क्या इस बार भी कायम रहेगा पलवल को पहला विधायक देने वाली कांग्रेस का जलवा

हरियाणा की सियासत ही नहीं देश के इतिहास में भी खासा अहम स्थान है पलवल का. (File Photo)
साउथ अफ्रीका (South Africa) से पहली बार भारत (India) लौटने के बाद जब महात्महा गांधी (Mahatma Gandhi) जी गिरफ्तार हुए थे तो वो जगह पलवल का रेलवे स्टेशन (Railway Station) था.
- News18Hindi
- Last Updated: October 20, 2019, 5:45 PM IST
पलवल. वैसे तो सियासत में पलवल (Palwal) का नाम हमेशा से सुर्खियों में रहा है. लेकिन इतिहास (History) की एक और घटना है जो पलवल को देश ही नहीं अतंरराष्ट्रीय (International) पटल पर भी सुर्खियों में बनाए रखती है. साउथ अफ्रीका (South Africa) से पहली बार भारत (India) लौटने के बाद जब महात्महा गांधी (Mahatma Gandhi) जी गिरफ्तार हुए थे तो वो जगह पलवल का रेलवे स्टेशन (Railway Station) था. गांधी रोलेट एक्ट के विरोध में पंजाब (Punjab) जाना चाहते थे, जबकि सरकार ने उनके पंजाब जाने पर रोक लगा रखी थी.
लेकिन पलवल के सियासी इतिहास में 1952 की तारीख कांग्रेस नेता गुरुदत्त सिंह भाटी के नाम दर्ज है. गुरुदत्त पलवल के पहले विधायक बने थे. पलवल में कांग्रेस का परचम फहराया था. लेकिन उस वक्त इस सीट से दो विधायक हुआ करते थे. सो गुरुदत्त के साथ ही भूले राम भी विधायक चुने गए. खास बात यह है कि 1957 में भी गुरुदत्त पलवल सीट से विधायक चुने गए. लेकिन फिर उनकी मौत के बाद पत्नी शारदा रानी बल्लभगढ़ से विधायक चुनी गईं और हरियाणा सरकार में मंत्री भी बनीं.
लेकिन 1962 में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदलते हुए स्वतंत्रता सेनानी रूपलाल को उम्मीदवार बनाया. पार्टी के भरोसे को कायम रखते हुए रूपलाल ने जनसंघ के मूल चंद जैन को हराया और सदन में अपनी कुर्सी पक्की कर ली. लेकिन 1967 में वक्त ने करवट ली और निर्दलीय धन सिंह जैन जनसंघ के मूल चंद जैन को पराजित कर विधायक बने. इस चुनाव में कांग्रेस के रूपलाल मेहता तीसरे स्थान पर रहे. 1968 में रूपलाल मेहता ने फिर से बाजी मार ली और इस बार उन्होंने निवर्तमान विधायक धन सिंह (स्वतंत्र पार्टी) को हराया.
1972 में भारतीय आर्य सभा के चौधरी श्याम सिंह तेवतिया कांग्रेस के कल्याण सिंह को हराकर विधायक बने. लेकिन बाद में तेवतिया चौधरी देवीलाल की प्रोग्रेसिव इंडिपेंडेंट पार्टी में शामिल हो गए. लेकिन इसी दौरान 1977 में जनता पार्टी के मूलचंद मंगला कांग्रेस के कल्याण सिंह को पराजित कर विधायक बने. 1982 में कल्याण सिंह (कांग्रेस) निर्दलीय सुभाष चंद को पराजित कर जीत हासिल करने में कामयाब रहे. 1987 में सुभाष चंद्र कात्याल लोकदल से लड़े और कांग्रेस के किशन चंद को मात देकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे.1991 में हरियाणा विकास पार्टी के करण सिंह दलाल ने यहां से जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के नित्यानंद शर्मा को पराजित किया. वहीं विरोधियों को जवाब देते हुए 1996 व 2000 में भी करण सिंह दलाल ने यहां अपना कब्जा बरकरार रखा. पहली बार वे हरियाणा विकास पार्टी से लड़े और बसपा के सुभाष चौधरी को शिकस्त दी और दूसरे चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने इनेलो के देवेंद्र चौहान को हराया.
