पुजारी को मिलने वाला दान और दक्षिणा कमाई का हिस्सा, तलाक होने पर देना होगा गुजारा भत्ता

रोहतक फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नई व्यवस्था दी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
रोहतक फैमिली कोर्ट (Rohtak Family Court) के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ दान ही नहीं, बल्कि दक्षिणा भी कमाई का हिस्सा होता है.
- News18 Haryana
- Last Updated: September 22, 2019, 9:21 AM IST
चंडीगढ़. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab And Haryana High Court) ने अपने एक फैसले में दान से हुई कमाई को भी आमदनी करार दिया है. रोहतक फैमिली कोर्ट (Rohtak Family Court) के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ दान ही नहीं, बल्कि दक्षिणा से हुई आय भी कमाई का हिस्सा है.
दरअसल, रोहतक के एक पुजारी ने फैमिली कोर्ट के तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. पुजारी का कहना था कि उनकी कमाई कम है, इसलिए भत्ते को कम किया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिर्फ दक्षिणा ही नहीं, दान भी कमाई का हिस्सा होता है. हाईकोर्ट ने पुजारी की आमदनी 15 हजार रुपये मानते हुए रोहतक फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. फैमिली कोर्ट ने चार हजार रुपए गुजारा भत्ता तय किया था.
अतिरिक्त भोजन और फल भी कमाई का हिस्सा
अमर उजाला की खबर के मुताबिक, हाईकोर्ट ने न सिर्फ दान को बल्कि पूजा-पाठ कराने के बदले मिलने वाले अतिरिक्त भोजन, फल, कपड़े और अन्य वस्तुएं को भी कमाई का हिस्सा करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह कहना कि उसकी कमाई प्रतिमाह पांच हजार रुपए है, समझ के परे है. हाईकोर्ट ने कहा कि पुजारी की कमाई लगभग 15 हजार रुपए है. ऐसे में 4000 रुपए की गुजारा भत्ता राशि को अधिक नहीं कहा जा सकता.पुजारी का जनवरी में हुआ था तलाक
रोहतक के रहने वाले एक पुजारी ने इसी साल जनवरी में अपनी पत्नी को तलाक दिया था. इसके बाद पत्नी गुजारा भत्ता के लिए फैमिली कोर्ट गई थी. रोहतक फैमिली कोर्ट ने जुलाई में फैसला दिया कि पुजारी अपनी तलाकशुदा पत्नी को चार हजार रुपए का गुजारा भत्ता दे. इसी के खिलाफ पुजारी हाईकोर्ट पहुंचे थे, जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई.
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दरअसल, रोहतक के एक पुजारी ने फैमिली कोर्ट के तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. पुजारी का कहना था कि उनकी कमाई कम है, इसलिए भत्ते को कम किया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिर्फ दक्षिणा ही नहीं, दान भी कमाई का हिस्सा होता है. हाईकोर्ट ने पुजारी की आमदनी 15 हजार रुपये मानते हुए रोहतक फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. फैमिली कोर्ट ने चार हजार रुपए गुजारा भत्ता तय किया था.
अतिरिक्त भोजन और फल भी कमाई का हिस्सा
अमर उजाला की खबर के मुताबिक, हाईकोर्ट ने न सिर्फ दान को बल्कि पूजा-पाठ कराने के बदले मिलने वाले अतिरिक्त भोजन, फल, कपड़े और अन्य वस्तुएं को भी कमाई का हिस्सा करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह कहना कि उसकी कमाई प्रतिमाह पांच हजार रुपए है, समझ के परे है. हाईकोर्ट ने कहा कि पुजारी की कमाई लगभग 15 हजार रुपए है. ऐसे में 4000 रुपए की गुजारा भत्ता राशि को अधिक नहीं कहा जा सकता.पुजारी का जनवरी में हुआ था तलाक
रोहतक के रहने वाले एक पुजारी ने इसी साल जनवरी में अपनी पत्नी को तलाक दिया था. इसके बाद पत्नी गुजारा भत्ता के लिए फैमिली कोर्ट गई थी. रोहतक फैमिली कोर्ट ने जुलाई में फैसला दिया कि पुजारी अपनी तलाकशुदा पत्नी को चार हजार रुपए का गुजारा भत्ता दे. इसी के खिलाफ पुजारी हाईकोर्ट पहुंचे थे, जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई.
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