आरआरआर और बाहुबली जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लेखक ने कहा, किसी के पास नहीं होती नई कहानी.
मुंबई. मेगाहिट, बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई करने वाली फिल्म बाहुबली और आरआरआर के लेखक केवी विजयेंद्र प्रसाद मूवीज की कहानियां लिखते नहीं बल्कि चुराते हैं. चौंकिए मत, ये दावा हम नहीं कर रहे, बल्कि खुद बाहुबली के डायरेक्टर एसएस राजामौली के पापा विजयेंद्र प्रसाद ने गोवा फिल्म फेस्टिवल में ये बात कही है. गोवा में चल रहे 53वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में जब वह एक वर्कशॉप में बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने वहां मौजूद लोगों को यह कहकर चौंका दिया कि मैं कहानियां लिखता नहीं, चुराता हूं. कोई भी इस बात पर भरोसा नहीं कर पा रहा था कि बड़ी-बड़ी ब्लॉक-बस्टर फिल्मों को अपनी कलम से गढ़ने वाला लेखक कहानियां चुराता है.
वर्कशॉप में मौजूद कोई भी व्यक्ति खुद स्वीकार करने के बाद भी ये बात मानने को तैयार ही नहीं था. फिर सिल्वर स्क्रीन पर कहानियों का मायाजाल बनने वाले लेखक ने अपने ही रचे तिलस्म को तोड़ते हुए कहा कि मैं अपने आसपास से कहानियां चुराता हूं. केवी विजयेंद्र प्रसाद ने फिल्म महोत्सव में आयोजित ‘द मास्टर्स राइटिंग प्रोसेस वकशॉप’ में युवा लेखकों से कहा कि जो जितना बेहतर तरीके से झूठ बोल सकता है, वो व्यक्ति उतनी ही शानदार कहानी भी लिख सकता है. उन्होंने युवा लेखकों को बेहतरीन स्टोरी और स्क्रिप्ट लिखने के गुर सिखाते हुए कहा कि अच्छे लेखक को अपने आसपास मौजूद अफवाहों, चर्चाओं, किस्सों को झूठ में लपेटकर ऐसे पेश करना होता है, जिससे वो देखने या पढ़ने वाले को अपनी कहानी सी लगे.
‘किसी लेखक के पास नहीं होती नई कहानी’
विजयेंद्र ने कहा कि अच्छी कहानी गढ़ने के लिए कुछ भी नया नहीं करना पड़ता है. दरअसल, किसी के पास कोई नई कहानी नहीं होती है. हर लेखक के पास अपने और दूसरों के आसपास हुई घटनाओं को नए अंदाज में पेश करने की आर्ट होती है. उन्होंने कहा कि युवा लेखक कहानी लिखते समय अपनीी कहानी और उसके किरदारों को इस अंदाज में लिखना चाहिए, जिसे देखने, पढ़ने या सुनने वाले के अंदर आगे की घटनाओं को जानने की तेज इच्छा पैदा हो सके. उन्होंने दोहराया कि हमारे आसपास ही अच्छी से अच्छी कहानी का मसाला मौजूद होता है, हमें बस उसे पहचाकर शानदार तरीके से पेश करना होता है.
‘अपने लेखन का खुद बनना चाहिए आलोचक’
‘भाईजान’ के लेखक केवी विजयेंद्र ने कहा कि लेखकों को हमेशा नए विचारों का स्वागत करना चाहिए. उन्हें दिमागी तौर पर हर विचार के लिए खुद को खुला रखना चाहिए. आजकल लेखक कोई उनके काम की आलोचना कर दे तो परेशान हो जाते हैं. इससे परेशान होने के बजाय पहले अपने काम का खुद आलोचक बनना चाहिए. फिर दूसरों की ओर से आने वाली आयोचनाओं का आकलन करना चाहिए. जरूरी हो तो अपने काम में सुधार करना चाहिए. अच्छा लेखक वही है, जो आसपास की हर चीज पर विचार कर उसे अपने लेखन में अपना पाता है. इससे लेखक का काम लगातार बेहतर होते हुए बेहतरीन की दिशा में बढ़ता जाता है. उन्होंने कहा कि मैंने कोई नई कहानी नहीं लिखी. बस पहले से उपलब्ध कहानी को जरूरत के मुताबिक नए सिरे से गढ़ा.
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