विमान हादसे की 23वीं बरसी: आसमान में बिजली कौंधी, पलभर में आग में समा गए थे 349 लोग

12 नवंबर 1996 को चरखी दादरी के समीप सऊदी अरब एयरलाइन्स और कजाकिस्तान एयरलाइन्स के दो विमान टकरा गए थे. (File Photo)
आज से 23 वर्ष पूर्व 12 नवंबर 1996 को चरखी दादरी (Charkhi Dadri) के समीप आसमान में दो विमानों की टक्कर (Aeroplane crash) हुई और पलभर में 349 लोग (349 Died) अकाल मौत के शिकार हो गए थे.
- News18 Haryana
- Last Updated: November 12, 2019, 11:37 PM IST
चरखी दादरी. आज से 23 वर्ष पूर्व 12 नवंबर 1996 को चरखी दादरी Charkhi Dadri) के समीप आसमान में दो विमानों की टक्कर (Aeroplane crash) से बिजली कौंधी और पलभर में 349 लोग अकाल मौत के शिकार हो गए. सऊदी अरब (Saudi Arab Airlines) विमान और कजाकिस्तान (Kazakistan airlines) के विमान क्रैश होने का मामला बड़े विमान हादसों में शामिल हो गया. विमान हादसे का वह मंजर याद कर दादरीवासी आज भी सिहर उठते हैं. 'वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है' कहते हुए लोग भागते हुए मौके पर पहुंचे तो चारों तरफ शव ही शव पड़े मिले.
हादसे को याद कर आज भी सिहर उठते हैं लोग
12 नवंबर 1996 की उस शाम को लोग याद कर आज भी याद कर सिहर उठते हैं. दरअसल चरखी दादरी से पांच किलोमीटर दूर गांव टिकान कलां और सनसनवाल के समीप सऊदी अरब का मालवाहक विमान और कजाकिस्तान एयरलाइंस का यात्री विमान टकरा गए थे. विमानों के टक्कर की साथ ही आसमान में बिजली सी कौंधी व दोनों विमानों में सवार 349 लोगों की जिंदगियां पलभर में ही आग के शोलों में समा गई.
'वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है'यहां के निवासी उस दिन को याद कर बताते हैं कि सर्दियों का मौसम था और उस दिन आसमान खुला और साफ भी था. शाम करीब साढ़े 6 बजे अचानक उनके आसपास खेतों में आग के गोले बरसने लगे. लोग घबराकर घरों के बाहर भागे. ग्रामीण आशंका से भर गए थे, लेकिन तभी खेतों की ओर से कुछ ग्रामीण बदहवास दौड़ते आते दिखाई दिए. उन्होंने पहले ग्रामीणों को और फिर पुलिस को सूचित किया कि 'वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है.' मतलब खेतों में विमान पड़े हुए हैं. ये एक भीषण विमान हादसा था, जो कुछ ही घंटों बाद दुनियाभर में देश की बदनामी का बड़ा कारण बन गया.

