नई दिल्ली. बीजेपी (BJP) ने हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 2019) के लिए प्रत्याशियों की जो लिस्ट (Candidates List) जारी की है उसमें दो मौजूदा मंत्रियों के नाम नहीं हैं. जिन मंत्रियों के टिकट काट दिए गए हैं वे हैं फरीदाबाद के विपुल गोयल (Vipul Goel) और गुरुग्राम के राव नरबीर सिंह (Rao Narbir Singh). गोयल के पास उद्योग विभाग और नरबीर के पास पीडब्ल्यूडी था. दोनों को अपने टिकट को लेकर अति आत्मविश्वास था, लेकिन जब लिस्ट आई तो होश उड़ गए. दरअसल, इसकी इनसाइड स्टोरी यह है कि मनोहर सरकार के ये दोनों मंत्री मोदी सरकार (Modi Government) के दो मंत्रियों से पंगा ले रहे थे और यही झगड़ा दोनों को ले डूबा. दोनों का टिकट कटना हरियाणा की सियासत में बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है.
पहले बात करते हैं विपुल गोयल की. हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार सौरभ भारद्वाज कहते हैं कि फरीदाबाद के सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के साथ अदावत
विपुल गोयल पर भारी पड़ी. गोयल पहले कृष्णपाल का चुनाव प्रबंधन करते थे. लेकिन 2014 में गुर्जर ने उन्हें फरीदाबाद विधानसभा सीट से टिकट दिलवा दी. बाद में वह मंत्री भी बन गए. लेकिन इसके बाद गोयल
मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देखने लगे. इसकी भनक सीएम मनोहरलाल खट्टर को भी थी.

विपुल गोयल के पास उद्योग विभाग और राव नरबीर के पास पीडब्ल्यूडी था.
गोयल यहीं नहीं रुके. फरीदाबाद में दो पावर सेंटर बन गए. गुरु-चेले की इस जोड़ी में दरार पड़ने लगी. कुछ नेताओं ने इसे हवा दी और यह खाई गहरी होती चली गई. कृष्णपाल गुर्जर और विपुल गोयल में खटास की खबरें तब खुलकर सामने आ गई थी जब अक्टूबर 2018 में दशहरा पर हजारों लोगों के सामने ही दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी.
भारद्वाज कहते हैं कि हालात ऐसे हो गए कि बीते लोकसभा चुनाव में विपुल पर कृष्णपाल को अंदरखाने नुकसान पहुंचाने की खबरें आने लगीं. इसकी जानकारी आलाकमान तक पहुंचा दी गई. एक और मसला है पर्यावरण का. विपुल के पास पर्यावरण मंत्रालय था और खुद उन्हीं के शहर को देश के दूसरे सबसे प्रदूषित शहर का तमगा मिल गया. जब इतनी सारी चीजें हो जाएं तो टिकट पर आंच तो आनी ही थी. अब पार्टी ने वैश्य समाज के इस नेता के बदले नरेंद्र गुप्ता के रूप में ऐसा दांव चल दिया है कि गोयल अपनी जाति की दुहाई भी नहीं दे सकते. गोयल भी उद्योगपति हैं और नरेंद्र गुप्ता भी. दोनों अनन्य मित्र भी हैं. इसलिए विरोध की भी गुंजाइश नहीं बच रही है.
कैसे कटा मंत्री राव नरबीर का टिकट
वरिष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा कहते हैं कि हरियाणा के लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत से तनातनी का शिकार होना पड़ा है. दोनों अहीरवाल के नेता हैं लेकिन हर मामले में इंद्रजीत भारी पड़ते हैं. दोनों में कितनी खींचतान है यह अहीरवाल के लोगों को अच्छी तरह पता है. राव नरबीर सिंह पर आरटीआई कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा ने गलत शैक्षणिक ब्योरा देने के आरोप लगाए थे. चुनाव आयोग को पत्र लिखा था. हालांकि नरबीर इस आरोप को निराधार बताते रहे हैं. अरावली पर उन्होंने कुछ ऐसे आदेश करवाए जिससे सरकार की किरकिरी हुई. वो बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़े थे. इस सीट पर भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मनीष यादव दावेदारी पेश कर रहे थे. उन्हें टिकट देने का संगठन की ओर से दबाव था. यहां यादव का टिकट काटकर एक यादव को ही टिकट दिया गया है. इसलिए राव नरबीर जाति का रोना नहीं रो पाएंगे.

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का अहीरवाल में चलता है सिक्का (File Photo)
टिकट बंटवारे में दिग्गजों की चली भी और नहीं भी चली!
राजनीति के जानकार इस सूची का विश्लेषण करके बता रहे हैं कि हरियाणा के जितने प्रभावशाली लोग थे उनकी चली भी है और नहीं भी चली. कोई नेता ये नहीं कह सकता कि उसी की चली है. जैसे केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को टिकट नहीं दिला पाए, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी में मौजूदा समय के धुर विरोधी विपुल गोयल का टिकट कटवा दिया, जबकि विपुल मंत्री थे. इसी तरह केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अभी तक अपनी बेटी आरती राव को टिकट नहीं दिला पाए हैं. हालांकि बीजेपी में उनके धुर विरोधी राव नरबीर को टिकट नहीं मिला जबकि वो मंत्री थे.
ये भी पढ़ें:
हरियाणा विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने दिया दो मुस्लिमों को टिकट, मेवात में भगवा फहराने का प्लान!
आसान नहीं है ताऊ देवीलाल का ये रिकॉर्ड तोड़ पाना!
आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: BJP, Gurugram, Haryana Assembly Election 2019, Haryana Election 2019, Vipul goyal
FIRST PUBLISHED : October 01, 2019, 09:37 IST