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'छू लेने दो नाज़ुक होठों को', जब आधा गाना लिखकर लापता हो गए साहिर, अधूरे गीत का पूरा किस्सा

Flashback Talk: काजल फिल्म में राजकुमार और मीना कुमारी के ऊपर फिल्माया गया है 'छू लेने दो नाजुक होठों को' गाना.

Flashback Talk: काजल फिल्म में राजकुमार और मीना कुमारी के ऊपर फिल्माया गया है 'छू लेने दो नाजुक होठों को' गाना.

गाने की कहानीः धर्मेंद्र, मीना कुमारी और राजकुमार की मशहूर फिल्म 'काजल' के गाने एक से बढ़कर एक रहे हैं. गीतकार साहिर लु ...अधिक पढ़ें

सिनेमाहॉल के अंधेरे में दमदार आवाज गूंजे, ‘चिनॉय सेठ…’, आप कह उठेंगे राजकुमार हैं! हिंदी फिल्मों में संवाद अदायगी के लिए ढेरों कलाकार जाने-पहचाने जाते हैं, अलग से बात होती है तो सिर्फ राजकुमार की. डायलॉग के साथ-साथ, अपनी स्टाइल और बेबाक-बेलौस अंदाज के लिए पहचाने जाते थे राजकुमार. इतना कि चेतन आनंद की फिल्म ‘हीर रांझा’ में जब वे प्रिया राजवंश के साथ व्हिस्पर-सॉन्ग ‘मेरी दुनिया में तुम आई…’ गाते दिखते हैं, उस समय भी उनमें समाया ‘हीर’ अपने चेहरे पर राजकुमार को चस्पा किए रहता है. लेकिन इन्हीं राजकुमार के ऊपर जब फिल्म ‘काजल’ का गाना फिल्माने की बात आई, तो प्रोड्यूसर-डायरेक्टर सब कांप गए.

वाकया सुनाया गया था विविध भारती के एक प्रोग्राम के दौरान. गाने के संगीतकार रवि साहब ने किस्सा कुछ यूं सुनाया था. दरअसल, ‘काजल’ के प्रोड्यूसर एक दिन रवि साहब के यहां पहुंचे थे. वहां साहिर लुधियानवी पहले से मौजूद थे. प्रोड्यूसर ने सिचुएशन सुनाया कि फिल्म में राजकुमार, मीना कुमारी को शराब पीने के लिए कह रहे हैं. साहिर से इस पर लिखने की फरमाइश की गई. दूसरे ही दिन साहिर लुधियानवी ने गाना लिखकर दे दिया- ”छू लेने दो नाजुक होठों को, कुछ और नहीं है जाम है ये, कुदरत ने जो हमको बख्शा है, वो सबसे हसीं इनाम है ये”.

गीत लिखकर लापता हुए साहिर
रवि साहब यानी संगीतकार रवि शंकर शर्मा को साहिर के लिखे शेर इतने पसंद आए कि उन्होंने फौरन कहा- इस पर तो गाना बनना चाहिए. फिर उन्होंने धुन बना दी. लेकिन प्रोड्यूसर डर गया. फिल्म में यह सीन राजकुमार पर फिल्माया जाना था, और उन्हें गाने के लिए कौन कहे. लेकिन गीतकार साहिर और संगीतकार रवि को गाना पसंद आ गया था, सो एक और धुन बनाई गई. फिर फिल्म के डायरेक्टर को गाना सुनाया गया. गाने के बोल इतने प्यारे थे और संगीत इतना सुरीला कि डायरेक्टर भी मुरीद हुए. मो. रफी की आवाज में रिकॉर्ड किया गया यह गीत फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटरों को भी पसंद आया था. सबको सिर्फ एक बात खटक रही थी कि यह गाना सिर्फ दो अंतरे का ही क्यों है, अधूरा है, इसे पूरा किया जाना चाहिए. तो साहिर को ढूंढा गया, लेकिन गीतकार लापता थे. साहिर अगले कुछ दिनों तक ढूंढे नहीं मिले. हारकर अधूरा गीत ही फिल्म में रखा जा सका.

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पर्दे पर धूम मचाने वाला गीत-संगीत
साल 1965 में आई फिल्म ‘काजल’ रिलीज हुई, तो दर्शकों ने इसे खूब सराहा. फिल्म के गाने भी गली-गली में गूंजने लगे. निर्माता पन्नालाल माहेश्वरी की फिल्म में राजकुमार और मीना कुमारी के साथ-साथ धर्मेन्द्र, पद्मिनी, हेलन, दुर्गा खोटे, टुन टुन, महमूद और मुमताज़ जैसे कलाकारों ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई थीं. ‘काजल’ फिल्म के दूसरे गाने ‘ये जुल्फ अगर खुल के’, ‘मेरे भइया मेरे चंदा’, ‘तोरा मन दर्पण’ जैसे गानों के साथ-साथ ‘छू लेने दो नाजुक होठों’ ने भी धूम मचा दी. खासकर कभी शराब को हाथ न लगाने वाले मोहम्मद रफी ने जिस खूबसूरती के साथ नशीले अंदाज में इस गीत को स्वर दिया, वह अद्भुत है. स्क्रीन पर राजकुमार और मीना कुमारी की अदाकारी लाजवाब दिखती है. इस गाने की खूबसूरती ही थी कि राजकुमार के पसंदीदा गानों की लिस्ट में यह शुमार है.

Tags: Entertainment Special, Entertainment Throwback

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