क्या फरीदाबाद की इस सीट पर 'जाति-गणित' से फिर लहराएगा भगवा?

प्रतीकात्मक फोटो- हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019
Haryana Assembly Election: बड़खल विधानसभा क्षेत्र, जहां सूखी झील को भरना आज भी है सबसे बड़ा मुद्दा, लेकिन जातीय गणित में उलझा है चुनाव
- News18Hindi
- Last Updated: October 9, 2019, 12:26 PM IST
नई दिल्ली. हरियाणा (Haryana) की सबसे अहम विधानसभा क्षेत्रों में बड़खल का भी नाम आता है. यहां मशहूर बड़खल झील है जो अब सूख चुकी है. उसे भरने के नाम पर पहले भी चुनाव लड़ा गया है इस बार भी लड़ा जा रहा है. आमने-सामने हैं भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी. कांग्रेस (Congress) ने यहां पर पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के बेटे विजय प्रताप सिंह (Vijay Pratap) को उतारा है जबकि बीजेपी (BJP) ने अपनी निवर्तमान विधायक सीमा त्रिखा (Seema Trikha) को. त्रिखा पंजाबी समाज से आती हैं और विजय प्रताप गुर्जर. यहां कांग्रेस जाति गणित में उलझती नजर आ रही है.
बड़खल क्षेत्र में बीजेपी के अलावा किसी भी अन्य पार्टी ने पंजाबी समाज को टिकट नहीं दी है यह त्रिखा के लिए प्लस प्वाइंट है जबकि कांग्रेस के लिए मुसीबत यह है कि आम आदमी पार्टी ने धर्मवीर भड़ाना के रूप में गुर्जर समाज से प्रत्याशी उतारा है.
ऐसे में गुर्जरों का वोट बंटने की संभावना है. धर्मवीर भड़ाना ने 2014 के चुनाव में 16,949 वोट लेकर तीसरे नंबर पर आए थे. उन्होंने सीमा त्रिखा की जीत आसान कर दी थी. इस बार भी वो खड़े हैं. तो क्या जाति गणित से यहां पर फिर भगवा लहराएगा? या फिर कांग्रेस पिछली हार का बदला लेगी?
हरियाणा के दिग्गजों की है विधानसभा
बड़खल सीट पर यह तीसरा चुनाव है. इससे पहले यह मेवला महाराजपुर के नाम से जानी जाती थी. जहां हरियाणा के कद्दावर मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह (Mahendra Pratap Singh) और कृष्णपाल गुर्जर (krishan pal gurjar) जैसे बड़े नेता चुनाव लड़ते रहे हैं. गुर्जर सांसद बनकर इस वक्त केंद्र में मंत्री हैं और महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने बेटे को विजय प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है. मेवला महाराज से महेंद् प्रताप सिंह 4 बार तो कृष्णपाल गुर्जर 2 बार विधायक बन चुके हैं. महेंद्र प्रताप सिंह बड़खल से भी 2009 में विधायक बने थे.
कहा जाता है कि यह उन सीटों में से हैं जहां मतदान काफी कम होता है. ज्यादातर चुनावों में यहां 60 फीसदी से कम लोगों ने ही अपने वोट का इस्तेमाल किया है. 2009 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो बड़खल सीट पर कांग्रेस ने कद्दावर नेता महेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दी थी. उनका यह नौंवा विधानसभा चुनाव था.

