बॉलीवुड की कुछ मशहूर फिल्मों की एंडिंग दो बार शूट हुई थी.
नई दिल्ली: आपने अपनी फेवरेट फिल्म को सिनेमाहॉल में शायद कई बार देखा हो, लेकिन कभी ऐसा हो कि वह फिल्म आपको दोबारा देखने को मिले, जिसकी एंडिंग कुछ और हो, तो आप यकीनन हैरान हुए बिना रह नहीं पाएंगे. दरअसल, बॉलीवुड की कई पॉपुलर फिल्में हैं, जिनकी एक नहीं, दो एंडिंग हैं, जिन्हें या तो कभी दिखाया नहीं गया या फिर टीवी पर कभी-कभार दिखा दिया गया हो. ‘शोले’ के बारे में ज्यादातर लोगों को पता होगा कि इसकी दो एंडिंग रखी गई थीं, पर कुछ और पॉपुलर फिल्में हैं जिनके क्लाइमैक्स को दो या तीन बार शूट किए गए थे, जिनमें से एक एंडिंग को फिल्म में दिखाया गया, पर दूसरी एंडिंग के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.
शोले: फिल्म ‘शोले’ की एक एंडिंग से तो सभी वाकिफ हैं कि ठाकुर आखिर में कैसे गब्बर सिंह को अपने कील वाले जूतों से मारता है. कहते हैं कि ‘शोले’ की ऑरिजिनल एंडिंग कुछ और ही रखी गई थी. दरअसल, डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने पहले फिल्म का क्लाइमैक्स ऐसा रखा था, जिसमें ठाकुर, गब्बर सिंह को अपने जूतों से कुचल-कुचल कर मार देता है, जिसमें बहुत ज्यादा खून-खराबा देने को मिलता है, पर सेंसर बोर्ड ने ज्यादा हिंसात्मक सीन को बदलने को कहा. फिल्म को कंट्रोवर्सी से बचाने के लिए रमेश सिप्पी ने इसमें दूसरी एंडिंग रखना जरूरी समझा.
आंखें: अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, अर्जुन रामपाल, परेश रावल और सुष्मिता सेन जैसी स्टारकास्ट वाली ‘आंखें’ साल 2002 में रिलीज हुई थी, जिसमें एक बैंक का एक्स मैनेजर तीन अंधे लोगों की मदद से बैंक लूटने का प्लान बनाता है. फिल्म की सामान्य एंडिंग में अमिताभ बच्चन जेल चले जाते हैं और अक्षय कुमार और अर्जुन रामपाल को परेश रावल के हार्मोनियम में रखा सोना मिल जाता है, पर इसके मेकर्स ने इसकी एक दूसरी एंडिंग भी शूट की थी जो टीवी पर भी दिखाई गई है. दूसरी एंडिंग में अमिताभ पुलिस को पैसे देकर छूट जाते हैं और अपनी जगह किसी दूसरे को जेल में बंद करवा देते हैं, वहीं अक्षय और अर्जुन ट्रेन में बैठकर परेश रावल का हार्मोनियम लेकर जा रहे होते हैं और अमिताभ बच्चन उन्हें जाते हुए देख रहे होते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी एंडिंग इसलिए दिखाई गई, ताकि इसके आगे की कहानी दिखाई जा सके, लेकिन दूसरा पार्ट कभी बन नहीं पाया.
कयामत से कयामत तक: आमिर खान और जूही चावला की इस फिल्म में दर्शकों ने दुखभरी एंडिंग देखी है, पर डायरेक्टर मंसूर अली खान के पिता और आमिर खान के चाचा नासिर हुसैन चाहते थे कि फिल्म में हैप्पी एंडिंग हो, क्योंकि लोग हमेशा खुशनुमा अंत ही देखना पसंद करते हैं. मंसूर खान ने पिता का मन रखने के लिए हां कह तो दिया, पर क्लाइमैक्स में दुखभरी एंडिंग ही रखी. उन्होंने पिता को खुश करने के लिए, इसकी एक हैप्पी एंडिंग भी शूट कर ली थी, आखिर में पिता को समझा लिया कि यह दुखभरी एंडिंग ही फिल्म में रखनी चाहिए, जिसमें आमिर और जूही चावला अंत में मर जाते हैं.
बाजीगर: शाहरुख खान, काजोल और शिल्पा शेट्टी की फिल्म ‘बाजीगर’ 1993 में रिलीज हुई थी, जिसके अंतिम सीन में शाहरुख खान अपनी मां (राखी गुलजार) की गोद में अंतिम सांस लेते हैं, पर रिलीज से पहले फिल्म से जुड़े लोग एंडिंग से खुश नहीं थे. राखी गुलजार को भी लगता था कि इसकी एंडिंग कुछ और होनी चाहिए. उन्होंने डायरेक्टर अब्बास मस्तान से कहा कि शाहरुख खान को आखिर में मरते हुए नहीं दिखाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे लोगों का दिल टूट जाएगा. शाहरुख खान को ऐसा दिखाना चाहिए कि वह मरे नहीं हैं और पुलिस उन्हें अरेस्ट करके ले गई है. अब्बास मस्तान ने फिल्म की दूसरी एंडिंग भी शूट कर ली और इसके स्पेशल प्रीमियर में खास लोगों को दोनों एंडिंग के साथ फिल्म दिखाई गई. तब राखी गुलजार सहित ज्यादातर लोगों को लगा कि फिल्म की एंडिंग वही रखी जानी चाहिए, जो अब्बास मस्तान ने पहले ही सोच रखी थी.
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