सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) प्रोफेशनल फ्रंट के साथ-साथ अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं. सुष्मिता अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी रही हैं. चाहे सिंगल मदर के तौर पर बच्चों को गोद लेने का मामला रहा हो या अपनी लव लाइफ को लेकर, सुष्मिता ने हमेशा बोल्ड फैसले लिए हैं. सुष्मिता ने अपनी बड़ी बेटी रेने सेन (Renee Sen) को साल 2000 में गोद लिया था. इसके 10 साल बाद 2010 में दूसरी बेटी अलीसा सेन को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया. हालांकि ये सफर आसान नहीं रहा, इस दौरान आई मुश्किलों के बारे में एक्ट्रेस ने बताया है.
1994 में सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स का ताज पहना और उसके बाद 1996 में महेश भट्ट की फिल्म ‘दस्तक’ से बॉलीवुड डेब्यू किया था. इसके बाद कई फिल्मों में काम किया. ट्विंकल खन्ना के शो में सुष्मिता सेन ने अपनी बड़ी बेटी रेने को एडॉप्ट करने के दौरान आई मुश्किलों को याद किया.
बच्ची गोद लेने के बाद शादी के बाद क्या होगा ?
सुष्मिता सेन ने बताया, ‘जब मैंने ये फैसला किया था उस समय 21 साल की थी. जज ने मुझे देख कर कहा कि मेरे 38 साल के करियर में अगर मैंने इस ऑर्डर पर साइन कर दिया और तुमने इसे ठीक से नहीं किया तो तुम और मैं दोनों ही जिम्मेदार होंगे. ये सुनकर मैं रोने लगी थी. फिर जज ने बाबा से सवाल किया कि मिस्टर सेन इस फैसले से आपकी बेटी की शादी और बहुत कुछ पर असर होगा, आपको कोई डर या समस्या नहीं है ?’
बाबा के जवाब के जज ने लगाई मुहर
सुष्मिता ने आगे बताया, ‘मेरे बाबा ने कहा कि कोई भी पिता इस फैसले के साथ नहीं होगा. लेकिन हमने उसकी परवरिश इसी तरह से की है कि उसकी पहचान किसी की वाइफ के तौर पर ना हो. और मुझे यकीन है कि अपने हर फैसले की तरह इसे भी निभाएगी. उसके साथ मैं हूं, उसकी मां है और पूरा परिवार है. बाबा की इसी बात के बाद जज ने एडॉप्शन के फैसले पर मुहर लगाई’.
सुष्मिता ने बताया कि जैसे ही कोर्ट की सुनवाई पूरी हुई मैंने बाबा और ड्राइवर से कहा कि बाबा जैसे ही बाहर निकलेंगे रूम से, गाड़ी स्टार्ट करो, हम भाग जाएंगे बच्चे को लेके, क्योंकि ये तो मजाक है. ये नो नहीं कह सकते.
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