महेंद्र प्रताप ने मेवला महाराजपुर सीट के अस्तित्व के दौरान 1977 से 2005 तक सभी 7 चुनाव लड़े. 1982 में लोकदल की टिकट से जीतने के अलावा वे 1987, 1991 व 2005 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने. महेंद्र प्रताप ने 1977 में अपना पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर और 2000 का चुनाव बसपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था.
2014 में बीजेपी ने ऐसे हासिल की बड़ी जीत
2014 का विधानसभा चुनाव बड़खल सीट पर ही नहीं पूरे हरियाणा में रोचक दौर में चल रहा था. बड़खल सीट पर भी हालात कोई जुदा नहीं थे. मुकाबला बीजेपी से सीमा त्रिखा और कांग्रेस के पुराने, जिताऊ उम्मीदवार महेन्द्र प्रताप सिंह के बीच था. लेकिन सीमा त्रिखा के सामने महेन्द्र प्रताप सिंह की एक न चली.
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बीजेपी, कांग्रेस और जेजेपी ने किस जाति को दिए कितने टिकट? जानें पूरा ब्यौरा
बड़खल क्षेत्र में बीजेपी के अलावा किसी भी अन्य पार्टी ने पंजाबी समाज को टिकट नहीं दी है यह त्रिखा के लिए प्लस प्वाइंट है जबकि कांग्रेस के लिए मुसीबत यह है कि आम आदमी पार्टी ने धर्मवीर भड़ाना के रूप में गुर्जर समाज से प्रत्याशी उतारा है.
ऐसे में गुर्जरों का वोट बंटने की संभावना है. धर्मवीर भड़ाना ने 2014 के चुनाव में 16,949 वोट लेकर तीसरे नंबर पर आए थे. उन्होंने सीमा त्रिखा की जीत आसान कर दी थी. इस बार भी वो खड़े हैं. तो क्या जाति गणित से यहां पर फिर भगवा लहराएगा? या फिर कांग्रेस पिछली हार का बदला लेगी?

बीजेपी ने एक बार फिर अपनी मौजूदा विधायक सीमा त्रिखा पर भरोसा जताया है. (File Photo)
बड़खल सीट पर यह तीसरा चुनाव है. इससे पहले यह मेवला महाराजपुर के नाम से जानी जाती थी. जहां हरियाणा के कद्दावर मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह (Mahendra Pratap Singh) और कृष्णपाल गुर्जर (krishan pal gurjar) जैसे बड़े नेता चुनाव लड़ते रहे हैं. गुर्जर सांसद बनकर इस वक्त केंद्र में मंत्री हैं और महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने बेटे को विजय प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है. मेवला महाराज से महेंद् प्रताप सिंह 4 बार तो कृष्णपाल गुर्जर 2 बार विधायक बन चुके हैं. महेंद्र प्रताप सिंह बड़खल से भी 2009 में विधायक बने थे.
कहा जाता है कि यह उन सीटों में से हैं जहां मतदान काफी कम होता है. ज्यादातर चुनावों में यहां 60 फीसदी से कम लोगों ने ही अपने वोट का इस्तेमाल किया है. 2009 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो बड़खल सीट पर कांग्रेस ने कद्दावर नेता महेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दी थी. उनका यह नौंवा विधानसभा चुनाव था.

कांग्रेस ने बीजेपी विधायक के सामने विजय प्रताप पर दांव लगाया है. (File Photo)
महेंद्र प्रताप ने मेवला महाराजपुर सीट के अस्तित्व के दौरान 1977 से 2005 तक सभी 7 चुनाव लड़े. 1982 में लोकदल की टिकट से जीतने के अलावा वे 1987, 1991 व 2005 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने. महेंद्र प्रताप ने 1977 में अपना पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर और 2000 का चुनाव बसपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था.
2014 में बीजेपी ने ऐसे हासिल की बड़ी जीत
2014 का विधानसभा चुनाव बड़खल सीट पर ही नहीं पूरे हरियाणा में रोचक दौर में चल रहा था. बड़खल सीट पर भी हालात कोई जुदा नहीं थे. मुकाबला बीजेपी से सीमा त्रिखा और कांग्रेस के पुराने, जिताऊ उम्मीदवार महेन्द्र प्रताप सिंह के बीच था. लेकिन सीमा त्रिखा के सामने महेन्द्र प्रताप सिंह की एक न चली.
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