रिपोर्ट- परीक्षा ठाकुर
करनाल : सरकार और प्रशासन की तरफ से कहा जा रहा है कि 1 अप्रैल यानी आज से मंडियों में गेहूं की खरीद शुरू हो जाएगी, लेकिन मंडी में अभी तक ना बारदाना आया है और न सरकारी खरीद एजेंसी के इंस्पेक्टर नियुक्त हुए हैं. मंडी में खरीद के इंतजाम नाकाफी हैं, जिससे किसान भी परेशान हैं. पहले मौसम की मार, अब मंडी की परेशानी.
मार्केट कमेटी वो सरकारी विभाग है जिसके ऊपर सारी जिम्मेदारी होती है कि कोई भी गेहूं अगर मंडी में आता है तो किसानों को परेशानी ना हो , आराम से गेट पास कट जाएं , पानी की व्यवस्था हो, साफ सफाई में दिक्कत न हो. मार्केट कमेटी के एसिटेंट सचिव संदीप का कहना है कि मार्केट कमेटी विभाग में अभी तक सरकार ने किसी को भी सचिव के पद पर नियुक्त नहीं किया, वो पद खाली हैं.
मंडी में आढ़तियों के पास बारदाना नहीं आया है, यानी की बोरियां जिसमें गेहूं को तोलकर डाला जाएगा , वहीं और तो और अभी तक सरकारी खरीद एजेंसियों के इंस्पेक्टर तक नियुक्त नहीं हुए हैं कि किस खरीद केंद्र पर कौनसा अधिकारी जाकर मंडी में खरीद करेगा. यानी सरकार और प्रशासन के जो दावे फेल हैं ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि खुद सरकारी अधिकारी बता रहे हैं.
16 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए
वहीं मंडी में किसानों के लिए पानी की व्यवस्था और साफ सफाई की व्यवस्था दुरुस्त कर ली गई, मंडी में 16 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं जो मंडी में निगरानी रखें कि कोई चोर गेहूं तो चोरी करके नहीं ले जा रहा. वहीं किसान अपनी मंडी में गेहूं लेकर आना शुरू हो गई हैं, अभी ज्यादा किसान तो नहीं पहुंचे क्योंकि खेतों में गेहूं गीली है लेकिन कुछ किसान जरूर आ गए हैं जो प्रशासन और सरकार के दावों को पोल खोल रहे हैं.
करनाल में बने 22 गेहूं खरीद केंद्र
किसानों का कहना ना गेट पास काटने के लिए कोई है और ना ही कोई व्यवस्था , खुले में गेहूं डालना पड़ रहा है, अगर बारिश आ गई तो फिर और परेशानी, सरकार को चाहिए कि देरी ना करते हुए सब काम जल्दी और अच्छी व्यवस्था से हो. इस बार करनाल में 22 गेहूं के खरीद केंद्र बनाए गए हैं किसानों को कहा जा रहा है कि गेहूं सूखा कर लाएं ताकि खरीद में परेशानी ना हो, लेकिन समस्या ये भी है कि बारिश के कारण गेहूं गीली है.
सरकार की तरफ से गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपए है, वहीं सरकार का दावा ये भी है गेहूं खरीद के 72 घंटे बाद अकाउंट में पैसे किसानों के आ जाएंगे। बहराल अभी व्यवस्था में सुधार की जरूरत है कि जब अन्नदाता मंडी में आए तो उसे परेशानी ना हो।
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