सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताई है। दिल्ली की आबोहवा को साफ सुथरा बनाने की दिशा में सरकार से तमाम विकल्पों पर गंभीरता से विचार करने को कहा है। इसमें दिल्ली में डीजल कारों पर पाबंदी और शहर से होकर गुजरने वाले ट्रकों पर पाबंदी पर विचार किया जा रहा है।
जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस आर भानुमति ने राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर हैरानी जताते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को मतभेद भुलाकर साथ आने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक दोनों सरकारें इस समस्या से निपटने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करें। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये भी कहा कि कोर्ट रूम के अंदर प्रदूषण का स्तर सामान्य से 10 गुना ज्यादा है। अब वक्त आ गया है कि प्रदूषण पर भूरे लाल कमेटी की रिपोर्ट पर पड़ी धूल हटाई जाए और उसकी सिफारिशों को गंभीरता से लागू किया जाए।
दिल्ली सरकार के सम-विषम कारों के फॉर्मूले का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि अकेले इस कोशिश से समस्या हल नहीं होगी। इसके लिए दीर्घकालिक नीति की जरूरत है। प्रदूषण की वजह से दुनिया में दिल्ली का नाम खराब हो रहा है। राजधानी को सबसे प्रदूषित शहर का नाम दिया जा रहा है। ये हमारे लिए भी शर्मिंदगी की वजह है जब विदेशी मेहमान दिल्ली की हवा की गिरती गुणवत्ता पर सवाल उठाते हैं।
कोर्ट के मुताबिक प्रदूषण की समस्या का कोई एक समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए एक साथ कई उपाय करने होंगे। केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित विभाग पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ बैठकर विचार करें और समाधान लेकर आएं।
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2015, 08:24 IST