नई दिल्ली: शबाना आजमी (Shabana Azmi) के लिए भी बाकी किसी भी आम लड़की की तरह, उनके पिता ही उनके हीरो थे. उन्हें दुनिया की समझ ही अपने कवि पिता की नजरों से मिली थी. कैफी आजमी एक अलग तरह के कवि थे. उन्होंने जितना शबाना को गुलाब दिखाए उतने ही कांटे भी. शबाना आजमी ने हाल में एक इंटरव्यू में अपनी माता और पिता कैफी आजमी (Kaifi Azmi) के बारे में खुल कर बात की. उन्होंने बताया कि कैफी आजमी एक सच्चे फेमिनिस्ट थे और उनसे ही उन्हें एक्टिविज्म और प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत मिली.
ऐसा था कैफी आजमी-शौकत अली का रिश्ता
शबाना आजमी ने ईटाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता कैफी आजमी ने उन्हें मानवतावाद की शिक्षा दी. उन्होंने अपने माता-पिता के रिश्ते पर भी बात की और कहा कि शौकत आजमी और कैफी आजमी के बीच प्यार चांद-तारों को तोड़ लाने जैसे वादों से बेहद ऊपर था. उन्होंने कहा, ‘मेरे पैरेंट्स के रिलेशनशिप का असर मुझ पर भी पड़ा और आज 37 सालों बाद भी मैं जावेद से उतना ही प्यार करती हूं जितना शादी के वक्त करती थी.’
मिजवान में बिताए आखिरी दिन
शबाना आजमी ने बताया कि उनके पिता कैफी आजमी ने अपने आखिरी दिन अपने गांव ‘मिजवान’ में बिताए और हंसते-मुस्कुराते इस दुनिया को अलविदा कह गए. उन्होंने बताया कि उनकी मां बेहद रोमांटिक थी और उन्हें कैफी आजमी ने अपनी कविता से आकर्षित किया था लेकिन बाद में उनकी मजबूत कॉमरेडशिप थी जो शबाना आजमी को भी हमेशा आकर्षित करती थी और इसलिए 37 सालों के बाद भी उनकी और जावेद अख्तर की जोड़ी बॉलीवुड की सबसे मजबूत जोड़ियों में शुमार है.
पिता के कविताओं पर बोलीं
शबाना आजमी से जब यह पूछा गया कि कैफी आजमी कई कविताएं जैसे ‘बेताब दिल की तमन्ना यही है’, ‘कुछ दिल ने कहा’ जैसे कविताओं से पता चलता था उन्हें महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की काफी समझ थी. इस पर शबाना आजमी ने कहा, ‘जो बात मुझे अच्छी लगती है वो ये कि उन्होंने कभी कविताओं में गरिमा से समझौता करने जैसी बातें नहीं की. अपने क्रांतिकारी कविताओं में भी उन्होंने तीव्रता और जोश को बरकरार रखा. यहां तक कि, ‘वक्त ने किया क्या हसीन सीतम’ और ‘कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है’ जैसे गानों में भी, यह शब्दों की सादगी और भावनाओं की तीव्रता और तड़प थी, जो अलग से दिखाई दी.
पिता के बारे में बोलती थीं झूठ
शबाना आजमी से जब पूछा गया कि उन्हें कब ये एहसास हुआ कि उनके पिता कैफी आजमी एक स्पेशल इंसान हैं? इस पर शबाना आजमी ने कहा, ‘बचपन में ये बिल्कुल भी आसानी से नहीं हुआ. अब्बा हमेशा से अलग. वो बाकी पिता की तरह ऑफिस नहीं जाते थे और ना तो नॉर्मल ट्राउजर या शर्ट पहनते थे. वो 24 घंटे कॉटन के सफेद कुर्ता पायजामा में रहते थे. उनकी इंग्लिश तो हमेशा से खराह थी. मैं आज भी उन्हें डैडी नहीं बाकी बच्चों की तरह कहती हूं बल्कि अब्बा बुलाती हूं. मैं स्कूल के दोस्तों के सामने ऐसा कहने से बचती थी. मैं झूठ बोलती थी कि वो बिजनस करते हैं. पृथ्वी पर कवि का क्या अर्थ है- किसी के लिए एक तमगा जो कोई काम ना करता हो. धीरे-धीरे अब्बा फिल्मों के लिए लिरिक्स लिखने लगे और मेरी एक दोस्त ने मुझसे कहा कि उसके पिता ने मेरे पिता का नाम न्यूजपेपर में पढ़ा था. 40 बच्चों की क्लास में मैं अकेली थी जिसके पिता का नाम न्यूजपेपर में छपता था. फिर मुझे लगने लगा कि वो अलग हैं और उन्हें कुर्ता पायजमा में देख मुझे बुरा लगना भी बंद हो गया.’
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