हरियाणा: युवा किसानों ने बनाया खुद का IT सेल, भड़काऊ और भ्रामक पोस्टों पर ऐसे लगाते हैं रोक

युवा किसानों ने बनाया आईटी सेल
Kisan Aandolan: दिसंबर माह में एक गांव के 12 युवाओं ने शुरूआत की थी. अब 15 गांवों से 45 युवा जुड़ें हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: March 1, 2021, 12:37 PM IST
कैथल. सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन (Kisan Aandolan) को लेकर तरह-तरह की पोस्टें की जा रही है. इनमें कुछ पोस्टें भड़काऊ व भ्रामक भी होती है. इसी से निपटने के लिए जिला कैथल (Kaithal) के किसानों ने खुद का आईटी सैल बनाया है. 45 सदस्यीय सैल से 15 गांवों के युवा जुड़े हैं. जो सोशल मीडिया पर आने वाली किसान आंदोलन से जुड़ी पोस्टों पर दिन भर नजर रखते हैं. यह ग्रुप संदिग्ध पोस्टों की पड़ताल करके न केवल सच्चाई का पता लगाता हैं बल्कि भड़काऊ व समाज का तानाबाना बिगाडऩे वाली पोस्टों को हटवाने का प्रयास करता है. इसके लिए पोस्ट डालने वाले को फर्जी पोस्ट डालने के नुकसान बताते हुए पोस्ट हटाने के लिए समझाया जाता है. कोई नहीं मानता तो ग्रुप से जुड़े सदस्य पोस्ट पर कमेंट कर देते हैं कि यह फर्जी है इसलिए आगे फॉरवर्ड न करें.
गांव पाई के रहने वाले इंजीनियर हरदीप सिंह ने बताया कि वह नोयडा की एक कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन लॉक डाउन के दौरान गांव में ही थे. किसान आंदोलन शुरू हुआ तो सोशल मीडिया पर आंदोलन से जुड़ी कई तरह की पोस्टें आती. कुछ पोस्टें बहुत भड़काऊ भी होती थी. ऐसी पोस्टों को मैं अलग-अलग प्लेटफार्म पर जाकर चैक करता कि पोस्ट में कितनी सच्चाई है. वायरल पोस्टों में बहुत सी पोस्ट पुरानी व फेक भी मिलती.
15 से ज्यादा गांवों के युवाओं का ग्रुप
वो फेक पोस्ट के नीचे मैं बकायदा अपना कमेंट देता कि ये पोस्ट फर्जी है, ताकि कोई उसे आगे वायरल करने से बच सके. तभी मेरे मन में आइडिया आया कि फेक पोस्ट किसान आंदोलन व समाज दोनों के लिए ही नुकसानदायक है. इन्हें रोकने के लिए काम करना होगा. मैने अपने साथियों के साथ आइडिया शेयर किया तो वे भी सहमत हो गए कि इस विषय पर काम करने की जरुरत है. हम कुछ साथियों ने दिसंबर माह में इसकी शुरूआत की. दूसरे गांव वालों को पता चला कि उन्हें भी यह अच्छा लगा. अब पाई के अलावा भाणा, फरल, मुन्नारेहड़ी आदि 15 से ज्यादा गांवों के युवाओं का हमारा ग्रुप है. जो किसान आईटी कैथल ग्रुप के नाम से फेक न्यूज रोकने के लिए कार्य कर रहा है.किसान आंदोलन से जुड़ी पोस्टों पर नजर रखते हैं
ग्रुप से जुड़े हरदीप, विक्रमजीत सिंह , राममेहर बिट्टू, राजकुमार ने बताया कि उनकी टीम सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर एक दूसरे के संपर्क में रहकर कार्य करते हैं. दिनभर सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़ी पोस्टों पर नजर रखते हैं. कोई पोस्ट संदिग्ध, भड़काऊ या सामाजिक तानाबाना तोडऩे वाली दिखे तो उसकी सच्चाई पता करते हैं.
गांव पाई के रहने वाले इंजीनियर हरदीप सिंह ने बताया कि वह नोयडा की एक कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन लॉक डाउन के दौरान गांव में ही थे. किसान आंदोलन शुरू हुआ तो सोशल मीडिया पर आंदोलन से जुड़ी कई तरह की पोस्टें आती. कुछ पोस्टें बहुत भड़काऊ भी होती थी. ऐसी पोस्टों को मैं अलग-अलग प्लेटफार्म पर जाकर चैक करता कि पोस्ट में कितनी सच्चाई है. वायरल पोस्टों में बहुत सी पोस्ट पुरानी व फेक भी मिलती.
15 से ज्यादा गांवों के युवाओं का ग्रुप
ग्रुप से जुड़े हरदीप, विक्रमजीत सिंह , राममेहर बिट्टू, राजकुमार ने बताया कि उनकी टीम सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर एक दूसरे के संपर्क में रहकर कार्य करते हैं. दिनभर सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़ी पोस्टों पर नजर रखते हैं. कोई पोस्ट संदिग्ध, भड़काऊ या सामाजिक तानाबाना तोडऩे वाली दिखे तो उसकी सच्चाई पता करते हैं.