फतेहाबाद. एक ओर जहां प्रशासन ने बढ़ते प्रदूषण (Pollution) को देखते हुए पटाखा बिक्री पर रोक लगा रखी है तो दूसरी ओर किसान धान की पराली जलाने (Stubble Burning) से बाज नहीं आ रहे. हरियाणा में जलाई जा रही धान की पराली असर अब दिल्ली में दिखाई देने लगा है. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है और लोगों का सांस लेना भी दुभर हो गया है दिल्ली में प्रदूषण स्तर 300 के पार पहुंच चुका है और यही हालात फतेहाबाद जिले में हैं.
फतेहाबाद में बुधवार को धान बेल्ट के अनेक गांवों में पराली में आगजनी की गई. जिससे धुआं उड़कर सड़कों पर पहुंच गया, जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. फतेहाबाद में बुधवार को प्रदूषण का स्तर (AQI) भी 168 के पार हो गया, जोकि काफी खतरनाक है. सड़कों से गुजरने वाले राहगीरों ने बताया कि सड़कों पर इतना भयंकर धुआं है कि कभी भी बड़ा हादसा भी हो सकता है.
उन्होंने बताया कि धुआं इतना अधिक है कि आंखों में जलन हो रही है और सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा. चिकित्सकों के अनुसार, धुएं की वजह से जहां आखों पर असर पड़ता है, वहीं सांस की बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लिए यह बेहद खतरनाक है.
इस मामले में कृषि उपनिदेशक राजेश कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि प्रशासनिक टीमें लगातार निगरानी रखे हुए हैं और जो किसान आगजनी कर रहे हैं, उनको नोटिस भी भेजे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रशासनिक कमेटियों में बीडीपीओ, ग्राम सचिव व कृषि अधिकारी शामिल किए गए हैं, जो किसानों को लगातार जागरूक कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल आगजनी की घटनाओं में 41 फीसदी की कमी आई है. हरसैक से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार 393 स्थानों पर आगजनी की सूचना मिली है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 778 था। कृषि उपनिदेशक ने बताया कि विभाग की ओर से 68 किसानों के चालान किए गए हैं और 1 लाख 87 हजार रुपये का जुर्माना भी किसानों से वसूला गया है.
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