‘पंचायत’ वेब सीरीज (Panchayat) ओटीटी पर सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली बेव सीरीज में शामिल हो गई है. गांव की छोटी-छोटी खुशियां और नोक-झोंक को अपने में समाई इस वेब सीरीज को देखने वाले इसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. ‘पंचायत’ ने जहां जितेंद्र कुमार जैसे उभरते कलाकरों को अपनी दमदार स्किल दिखाने का मौका दिया, तो वहीं चंदन रॉय (Chandan Roy) जैसे एक्टर को एक अलग पहचान दी. वही चंदन जो अभिषेक सर को ‘अविषेक सर’ और सड़क को ‘सरक’ कहते नजर आते हैं, यानी सचिव जी के सहायक विकास.
‘पंचायत’ वेब सीरीज में चंदन रॉय की एक्टिंग को काफी पसंद किया जा रहा है. इंडिया टुडे के साथ एक बातचीत में अपने बारे में बताते हुए चंदन ने कहा कि “मैं थिएटर बैकग्राउंड से रहा हूं. मुझे विकास का किरदार मिला तो मैंने सोच लिया था कि मैं एक्टिंग नहीं करूंगा, बस विकास ही बन जाऊंगा और इसी कारण मैं लोगों को बहुत नेचुरल लगा.”
‘पंचायत’ के लिए फिर बिगाड़नी पड़ी अपनी भाषा
सीरीज में विकास अभिषेक को ‘अविषेक’ और सड़क को ‘सरक’ कहते नजर आते हैं. इसके पीछे की वजह बताते हुए चंदन कहते हैं कि, “जब मैं बिहार में रहता था तो ऐसे ही बोलता था, लेकिन जब मुंबई आया तो काफी सारा टाइम इन सब चीजों को ठीक करने में निकल गया. जब ठीक कर लिया तो मुझे ‘पंचायत’ मिल गई और मुझे फिर से बिहार में अपने गांव जाकर अपनी भाषा को बिगाड़ना पड़ा”.
करियर बनाने के लिए तय किया एक लंबा सफर
अपनी जर्नी के बारे में बताते हुए चंदन कहते हैं, “मैं दिल्ली में दो साल तक जर्नलिस्ट रह चुका हूं. वहां से थिएटर की शुरुआत हुई. 2017 में जब मैं मुंबई आया तो करियर बनाने के लिए यहां की सड़कों पर खूब पापड़ बेलने पड़े. अपमान सहे और अपने हालात पर बहुत रोया भी.” चंदन अपने संघर्ष के दिनों का एक किस्सा सुनाते हुए कहते हैं-
“मुझे मुंबई आए हुए 10 दिन ही हुए थे कि एक रियलिटी शो से कॉल आया और कहा कि 2,500 रुपए मिलेंगे. यह सुनकर मैं खुश हो गया और सोचा कि उस पैसों से अपने लिए एक मैट्रेस और जूता खरीद लूंगा, लेकिन जब फीस मिलने का समय आया तो मेरे हाथ केवल 215 रुपये ही आए. जब मैंने नहीं पूछा कि बात तो 2500 रुपए की हुई थी, तो उसने कहा कि 250 ही कहा गया था. उस समय में बहुत रोया और सोच रहा था कि मैं कहां पहुंच गया, लेकिन मेरी असल कहानी यहीं से शुरू हुई थी.”
‘पंचायत’ से बदल गई जिंदगी
चंदन कहते हैं कि, “अब मेरा संघर्ष पूरा हो चुका है. अब मैं काम को लेकर काफी चूजी हो गया हूं और पैसों को लेकर मोलभाव भी करता हूं. ये सभी बदलाव ‘पंचायत’ के बाद आए हैं, नहीं तो इससे पहले मैं स्क्रीन पर लाश तक बनने के लिए राजी हो जाया करता था. हजार रुपए के लिए भी काम कर लेता था. ज्यादा भूख लगती तो 10 रुपये में 3 केले खरीद लेता था, लेकिन अब मैं अपने लिए एक अच्छी जगह घर खरीदने की सोच रहा हूं, ताकि जो अमीर टाइप लोग मुझसे मिलने आएं, तो मेरा घर देखकर मुझे जज न कर पाएं.
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