कच्चे रास्तों पर प्रैक्टिस करती हैं हरियाण की 'उड़नपरी परदादी'.
प्रदीप साहू
चरखी दादरी. हरियाणा के चरखी दादरी जिले की एक दादी ‘उड़नपरी परदादी’ के नाम से मशहूर हैं. परदादी के हौसले इतने बुलंद हैं कि बड़े से बड़े खिलाड़ी भी इनके सामने बौने साबित हो रहे हैं. हम बात कर रहे हैं 105 साल की परदादी रामबाई की. इनकी हिम्मत और जज्बा युवाओं से भी ज्यादा बुलंद है. रामबाई ने 105 साल की उम्र में 45.40 सेकंड में 100 मीटर दौड़ लगाकर कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अब रामबाई विदेशी धरती पर देश का नाम रोशन करना चाहती हैं.
गुजरात में बनाया नया रिकॉर्ड
रामबाई ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. दरअसल वे विदेशी धरती पर गोल्ड जीतकर अपना सपना पूरा करना चाहती हैं. चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 105 वर्षीय रामबाई ने पिछले दिनों गुजरात के वडोदरा में आयोजित नेशनल मास्टर चैंपियनशिप में एथलिट रामकौर का रिकार्ड तोड़ते हुए 45.40 सेकंड में 100 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया है. रामबाई गांव के कच्चे रास्तों पर प्रैक्टिस करती हैं और इसी अभ्यास के दम पर वे मेडल जीतने में कामयाब रही हैं.
दोहिती को देती हैं सारा श्रेय
रामबाई को इस मुकाम तक पहुंचाने व उनकी देखभाल के पीछे उनकी दोहिती शर्मिला सांगवान का हाथ है. रामबाई अपनी सफलता का सारा श्रेय शर्मिला को देती हैं. उनका कहना है कि वे सारे रिकॉर्ड दोहिती के कारण ही बना सकी हैं. रामबाई चाहती हैं कि उन्हें विदेशी धरती पर दौड़ने का मौका मिले ताकि वे वहां अपने देश का नाम रोशन कर सके. उनका कहना है कि यहि सरकार मदद करे तो वह अपना सपना पूरा कर सकती हैं.
रामबाई की दोहती शर्मिला सांगवान ने बताया कि उनकी नानी के जोश को देखते हुए ही उन्हें प्रैक्टिस करवाई. उन्होंने देशी खाने व कच्चे रास्तों में दौड़ लगाकर तैयारी की है. अगर सरकार उनकी मदद करें तो नानी रामबाई विदेशी धरती पर देश के लिए गोल्ड जीत सकती हैं.
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