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क्या आप जानते हैं क्यों लगती है हमें भूख?

खाने के बिना हम अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जब हमें भूख का एहसास होता है तो हमें खाने की जरूरत महसूस होती है।

खाने के बिना हम अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जब हमें भूख का एहसास होता है तो हमें खाने की जरूरत महसूस होती है।

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    नई दिल्ली। खाने के बिना हम अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जब हमें भूख का एहसास होता है तो हमें खाने की जरूरत महसूस होती है। क्या आप जानतें हैं कि आखिर हमें भूख क्यों लगती है।  वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस में दो ऐसे केंद्र होते हैं, जो हमारी खाने संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण रखते हैं। इनमें से एक केंद्र हमें खाने के लिए प्रेरित करता है तो दूसरा हमें क्षुधा शांत हो जाने का संकेत देता है।

    इन दोनों केंद्रों को सम्मिलित रूप से एपेस्टेट कहते हैं। इसके अतिरिक्त हार्मोन भी भूख लगने और आवश्यकता पूरी हो जाने के चक्र को नियंत्रित करते हैं। कुछ वर्ष पहले हावर्ड ह्यूग्स मेडिकल इंस्टीट्यूट के जेफरे फ्रीडमान ने चूहे में ओबेस जीन की पहचान की थी, जिसके द्वारा उत्पादित प्रोटीन वास्तव में उनमें संतुलन बनाए रखता है, तब ही उन्होंने मनुष्यों में इसकी प्रतिपक्षी जीन की भी पहचान की थी।

    यह जीन लेप्टिन नामक प्रोटीन के लिए कोडित होती है। यह प्रोटीन मुख्य रूप से किसी भी व्यक्ति में भूख एवं उपापचय दर बढ़ाने-घटाने के लिए उत्तरदायी होते हैं। बाद में मिलेनियम फार्मास्युटिकल्स ने कोशिका भित्ति पर पाए जाने वाले ग्राही की पहचान की, जो लेप्टिन के अणुओं से जुड़े होते हैं।

    ये प्रोटीन कोशिकाओं में इस प्रकार प्रवेश करते हैं कि विशेष उपापचयी क्रिया आरंभ हो जाती है। इस जीन या ग्राही प्रोटीन में कोई भी दोष इस उपापचयी क्रिया को गड़बड़ा देता है, जिसके परिणामस्वरूप हमारी पाचन संबंधी क्रियाएं भी सही नहीं रहतीं।

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