युवराज सिंह के खिलाफ FIR दर्ज न करना हरियाणा पुलिस को पड़ा भारी, 3 अफसरों के खिलाफ जांच के आदेश

इस मामले में उपजे विवाद के चलते युवराज को माफी भी मांगनी पड़ी थी. (फाइल फोटो)
Yuvraj Singh : युवराज सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बीते साल 1 जून को एक लाइव चैट के दौरान अपने साथी क्रिकेटर रोहित शर्मा के साथ वीडियो कॉलिंग पर क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) के प्रति अभद्र व अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था, जोकि वीडियो वायरल हो गया था तथा इसके बाद उपजे विवाद के चलते युवराज को माफी भी मांगनी पड़ी थी.
- News18Hindi
- Last Updated: January 20, 2021, 2:39 PM IST
नई दिल्ली/हिसार : क्रिकेटर युवराज सिंह (Yuvraj Singh) द्वारा पिछले साल दलित (Dalit) समाज के लिए की गई अभद्र व अपमानजनक टिप्पणी के मामले में औपचारिक मुकदमा दर्ज न करना हरियाणा की हांसी पुलिस के लिए मुश्किल बनता दिख रहा है. इस मामले में हरियाणा पुलिस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ ही अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम (SC/ST Act) की धारा 4 के तहत जांच करने के आदेश दिए गए हैं. विशेष अदालत ने यह आदेश दिया है.
अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच करने के आदेश दिए
हिसार स्थित एससी/एसटी एक्ट की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वेदपाल सिरोही ने शिकायतकर्ता एवं वकील रजत कलसन की याचिका पर मामले के जांच अधिकारी डीएसपी विनोद शंकर व मामले में जांच अधिकारी रहे व वर्तमान में बरवाला के पुलिस उपाधीक्षक रोहतास सिहाग एवं हांसी शहर थाना के तत्कालीन प्रभारी जसवीर सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच करने के आदेश दिए हैं.
यह कहता है प्रावधानएससी/एसटी एक्ट की इस धारा के तहत किसी लोकसेवक (जोकि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है) द्वारा अपने कर्तव्यों की अनदेखी किए जाने पर 6 माह से लेकर एक साल तक की सजा का प्रावधान है.
रोहित शर्मा से लाइव चैट में युजवेंद्र पर की थी अपमानजनक टिप्पणी
दरअसल, नेशनल अलायंस और दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक रजत कलसन ने बीते 11 जनवरी को अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि बीते वर्ष 2 जून को उन्होंने युवराज सिंह के खिलाफ हांसी पुलिस को एक शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने मुकदमा दर्ज कर युवराज सिंह को गिरफ्तार करने की मांग की थी. युवराज सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बीते साल 1 जून को एक लाइव चैट के दौरान अपने साथी क्रिकेटर रोहित शर्मा के साथ वीडियो कॉलिंग पर क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) के प्रति अभद्र व अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था, जोकि वीडियो वायरल हो गया था तथा इसके बाद उपजे विवाद के चलते युवराज को माफी भी मांगनी पड़ी थी.

बिना मुकदमा दर्ज किए ही प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई
कलसन के अनुसार, हाल में ही एससी/ एसटी एक्ट में हुए संशोधन तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा पृथ्वीराज चौहान बनाम महाराष्ट्र सरकार में आए प्रावधान के अनुसार पुलिस को ऐसे मामले में एक्ट की धारा 18 ए के तहत पहले मुकदमा दर्ज करना होता है उसके बाद जांच शुरू की जाती है, लेकिन हांसी पुलिस ने इस मामले में उनकी शिकायत पर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और बिना मुकदमा दर्ज किए ही प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई.
गृह मंत्री अनिल विज के आदेश पर भी नहीं हुई थी कार्रवाई
इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी हांसी पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी जब मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो अधिवक्ता रजत कलसन ने प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के सामने शिकायत लगाई और उस शिकायत में अधिनियम की धारा 4 के तहत डीएसपी विनोद शंकर तथा रोहताश सिंह सिहाग व थाना शहर हांसी प्रभारी जसवीर सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. इस पर गृहमंत्री ने आईजी हिसार को आदेश जारी कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन पुलिस विभाग ने गृह मंत्री के आदेशों को भी दरकिनार कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इसके चलते अधिवक्ता कलसन ने हिसार स्थित विशेष अदालत में याचिका दायर की उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए हिसार के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत उक्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं तथा 2 मार्च 2020 को हिसार के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच करने के आदेश दिए
हिसार स्थित एससी/एसटी एक्ट की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वेदपाल सिरोही ने शिकायतकर्ता एवं वकील रजत कलसन की याचिका पर मामले के जांच अधिकारी डीएसपी विनोद शंकर व मामले में जांच अधिकारी रहे व वर्तमान में बरवाला के पुलिस उपाधीक्षक रोहतास सिहाग एवं हांसी शहर थाना के तत्कालीन प्रभारी जसवीर सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 4 के तहत जांच करने के आदेश दिए हैं.
यह कहता है प्रावधानएससी/एसटी एक्ट की इस धारा के तहत किसी लोकसेवक (जोकि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है) द्वारा अपने कर्तव्यों की अनदेखी किए जाने पर 6 माह से लेकर एक साल तक की सजा का प्रावधान है.
रोहित शर्मा से लाइव चैट में युजवेंद्र पर की थी अपमानजनक टिप्पणी
दरअसल, नेशनल अलायंस और दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक रजत कलसन ने बीते 11 जनवरी को अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि बीते वर्ष 2 जून को उन्होंने युवराज सिंह के खिलाफ हांसी पुलिस को एक शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने मुकदमा दर्ज कर युवराज सिंह को गिरफ्तार करने की मांग की थी. युवराज सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बीते साल 1 जून को एक लाइव चैट के दौरान अपने साथी क्रिकेटर रोहित शर्मा के साथ वीडियो कॉलिंग पर क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) के प्रति अभद्र व अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था, जोकि वीडियो वायरल हो गया था तथा इसके बाद उपजे विवाद के चलते युवराज को माफी भी मांगनी पड़ी थी.

हिसार स्थित एससी/एसटी एक्ट की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वेदपाल सिरोही द्वारा जारी आदेश...
बिना मुकदमा दर्ज किए ही प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई
कलसन के अनुसार, हाल में ही एससी/ एसटी एक्ट में हुए संशोधन तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा पृथ्वीराज चौहान बनाम महाराष्ट्र सरकार में आए प्रावधान के अनुसार पुलिस को ऐसे मामले में एक्ट की धारा 18 ए के तहत पहले मुकदमा दर्ज करना होता है उसके बाद जांच शुरू की जाती है, लेकिन हांसी पुलिस ने इस मामले में उनकी शिकायत पर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और बिना मुकदमा दर्ज किए ही प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई.
गृह मंत्री अनिल विज के आदेश पर भी नहीं हुई थी कार्रवाई
इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी हांसी पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद भी जब मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो अधिवक्ता रजत कलसन ने प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के सामने शिकायत लगाई और उस शिकायत में अधिनियम की धारा 4 के तहत डीएसपी विनोद शंकर तथा रोहताश सिंह सिहाग व थाना शहर हांसी प्रभारी जसवीर सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी. इस पर गृहमंत्री ने आईजी हिसार को आदेश जारी कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन पुलिस विभाग ने गृह मंत्री के आदेशों को भी दरकिनार कर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इसके चलते अधिवक्ता कलसन ने हिसार स्थित विशेष अदालत में याचिका दायर की उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए हिसार के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत उक्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं तथा 2 मार्च 2020 को हिसार के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.