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महिला दिवस पर महिलाओं की पीड़ा आई सामने, बोलीं- खाने के पड़े हैं लाले...

महिला दिवस पर महिलाओं की राय

महिला दिवस पर महिलाओं की राय

दादरी जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं सुबह ही मजदूरी के लिए निकल जाती हैं, जिन्हें मजदूरी कर 300-400 रुपये ...अधिक पढ़ें

    म्हारा तो रोज ही महिला दिवस होता है, खाने के लाले पड़े हैं. रात को पति शराब पीकर झगड़ा करता है. हमें तो दो टैम की रोटी का जुगाड़ करना पड़ै है. यह पीड़ा दादरी की झुग्गियों में रहने वाली महिलाओं की है. एक तरफ जहां आज पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है. विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरी कर अपना व परिवार का पेट पालने वाली महिलाओं से महिला दिवस के बारे में पूछा गया, तो उनका कहना था कि महिला दिवस क्या होता है भाई?

    आज जब विश्वभर में महिला-पुरुष कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं, महिलाएं नौकरी के साथ-साथ घर-संसार भी संभाल रही हैं, तो ऐसे में कुछ संगठन शहरों में अच्छा काम करने वाली महिलाओं का सत्कार करती हैं. दादरी जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं सुबह ही मजदूरी के लिए निकल जाती हैं, जिन्हें मजदूरी कर 300-400 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं.

    इन महिलाओं को यह नहीं पता कि महिला दिवस क्या होता है. मजदूरी करने वाली महिलाओं की बातों से तो यही लगता है कि महिला दिवस सिर्फ कागजों में ही दबकर रह गया है. झुग्गियों में रहने वाली संतरो, कमला व राजो से पूछा जो कहा, भाई ये महिला दिवस क्या होता है. हम तो मजदूरी करके 2 सौ 4 सौ रूपए कमा लेती हैं ताकि अपने परिवार को दो जून की रोटी खिला सकें.

    उनके लिए तो वह त्यौहार होता है जिस दिन कोई व्यक्ति आकर उनको कपड़े व मिठाइयां देते हैं. महिला दिवस के बारे में पूछने पर कमलेश ने बताया कि म्हारा तो रोज महिला दिवस है. उन्होंने बोला कि दो समय की रोटी का किसी तरह जुगाड़ कर लेती हैं, महिला दिवस के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है. कब क्या और कैसे क्या होता है नहीं जानकारी. पैसा कमाकर परिवार को पालन-पोषण कर रही हैं.

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    Tags: Charkhi Dadri, International Women Day

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