गुरु दत्त ने गीता दत्त से साल 1953 में शादी की थी.
नई दिल्ली. बॉलीवुड में ऐसे कई सितारे रहे हैं जो शादीशुदा होते हुए भी अपना दिल किसी और को दे बैठे. इससे उनकी पारिवारिक जिंदगी तो तबाह हुई है तो कई बार प्यार का अंत भी दर्दनाक भी रहा. वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण उर्फ गुरु दत्त भी प्यार के चक्कर में अपना सबकुछ गंवा बैठे. और आखिर में मौत को गले लगा बैठे. प्यासा, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद और साहेब बीवी और गुलाम जैसे ब्लॉकबस्टर फिल्में देने वाले गुरु दत्त प्रोफेशनल लाइफ जितनी सफल थी, पर्सनल लाइफ उतनी ही ट्रैजिक रही. उन्होंने दो मशहूर हस्तियों से इश्क किया लेकिन आखिरी समय अकेले प्यार को तरसते रह गए. सिर्फ 39 की उम्र में वह तन्हाई में दुनिया को छोड़ कर चले गए. आइये जानते हैं गुरु दत्त की गीता दत्त और वहीदा रहमान से इश्क की कहानी…
बाजी के सेट पर हुआ गीता दत्त से प्यार
गीता दत्त अपने दौर की स्टार गायिका रही हैं. उनके सदाबहार गाने चिन चिन चू, बाबू जी धीरे चलना, आंखों ही आंखों में आज भी लोगों की जुबान पर रहता है. गुरुदत्त से गीता की पहली मुलाकात फिल्म बाजी के सेट पर हुई. गुरु दत्त उन्हें देखते ही दीवाने हो गए. गीता भी गुरुदत्त के डायरेक्शन की कायल थीं. सेट पर दोनों का प्यार परवान चढ़ा और इस खूबसूरत जोड़ी ने शादी का फैसला कर लिया. हालांकि, गीता के परिवार को यह रिश्ता नामंजूर था. दोनों परिवार के विरोध के बावजूद साल 1953 में साधारण तरीके से शादी कर ली. इस शादी से कपल को तीन बच्चे तरुण दत्त, अरुण दत्त और नीना दत्त हुए.
शादी के 3 साल बाद आ गई दरार
गुरु दत्त का जिक्र जब भी होता है तो वहीदा रहमान का नाम जरूर होता है. गुरु दत्त वहीदा रहमान को दीवानों की तरह चाहते थे. उन्होंने ही वहीदा को साल 1956 में आई फिल्म सीआईडी में काम दिलवाया था. इस फिल्म के बाद वहीदा रहमान गुरु दत्त के साथ ही ‘प्यासा’ में दिखाई दीं. यह फिल्म भारतीय सिने इतिहास में अलग दर्जा रखती है. फिल्म की शूटिंग के दौरान की दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी और उनके इश्क के चर्चे आम हो गए. जब यह बात गीता दत्त को पता चली तो गुरु दत्त के जिंदगी में उथल पुथल मच गई.
पति, पत्नी और वो… के चक्कर में टूटा घर
गीता दत्त गुरु दत्त और वहीदा रहमान के रिश्ते से नाराज होकर अपने तीनों बच्चों के साथ मां के पास चली गईं. या यूं कहे तो उन्होंने गुरु दत्त को छोड़ दिया. वहीं दूसरी ओर गुरु दत्त के पजेसिव बिहेवियर की वजह से वहीदा भी धीरे-धीरे उनसे दूर हो गईं.
जब गीता दत्त ने की गुरु दत्त की जासूसी
एक बार गुरु दत्त को रंगे हाथों पकड़ने के लिए गीता दत्त ने जाल बिछाया. एक दिन गुरु दत्त के पास वहीदा रहमान के नाम से खत पहुंचा जिसमें लिखा था ‘मैं आपसे बात करना चाहती हूं, सुध-बुध खो चुकी हूं, न जाने आपने क्या कर दिया.” खत के आखिर में मिलने का बुलावा था. गुरु दत्त इस खत को पढ़कर हैरान हुए क्योंकि वह दिन वहीदा से सेट पर मिलते थे. उन्होंने अपने दोस्त और फिल्म राइटर अबरार अलवी से इस मसले पर चर्चा की. अबरार पहली ही नजर में भांप गए कि यह खत वहीदा ने नहीं लिखा.
खत का सच पता करने के लिए तय समय पर गुरु दत्त और अबरार नरीमन प्वाइंट पहुंचे. थोड़ी देर में एक कार से गीता दत्त और उनकी दोस्त उतरीं. इस वाकये से गुरु दत्त बेहद खफा हो गए और उन्होंने गीता पर हाथ भी उठा दिया. इस घटना के बाद दोनों अलग हो गए. ‘गुरुदत्त द अनसेटिसफाइड स्टोरी’ किताब के अनुसार, एक बार गीता दत्त ने वहीदा पर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा था ‘जब से वो हमारी जिंदगी में आई है, तबसे जिंदगी नरक हो गई है’.
शराब के नशे में टूटा गुरु दत्त का दम
कहा जाता है कि आखिरी वक्त गुरु दत्त अपनी जिंदगी में बेहद तन्हा हो गए थे. उन्होंने शराब को अपना साथी चुन लिया. उनकी मौत भी रहस्यमयी तरीके से हुई. 10 अक्टूबर 1964 उनकी जिंदगी का आखिरी दिन था. उस समय वह ‘बहारे फिर भी आएंगी’ फिल्म पर काम कर रहे थे. आखिरी शाम उन्होंने अपने दोस्त अबरार अलवी के साथ गुजारी. 1 बजे रात में अलवी उनके घऱ से खाना खाकर गए. अगले दिन गुरु दत्त अपने घर में मृत पाए गए. पलंग की बगल की मेज पर एक गिलास रखा हुआ था, जिसमें एक गुलाबी तरल पदार्थ अभी भी थोड़ा बचा हुआ था. वहीं एक किताब खुली हुई थी.
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