रिपोर्ट- दीपक भारद्वाज
जींद. जींद जिले के जुलाना कस्बे में एक बड़ी खबर सामने आई है. यहां पर एक चार साल की मासूम खेलते- खेलते ऊंचाई से मुंह के बल नीचे टिफिन पर गिर गई. ऐसे में टिफिन बच्ची के दिमाग और जबड़े में 2 से 3 सेंटीमीटर तक घुस गया. खून से लथपथ बच्ची को देख परिजन घबरा गए. उन्होंने आनन- फानन में उसे नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उसे रोहतक पंडित बीडी शर्मा पीजीआइएमएस में रेफर कर दिया गया. डॉक्टरों ने बच्ची की स्थिति को देखते हुए मैक्सिलो एंड फैसियल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी और एनएसथीसिया विभाग के डॉक्टरों की एक टीम का गठन किया. टीम ने कई घंटों की सर्जरी के बाद कड़ी मशक्कत से बच्ची के दिमाग और जबड़े में घुसे टिफिन को निकाल दिया. डॉक्टरों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद बच्चे ठीक है और डॉक्टरों की पूरी टीम राहत महसूस कर रही है. डॉक्टर ने अपनी जिंदगी में इस तरह का यह पहला केस देखा है. बच्ची के पिता ने भावुक होते हुए कहा कि डॉक्टरों सही मायने में भगवान हैं.
न्यूरो सर्जरी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वरुण अग्रवाल और डेंटल सर्जन प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि जब बच्ची पंडित बीडी शर्मा पीजीआइएमएस के ट्रॉमा सेंटर में पहुंची तो उसकी हालत काफी खराब थी. दिमाग और जबड़े में फंसे टिफिन के कारण बच्ची को सांस लेने में काफी दिक्कत महसूस हो रही थी. बच्ची की सर्जरी से पहले पूरी टीम ने फंसे हुए टिफिन को कटर द्वारा दो भागों में काटने के बाद सर्जरी शुरू की. डॉ. अग्रवाल ने कहा की टिफिन बच्चे के दिमाग में और जबड़े में दो से 3 सेंटीमीटर तक घुसा हुआ था. सबसे बड़ी बात यह थी कि बच्ची के दिमाग, आंख और जबड़े में को कोई नुकसान न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए बड़ी सावधानी से घंटों भर सर्जरी की गई. अब बच्ची ठीक है और डॉक्टरों की देखरेख में आईसीयू में भर्ती की गई है.
जिंदगी में पहली बार देखा है
डॉक्टरों ने लोगों से आग्रह किया है कि अगर इंसान के शरीर के किसी भी हिस्से में लोहे, ब्रास और एलमुनियम की कोई भी चीज आर पार हो जाती है या गढ़ जाती है तो उस वस्तु को घटनास्थल पर निकालने की गलती कभी न करें. इससे ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है शरीर के किसी भी महत्वपूर्ण अंग को नुकसान पहुंच सकता है और अधिक ब्लीडिंग होने के कारण मरीज की मौत तक हो सकती है. इस तरह की अवस्था में मरीज को जल्द से जल्द किसी भी नजदीक के ट्रॉमा सेंटर में ले जाना चाहिए, ताकि डॉक्टरों की देखरेख में सही सर्जरी से मरीज की जान बचाई जा सके. बच्ची की सर्जरी के बाद डॉक्टरों की पूरी टीम राहत महसूस कर रही है. टीम के कई सदस्यों का कहना है कि इस तरह का केस उन्होंने जिंदगी में पहली बार देखा है.
डॉक्टर उनके लिए भगवान हैं
वहीं, मासूम की सफल सर्जरी के बाद परिवार खुश है. बच्ची के पिता मुकेश सिंह ने कहा कि डॉ. उनके लिए भगवान हैं, जिन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद उनकी बेटी की जान बचा दी. उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची दो रोज पहले शाम को सीढ़ियों पर खेल रही थी. खेलते- खेलते ऊंचाई से नीचे पड़े टिफिन की खाली एक डिब्बे पर जा गिरी. बच्ची के माथे और जबड़े से काफी खून निकल रहा था, जिससे वह घबरा गए. लेकिन रोहतक के पंडित बीडी शर्मा पीजीआइएमएस में बच्ची की सफल सर्जरी के बाद वह काफी राहत महसूस कर रहे हैं. सही में डॉक्टर उनके लिए भगवान हैं.
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