साबरकांठा. आज विश्व पर्यावरण दिवस है. हम आज गुजरात के साबरकांठा जिल्ले के एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी के बारे में जानेंगे जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता के लिए 60 हजार से अधिक पत्र लिखे हैं और उनका नाम है रामभाई चारण जिन्होंने पत्र के माध्यम से लोगों को जगाया था, तो अब वह इडरगढ़ (किल्ला) में हो रहे खनन को रोकने के लिए पत्र लिखकर नए इडर के इतिहास को बचाने का अभियान भी चला रहे हैं.
उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिल्ले के इडर तालुका के कुवावा गाँव के रामभाई चारण प्रकृति प्रेमी, पर्यावरण प्रेमी और सेवानिवृत्त शिक्षक हैं. इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी मिल चुका है. जब वे एक शिक्षक थे तब से ही उन्हें पत्र लिखने का शौक रहा है, जिसके कारण उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण के लिए 60 हजार से अधिक पत्र लिखे हैं और लोगो को जागरूक किया है. इसके अलावा उन्होंने पौधारोपण भी किया, कब्रिस्तान में वड़ लगाने के साथ ही कई जगह पेड़ भी लगाए हैं. यही वजह है कि लोग उन्हें पर्यावरण प्रेमी के रूप में पहचानते हैं.
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रामभाई चारण के अनुसार, पर्यावरण को बचाने के लिए 60,000 से अधिक पत्र लिखे गए हैं. इसके अलावा पीएम मोदी के सम्मान में वड का पेड़ उगाने के लिये करीब दो हजार पत्र भी लिखे हैं. उन्होंने कहा कि अब वे इडरियो किले को बचाने के लिए 10 हजार से ज्यादा पत्र लिखेंगे. उन्होंने कहा, 'इडर का किला एक राष्ट्रीय विरासत स्थल है, तो इसका खनन क्यों किया जा रहा है? इडर स्टोन का खनन नहीं होता ये इतिहास समाप्त हो रहा है. ऐसी भूमि का विनाश हमारे लिए शुभ संकेत नहीं है. मेरी गतिविधि पर्यावरण को बचाना है. मुझे यह कार्य पसंद है और आनंद देता है. मैं और मेरे दोस्त पिछले 14 सालों से इडर के किले को हरा-भरा बनाने के लिए काम कर रहे हैं. हम किले में जाते हैं, मिट्टी के लड्डू में बीज डालते हैं और वहां रोप देते हैं, ताकि यह बारिश में अंकुरित हो जाए. इसके लिए हम चिलचिलाती धूप में भी काम करते हैं.'
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रामभाई को कई पुरस्कार भी मिले हैं जिसके लिए उन्होंने पत्र लिखना जारी रखा. उन्होंने प्रधानमंत्री के सम्मान में भी 2 हजार पोस्टकार्ड लिखे हैं. जिसमें उन्होंने लिखा था, 'एक वड का पेड़ लगाओ.' अब उन्होंने इडर किले में खनन बंद करने के लिए पत्र लिखना शुरू कर दिया है क्योंकि इडर किला एक ऐतिहासिक धरोहर है. गुजरात की शान और संतों की भूमि है.
इडर किले पर हो रहा खनन बंद कर दिया जाए और किले पर पेड़-पौधे लगा कर हराभरा कर पर्यावरण का संरक्षण हो, इसलिए उन्होंने लगभग 10 हजार पत्र लिखना शुरू किया है. हर दिन पत्र लिखकर इसे हर दिन डाकघर में भेजते है. इस काम में उनके साथ उनके बड़े भाई भी मदद करते हैं.
शिक्षक कभी भी साधारण नहीं होते. प्रलय और निर्माण भी उसके गोद मे पलट जाते हैं. इस कहावत को सार्थक बनाकर रामभाई चारण ने पर्यावरण को संरक्षित किया है और कई लोगों को जागरूक करके पर्यावरण को बचाया है. अब वे गुजरात स्थितत साबरकांठा जिल्ले के इडर किले को बचाने के लिए आगे आए हैं.undefined
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Tags: Gujarat, World environment day
FIRST PUBLISHED : June 05, 2021, 14:39 IST