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FILM REVIEW : धीरे धीरे देखने पर भी असर नहीं करती 'वोडका डायरीज़'

वोदका डायरीज़ में के के कातिल के साथ साथ अपनी पत्नी को भी ढूंढ रहे हैं

वोदका डायरीज़ में के के कातिल के साथ साथ अपनी पत्नी को भी ढूंढ रहे हैं

मनाली की वादियों और के के की जबर्दस्त एक्टिंग को छोड़ दें तो आपके पास जो रह जाता है वो कुछ खास नहीं है.

    समीक्षक - विवेक शाह

    मनाली की बर्फीली वादियों में एसीपी अश्विनी दीक्षित एक ही रात में हो रहे है कई खूनों की गुत्थी को सुलझाने में लगा है. इन सभी कत्लों के तार बार बार जाकर जुड़ जाते हैं एक नाइट क्लब से जिसका नाम है 'वोदका डायरीज़'.

    भारतीय मानको पर लाकर बनाई गई इस हॉलीवुड फिल्म 'शटर आईलैंड' के रीमेक को आप शायद ही पसंद कर पाएं. अपने करियर की शुरुआत कर रहे निर्देशक कुशल श्रीवास्तव की पहली ही फिल्म ज्यादा दमदार नहीं है. सर्दियों की बर्फ से ढंके मनाली शहर के एक नाइट क्लब 'वोदका डायरीज़' में एक के बाद एक लाशें मिलने लगती हैं. जब एसीपी अश्विनी दीक्षित (के के मेनन) इस केस की पड़ताल में लगतें हैं तो जाँच के दौरान उनकी पत्नी (मंदिरा बेदी) गायब हो जाती हैं. इसके बाद एंट्री होती है एक रहस्यमयी महिला (राइमा सेन) की जो एसीपी को कातिल के छोड़े सुराग ढूंढने में मदद करती है और उसे उसकी पत्नी तक ले जाती है.

    वोदका डायरी एक खराब फिल्म है, फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री की तरह शुरु होती है और एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर बन जाती है. फिल्म की शुरुआत के कुछ मिनटों में ही पता चल जाता है कि ये हॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 'शटर आइलैंड' का खराब रीमेक है. इसके बाद फिल्म की गति इतनी धीमी है कि आप उकताने लगते हैं. फिल्म में कातिल और पुलिस के बीच की दौड़ आपको बांधे नहीं रखती और रही सही कसर पूरी कर देते हैं फिल्म के कमजोर संवाद.

    हालांकि फिल्म में कलाकारों का अभिनय अच्छा है, के के मेनन अपने रोल के साथ पूरी मेहनत करते नज़र आ रहे हैं. एक पति जिसकी पत्नी खो गई है और एक पुलिसवाला जिसके हाथ में एक केस है, वो इस दुविधा वाले रोल को बखूबी निभाते हैं. एक कवियत्री के रोल में मंदिरा प्रभावित करती हैं. फिल्म से पहले के के मेनन खुद कह चुके हैं कि मंदिरा ने इस फिल्म में अपनी शायरी और कविताओं पर बहुत मेहनत की है जो पर्दे पर दिखती है. हालांकि राइमा के लिए फिल्म में बहुत ज्यादा दृश्य नहीं रखे गए हैं.

    देखिए : फिल्म वोदका डायरीज़ की कास्ट का स्पेशल इंटरव्यू

    मनाली की वादियों और के के की जबर्दस्त एक्टिंग को छोड़ दें तो आपके पास जो रह जाता है वो कुछ खास नहीं है. फिल्म की एडिटिंग अजीब है और सस्पेंस फिल्म के संगीत के तौर पर इस फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर निराशा पैदा करता है. फिल्म धीमी है और संगीत इसे बोझिल भी करता है.

    अगर आपने हॉलीवुड फिल्म 'शटर आईलैंड' देखी है तो इस फिल्म को ना देखें यही बेहतर होगा. कुछ केस सॉल्व नहीं किए जाए, इसी में भलाई होती है और वोदका डायरीज़ भी ऐसा ही एक केस है. लेकिन आप के के मेनन के बड़े फैन हैं तो हां ये फिल्म आपके लिए है.

    (अंग्रेज़ी में इस समीक्षा को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

    Tags: Film review, Kay Kay Menon, Vodka Diaries

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