेश की आवाज में सबसे अधिक गाने दिलीप कुमार पर फिल्माए गए थे. 50 के दशक में इन्हें नई पहचान मिली और राजकपूर की आवाज कहा जाने लगा. कई इंटरव्यू में खुद राजकपूर अपने दोस्त के बारे में कहते थे, मैं तो बस शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है’.
नितिन मुकेश ने बताई थी पिता की तकलीफ
नितिन मुकेश एक सिंगिग रियलिटी शो पर बतौर गेस्ट पहुंचे हुए थे. शो पर मुकेश की शताब्दी सेलिब्रेट की जा रही थी. अपने पिता की जिंदगी के बारे में कई खुलासे किए थे. कहा था कि किसी के जीवन में इतने उतार-चढ़ाव की बात नहीं सुनी थी, जितनी मेरे पिता ने झेली थी. नितिन मुकेश ने बताया था कि ‘वो कई कई दिनों तक पानी नहीं पीते थे और खाना खाते थे’.
सब्जी वाले से उधार ले भरी थी बच्चों की फीस
नितिन मुकेश ने आगे बताया था कि ‘एक समय ऐसा भी था जब मेरी और मेरी बहन की स्कूल फीस भी नहीं भर पा रहे थे. मुझे अभी भी याद है कि हमारे घर के बाहर एक सब्जी बेचने वाला रहता था, वह मेरे पिता से बहुत प्यार करता था, उनकी आवाज उसे बहुंत पसंद थी. एक बार उससे उधार लेकर मुकेश जी ने हमारी फीस भरी थी. उन्होंने या उस सब्जी वाले ने कभी हम तक ये जानकारी नहीं पहुंचने दी. मेरी मां ने ये सब हमे बताया था. वह कहती कि पापा कैसे मुश्किल दौर से गुजरे. ये जो यादें है उन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता. वह हमेशा कहते थे कि एक विनर बनकर निकलेंगे और बने भी’.
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