Jind By-election Result: जींद की जंग में कैसे उभरी सिर्फ 53 दिन पुरानी जन नायक जनता पार्टी?

क्या जाटों का समर्थन जन नायक जनता पार्टी को मिला है?
हरियाणा के युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला, युवाओं, जाट वोटरों और केजरीवाल के समर्थन ने किया मजबूत
- News18Hindi
- Last Updated: January 31, 2019, 12:50 PM IST
जींद उप चुनाव के पांचवें राउंड की गिनती के बाद भाजपा प्रत्याशी कृष्ण मिड्ढा को 21,052 वोट लेकर सबसे आगे चल रहे हैं. जबकि जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला 15,315 वोट के साथ दूसरे स्थान पर हैं. कांग्रेस के प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला तीसरे, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी चौथे और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पांचवें स्थान पर है.
सवाल ये है कि सिर्फ 53 दिन पुरानी जन नायक जनता पार्टी कांग्रेस और इनेलो से भी कैसे आगे हो गई? जेजेपी की घोषणा 9 दिसंबर 2018 को जींद के पांडु-पिंडारा हुई थी. दरअसल, इस पार्टी को हरियाणा के दो लड़कों ने खड़ा किया है. जीत किसी की भी हो लेकिन इस नई पार्टी को मिले समर्थन ने विश्लेषकों को तारीफ करने पर मजबूर कर दिया है. (Jind By Election Result: बीजेपी खोलेगी खाता या कोई जाट बनाएगा रिकॉर्ड?)
दिग्विजय चौटाला (file photo)
हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा के मुताबिक जींद उप चुनाव के अब तक आए रुझान बता रहे हैं कि हरियाणा में देवीलाल की विरासत और सियासत को आगे बढ़ाने का काम दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ही करेंगे. जाटलैंड में भतीजों के प्रति जनता के रुझान ने बता दिया है कि चाचा (अभय चौटाला) ने उन्हें पार्टी (इनेलो) से बाहर निकालकर गलती की है.इनेलो से अलग होकर दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी नामक अलग पार्टी बनाई और जींद में उन्होंने अपने छोटे भाई दिग्विजय चौटाला को उतार दिया. दोनों की युवा मतदाताओं में अच्छी पकड़ है. साथ ही अरविंद केजरीवाल के समर्थन ने उन्हें मजबूत किया. माना जा रहा है कि जाट और वैश्य समाज के वोट ये यह पार्टी मजबूत बनकर उभरी है. जिस तरह से अखिलेश यादव यूपी में खुद को नई पीढ़ी के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं उसी तरह हरियाणा में दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय चौटाला भी चल रहे हैं. (इसे भी पढ़ें: इस प्रदेश में 2014 से कांग्रेस की जिला कमेटियां हैं भंग, पार्टी कैसे जीतेगी 2019 की जंग?)
जन नायक जनता पार्टी
दरअसल, युवा मतदाताओं के बीच दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला काफी लोकप्रिय हैं. दोनों सहजता और शालीनता के लिए जाने जाते हैं. दुष्यंत हिसार से सांसद हैं और उनके भाषणों की लोग खूब तारीफ करते हैं. दुष्यंत के समर्थक उन्हें पार्टी की ओर से सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे थे लेकिन ये बात इनेलो संभाल रहे अभय चौटाला को रास नहीं आई. नतीजा ये हुआ कि दुष्यंत और दिग्विजय को नंवबर 2018 में इनेलो से निकाल दिया गया था. इसके बाद दोनों भाईयों ने मिलकर जनता का मूड जाना. हरियाणा का भ्रमण किया और दिसंबर में जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) खड़ी कर दी.
दुष्यंत चौटाला (file photo)
दुष्यंत और दिग्विजय उप प्रधानमंत्री रहे किसान नेता देवीलाल के परपोते हैं. दुष्यंत 2014 में जब सांसद बने थे तब उनकी उम्र 26 साल से भी कम थी. जेजेपी देवीलाल की विरासत को आगे बढ़ाने की बात करती है. दिग्विजय चौटाला इनेलो की छात्र इकाई इनसो के अध्यक्ष हुआ करते थे. अब इनेलो दुष्यंत की पार्टी से काफी पीछे है. जबकि उसका बसपा से गठबंधन भी है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में हरियाणा की सियासत में जेजेपी की क्या हैसियत होगी.
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सवाल ये है कि सिर्फ 53 दिन पुरानी जन नायक जनता पार्टी कांग्रेस और इनेलो से भी कैसे आगे हो गई? जेजेपी की घोषणा 9 दिसंबर 2018 को जींद के पांडु-पिंडारा हुई थी. दरअसल, इस पार्टी को हरियाणा के दो लड़कों ने खड़ा किया है. जीत किसी की भी हो लेकिन इस नई पार्टी को मिले समर्थन ने विश्लेषकों को तारीफ करने पर मजबूर कर दिया है. (Jind By Election Result: बीजेपी खोलेगी खाता या कोई जाट बनाएगा रिकॉर्ड?)

हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा के मुताबिक जींद उप चुनाव के अब तक आए रुझान बता रहे हैं कि हरियाणा में देवीलाल की विरासत और सियासत को आगे बढ़ाने का काम दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ही करेंगे. जाटलैंड में भतीजों के प्रति जनता के रुझान ने बता दिया है कि चाचा (अभय चौटाला) ने उन्हें पार्टी (इनेलो) से बाहर निकालकर गलती की है.इनेलो से अलग होकर दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी नामक अलग पार्टी बनाई और जींद में उन्होंने अपने छोटे भाई दिग्विजय चौटाला को उतार दिया. दोनों की युवा मतदाताओं में अच्छी पकड़ है. साथ ही अरविंद केजरीवाल के समर्थन ने उन्हें मजबूत किया. माना जा रहा है कि जाट और वैश्य समाज के वोट ये यह पार्टी मजबूत बनकर उभरी है. जिस तरह से अखिलेश यादव यूपी में खुद को नई पीढ़ी के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं उसी तरह हरियाणा में दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय चौटाला भी चल रहे हैं. (इसे भी पढ़ें: इस प्रदेश में 2014 से कांग्रेस की जिला कमेटियां हैं भंग, पार्टी कैसे जीतेगी 2019 की जंग?)

दरअसल, युवा मतदाताओं के बीच दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला काफी लोकप्रिय हैं. दोनों सहजता और शालीनता के लिए जाने जाते हैं. दुष्यंत हिसार से सांसद हैं और उनके भाषणों की लोग खूब तारीफ करते हैं. दुष्यंत के समर्थक उन्हें पार्टी की ओर से सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे थे लेकिन ये बात इनेलो संभाल रहे अभय चौटाला को रास नहीं आई. नतीजा ये हुआ कि दुष्यंत और दिग्विजय को नंवबर 2018 में इनेलो से निकाल दिया गया था. इसके बाद दोनों भाईयों ने मिलकर जनता का मूड जाना. हरियाणा का भ्रमण किया और दिसंबर में जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) खड़ी कर दी.

दुष्यंत और दिग्विजय उप प्रधानमंत्री रहे किसान नेता देवीलाल के परपोते हैं. दुष्यंत 2014 में जब सांसद बने थे तब उनकी उम्र 26 साल से भी कम थी. जेजेपी देवीलाल की विरासत को आगे बढ़ाने की बात करती है. दिग्विजय चौटाला इनेलो की छात्र इकाई इनसो के अध्यक्ष हुआ करते थे. अब इनेलो दुष्यंत की पार्टी से काफी पीछे है. जबकि उसका बसपा से गठबंधन भी है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में हरियाणा की सियासत में जेजेपी की क्या हैसियत होगी.
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