ऐसे हुआ था हादसासऊदी अरब एयरलाइंस का विशाल विमान और कजाकिस्तान एयरलाइंस का यात्री विमान हवा में टकरा गए थे, जिस वक्त ये टक्कर हुई, उस वक्त दोनों चरखी दादरी के ऊपर से विपरीत दिशा में उड़ रहे थे. एक ने दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी तो दूसरा दिल्ली में उतरने वाला था. शाम करीब साढ़े 6 बजे दोनों हवा में टकराकर दुघर्टनाग्रस्त हो गए.
हादसे के बाद खेत हो गए थे बंजर
किसान धर्मराज फोगाट, भूपेंद्र सनवाल, पुरूषोतम व रामस्वरूप बताते हैं कि हादसे को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती हैं. इस हादसे के बाद उनके खेतों की जमीन बंजर हो गई व करीब 10 किलोमीटर के दायरे में दोनों विमानों के अवशेष और लाशें बिखर गई थीं. बाद में किसानों ने कड़ी मेहनत करके बंजर जमीन को खेती लायक बनाया. वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गर्ग, महावीर आजाद, बुजुर्ग रणसिंह गुलिया ने बताया कि उस शाम को वे नहीं भूल सकते हैं.
नहीं बना स्मारक और अस्पताल
विमान दुघर्टना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और मुख्यमंत्री बंशीलाल द्वारा चरखी दादरी में स्मारक और अस्पताल बनाने की घोषणा की थी. हालांकि सऊदी अरब की एक संस्था द्वारा चरखी दादरी में कुछ वर्ष तक अस्थाई अस्पताल चलाया गया था, लेकिन उसे भी बंद कर दिया गया. मृतकों की याद में चरखी दादरी में न तो कोई स्मारक बना है और न ही अस्पताल बनाया गया.
यह भी पढ़ें: चरखी दादरी में भ्रूण लिंग जांच गिरोह का भंडाफोड़
सिरसा डेरे के संस्थापक शाह मस्ताना का जन्म दिवस आज
हादसे को याद कर आज भी सिहर उठते हैं लोग
12 नवंबर 1996 की उस शाम को लोग याद कर आज भी याद कर सिहर उठते हैं. दरअसल चरखी दादरी से पांच किलोमीटर दूर गांव टिकान कलां और सनसनवाल के समीप सऊदी अरब का मालवाहक विमान और कजाकिस्तान एयरलाइंस का यात्री विमान टकरा गए थे. विमानों के टक्कर की साथ ही आसमान में बिजली सी कौंधी व दोनों विमानों में सवार 349 लोगों की जिंदगियां पलभर में ही आग के शोलों में समा गई.
'वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है'यहां के निवासी उस दिन को याद कर बताते हैं कि सर्दियों का मौसम था और उस दिन आसमान खुला और साफ भी था. शाम करीब साढ़े 6 बजे अचानक उनके आसपास खेतों में आग के गोले बरसने लगे. लोग घबराकर घरों के बाहर भागे. ग्रामीण आशंका से भर गए थे, लेकिन तभी खेतों की ओर से कुछ ग्रामीण बदहवास दौड़ते आते दिखाई दिए. उन्होंने पहले ग्रामीणों को और फिर पुलिस को सूचित किया कि 'वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है.' मतलब खेतों में विमान पड़े हुए हैं. ये एक भीषण विमान हादसा था, जो कुछ ही घंटों बाद दुनियाभर में देश की बदनामी का बड़ा कारण बन गया.

विमान दुघर्टना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और मुख्यमंत्री बंशीलाल द्वारा चरखी दादरी में स्मारक व अस्पताल बनाने की घोषणा की थी. (File Photo)
ऐसे हुआ था हादसा
Loading...
हादसे के बाद खेत हो गए थे बंजर
किसान धर्मराज फोगाट, भूपेंद्र सनवाल, पुरूषोतम व रामस्वरूप बताते हैं कि हादसे को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती हैं. इस हादसे के बाद उनके खेतों की जमीन बंजर हो गई व करीब 10 किलोमीटर के दायरे में दोनों विमानों के अवशेष और लाशें बिखर गई थीं. बाद में किसानों ने कड़ी मेहनत करके बंजर जमीन को खेती लायक बनाया. वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गर्ग, महावीर आजाद, बुजुर्ग रणसिंह गुलिया ने बताया कि उस शाम को वे नहीं भूल सकते हैं.
नहीं बना स्मारक और अस्पताल
विमान दुघर्टना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और मुख्यमंत्री बंशीलाल द्वारा चरखी दादरी में स्मारक और अस्पताल बनाने की घोषणा की थी. हालांकि सऊदी अरब की एक संस्था द्वारा चरखी दादरी में कुछ वर्ष तक अस्थाई अस्पताल चलाया गया था, लेकिन उसे भी बंद कर दिया गया. मृतकों की याद में चरखी दादरी में न तो कोई स्मारक बना है और न ही अस्पताल बनाया गया.
यह भी पढ़ें: चरखी दादरी में भ्रूण लिंग जांच गिरोह का भंडाफोड़
सिरसा डेरे के संस्थापक शाह मस्ताना का जन्म दिवस आज
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए चरखी दादरी से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: November 12, 2019, 7:23 PM IST
Loading...