अपने दौर के सबसे महंगे संगीतकार ओ पी नैय्यर, पर नहीं किया लता मंगेशकर के साथ काम

ओपी नैय्यर को एक स्टाइलिश संगीतकार के रूप में याद किया जाता है.
संगीतकार ओ पी नैय्यर (O.P. Nayyar) एक बार जो सोच लेते थे, उसपर कायम रहते थे. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि उन्होंने लता मंगेशकर के साथ कभी काम नहीं किया. 73 फिल्मों में संगीत देने के बावजूद उन्होंने कभी लता जी से एक भी गाना नहीं गवाया.
- News18Hindi
- Last Updated: January 28, 2021, 11:31 AM IST
नई दिल्ली. बॉलीवुड (Bollywood) के सबसे बेहतरीन गाने देने वाले संगीतकार ओ पी नैय्यर (O.P. Nayyar) आज ही के दिन दुनिया से हमेशा के लिए अलविदा कह गए थे. ओ पी नैय्यर हिंदी सबसे स्टाइलिश संगीतकार माने जाते थे. 16 जनवरी 1926 को लाहौर में जन्में नैय्यर साहब का पूरा नाम ओम प्रकाश नैय्यर था. न जाने कितनी ही फिल्मों को अपने संगीत से सजाने वाले ओ पी नैय्यर ने कभी संगीत की शिक्षा नहीं ली थी. ओ पी साहब अपनी शर्तों पर जीवन वाले व्यक्ति थे और इंडस्ट्री में उनके इस स्वभाव को सभी अच्छे से जानते थे.OP Nayyar
1949 में फिल्म 'कनीज' से म्यूज़िक डायरेक्टर, कंपोजर के तौर पर ओ पी नैय्यर ने अपने करिअर की शुरुआत की. बतौर संगीतकार उनकी पहली फिल्म 'आसमान' थी. ओ पी नैय्यर अपने जमाने के सबसे महंगे संगीतकार थे. नैय्यर साहब एक बार जो सोच लेते थे, उसपर कायम रहते थे. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि उन्होंने लता मंगेशकर के साथ कभी काम नहीं किया. लता मंगेशकर की आवाज नैय्यर साहब को कभी नहीं भायी. यही वजह है कि 73 फिल्मों में संगीत देने के बावजूद उन्होंने कभी लता जी से एक भी गाना नहीं गवाया. वहीं आशा भोंसले की आवाज की वेरिएशन का बखूबी इस्तेमाल करते हुए ओ पी नैय्यर ने उन्हें सिंगिंग स्टार बनाया.
बता दें कि ओ पी नैय्यर को इंग्लिश फिल्में देखना बेहद पसंद था. वो हॉलीवुड के स्टाइल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने भी हैट पहननी शुरू कर दी, जो उनका सिग्नेचर स्टाइल बन गया था. पचास के दशक के दौरान आल इंडिया रेडियो ने ओ पी नैय्यर के संगीत को ज्यादा मॉर्डन और पश्चिमी कल्चर से प्रेरित बताते हुए उनके गानों पर बैन लगा दिया था. नैय्यर साहब को इस बात से रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा और एक से बढ़कर एक धुन बनाते रहे, जो सुपरहिट गानों में तब्दील होते रहे.
नैय्यर साहब इंडस्ट्री में जिद्दी और विद्रोही स्वभाव के लिए जाने जाते थे. उनका ये स्वभाव उनके आखिरी वक्त तक उनके साथ रहा. 28 जनवरी 2007 को उन्होंने दुनिया से अलविदा कह दिया.
1949 में फिल्म 'कनीज' से म्यूज़िक डायरेक्टर, कंपोजर के तौर पर ओ पी नैय्यर ने अपने करिअर की शुरुआत की. बतौर संगीतकार उनकी पहली फिल्म 'आसमान' थी. ओ पी नैय्यर अपने जमाने के सबसे महंगे संगीतकार थे. नैय्यर साहब एक बार जो सोच लेते थे, उसपर कायम रहते थे. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि उन्होंने लता मंगेशकर के साथ कभी काम नहीं किया. लता मंगेशकर की आवाज नैय्यर साहब को कभी नहीं भायी. यही वजह है कि 73 फिल्मों में संगीत देने के बावजूद उन्होंने कभी लता जी से एक भी गाना नहीं गवाया. वहीं आशा भोंसले की आवाज की वेरिएशन का बखूबी इस्तेमाल करते हुए ओ पी नैय्यर ने उन्हें सिंगिंग स्टार बनाया.
बता दें कि ओ पी नैय्यर को इंग्लिश फिल्में देखना बेहद पसंद था. वो हॉलीवुड के स्टाइल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने भी हैट पहननी शुरू कर दी, जो उनका सिग्नेचर स्टाइल बन गया था. पचास के दशक के दौरान आल इंडिया रेडियो ने ओ पी नैय्यर के संगीत को ज्यादा मॉर्डन और पश्चिमी कल्चर से प्रेरित बताते हुए उनके गानों पर बैन लगा दिया था. नैय्यर साहब को इस बात से रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा और एक से बढ़कर एक धुन बनाते रहे, जो सुपरहिट गानों में तब्दील होते रहे.