Kisan Aandolan: 7 दिन में 4 किसानों की मौत, फिर भी बरकरार है हौसला

Kisan Andolan: ब्रिटिश सांसदों ने भी किया भारत में जारी किसान आंदोनल का समर्थन. (फोटो- AP)
Kisaan Aandolan: किसानों ने मांग की है कि आंदोलन में शहीद (Martyr) होने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी (Government job) दी जाए.
- News18Hindi
- Last Updated: December 3, 2020, 9:53 AM IST
चंडीगढ़. कृषि कानून के विरोध में आंदोलन (Farmer Agitation) में जुटे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. इस बीच बुधवार देर शाम एक और किसान गुरजंत सिंह की मौत (Death) हो गई. उनकी उम्र 60 साल थी. बहादुरगढ़ बॉर्डर उनकी मौत हो गई. पिछले सात दिनों में चार किसानों की मौत हो चुकी है. इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के राज्य उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह दयालपुरा और मानसा के अध्यक्ष राम सिंह भैणीवाघा ने बताया कि गुरजंट सिंह गांव बछोआना के रहने वाले थे. पिछले दिनों वह कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में शामिल हुए और खनौरी बॉर्डर से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे.
26 नवंबर को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद गंभीर हालत में उन्हें बहादुरगढ़ लाया गया. इसके बाद उन्हें हिसार और फिर टोहाना इलाज के लिए रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि मृतक का बुढलाडा के गांव बछोआना में गुरुवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आंदोलन में किसान अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन मोदी सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है. उन्होंने मांग की है कि आंदोलन में शहीद होने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
बावजूद इसके किसानों का आंदोलन लगातार जारी
अपने घरों से दूर, सर्दियों से बेपरवाह दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि वे लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं. जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं तब तक वे हटेंगे नहीं. इसके लिए उनको महीनों तक सड़कों पर बिताना पड़े तो वो पीछे नहीं हटेंगे. इसके लिए राशन से लेकर दवाईयों तक हर चीज का इंतजाम है.
26 नवंबर को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद गंभीर हालत में उन्हें बहादुरगढ़ लाया गया. इसके बाद उन्हें हिसार और फिर टोहाना इलाज के लिए रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि मृतक का बुढलाडा के गांव बछोआना में गुरुवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आंदोलन में किसान अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन मोदी सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है. उन्होंने मांग की है कि आंदोलन में शहीद होने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
बावजूद इसके किसानों का आंदोलन लगातार जारी
अपने घरों से दूर, सर्दियों से बेपरवाह दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि वे लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं. जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं तब तक वे हटेंगे नहीं. इसके लिए उनको महीनों तक सड़कों पर बिताना पड़े तो वो पीछे नहीं हटेंगे. इसके लिए राशन से लेकर दवाईयों तक हर चीज का इंतजाम है.