इस चुनाव में बसपा के सुभाष चौधरी तीसरे और कांग्रेस के योगेश गौड़ चौथे स्थान पर रहे. 2005 में करण सिंह दलाल कांग्रेस के प्रत्याशी थे और उन्होंने इनेलो के देवेंद्र सिंह को हराकर पलवल से लगातार चौथी जीत दर्ज की. 2009 में इनेलो के सुभाष चौधरी ने करण संह दलाल की पांचवीं जीत पर रोक लगाते हुए उन्हें करारी शिकस्त दी. 2014 में माहौल कांग्रेस के विपरीत था, बावजूद इसके करण सिंह दलाल ने यह सीट जीतकर कांग्रेस के खाते में डाल दी. करण सिंह ने भाजपा के दीपक मंगला को परास्त किया.
लेकिन पलवल के सियासी इतिहास में 1952 की तारीख कांग्रेस नेता गुरुदत्त सिंह भाटी के नाम दर्ज है. गुरुदत्त पलवल के पहले विधायक बने थे. पलवल में कांग्रेस का परचम फहराया था. लेकिन उस वक्त इस सीट से दो विधायक हुआ करते थे. सो गुरुदत्त के साथ ही भूले राम भी विधायक चुने गए. खास बात यह है कि 1957 में भी गुरुदत्त पलवल सीट से विधायक चुने गए. लेकिन फिर उनकी मौत के बाद पत्नी शारदा रानी बल्लभगढ़ से विधायक चुनी गईं और हरियाणा सरकार में मंत्री भी बनीं.
लेकिन 1962 में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदलते हुए स्वतंत्रता सेनानी रूपलाल को उम्मीदवार बनाया. पार्टी के भरोसे को कायम रखते हुए रूपलाल ने जनसंघ के मूल चंद जैन को हराया और सदन में अपनी कुर्सी पक्की कर ली. लेकिन 1967 में वक्त ने करवट ली और निर्दलीय धन सिंह जैन जनसंघ के मूल चंद जैन को पराजित कर विधायक बने. इस चुनाव में कांग्रेस के रूपलाल मेहता तीसरे स्थान पर रहे. 1968 में रूपलाल मेहता ने फिर से बाजी मार ली और इस बार उन्होंने निवर्तमान विधायक धन सिंह (स्वतंत्र पार्टी) को हराया.
1972 में भारतीय आर्य सभा के चौधरी श्याम सिंह तेवतिया कांग्रेस के कल्याण सिंह को हराकर विधायक बने. लेकिन बाद में तेवतिया चौधरी देवीलाल की प्रोग्रेसिव इंडिपेंडेंट पार्टी में शामिल हो गए. लेकिन इसी दौरान 1977 में जनता पार्टी के मूलचंद मंगला कांग्रेस के कल्याण सिंह को पराजित कर विधायक बने. 1982 में कल्याण सिंह (कांग्रेस) निर्दलीय सुभाष चंद को पराजित कर जीत हासिल करने में कामयाब रहे. 1987 में सुभाष चंद्र कात्याल लोकदल से लड़े और कांग्रेस के किशन चंद को मात देकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे.1991 में हरियाणा विकास पार्टी के करण सिंह दलाल ने यहां से जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के नित्यानंद शर्मा को पराजित किया. वहीं विरोधियों को जवाब देते हुए 1996 व 2000 में भी करण सिंह दलाल ने यहां अपना कब्जा बरकरार रखा. पहली बार वे हरियाणा विकास पार्टी से लड़े और बसपा के सुभाष चौधरी को शिकस्त दी और दूसरे चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने इनेलो के देवेंद्र चौहान को हराया.
इस चुनाव में बसपा के सुभाष चौधरी तीसरे और कांग्रेस के योगेश गौड़ चौथे स्थान पर रहे. 2005 में करण सिंह दलाल कांग्रेस के प्रत्याशी थे और उन्होंने इनेलो के देवेंद्र सिंह को हराकर पलवल से लगातार चौथी जीत दर्ज की. 2009 में इनेलो के सुभाष चौधरी ने करण संह दलाल की पांचवीं जीत पर रोक लगाते हुए उन्हें करारी शिकस्त दी. 2014 में माहौल कांग्रेस के विपरीत था, बावजूद इसके करण सिंह दलाल ने यह सीट जीतकर कांग्रेस के खाते में डाल दी. करण सिंह ने भाजपा के दीपक मंगला को परास्त किया.