हरियाणा के करनाल जिले के औगंद, गोंदर व कतलाहेड़ी गांव में राजपूत समाज के चौहान वंश में आज भी करवाचौथ (Karwachauth) का त्योहार नहीं मनाया जाता. सदियों पहले के किसी श्राप से ये गांव मुक्त नहीं हो पाए. जिस वजह से इन गांवों में अरसे से करवा चौथ का व्रत (Fast) नहीं रखा गया. ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार अब से लगभग 600 साल पहले राहड़ा की एक लड़की का विवाह गोंदर के एक युवक से हुआ था तो उस दौरान जब वह लड़की अपने मायके गई थी.
वहां करवाचौथ से एक रात पहले उसने सपने में देखा कि किसी ने उसके पति की हत्या कर शव को बाजरे के खेत में छिपा दिया. उसने यह बात अपने मायके वालों को बताई तो करवाचौथ के दिन सभी उसके ससुराल गोंदर गए लेकिन वहां उसका पति नहीं मिला और फिर उसके बाद सपने में दिखी जगह पर महिला का पति मृत अवस्था में मिला था.
बताया जाता है कि महिला ने उस दिन करवाचौथ का व्रत रखा था, इसलिए उसने घर में अपने से बड़ी महिलाओं को अपना करवा देना चाहा तो उन्होंने अशुभ मानते हुए लेने से मना कर दिया. इससे व्यथित होकर वह महिला करवा समेत जमीन में समा गई और उसने श्राप दिया कि यदि भविष्य में इस गांव की किसी भी सुहागिन ने करवाचौथ का व्रत रखा तो उसका सुहाग उजड़ जाएगा.
मान्यता है तब से ही इस गांव की सुहागिन स्त्रियों ने अनहोनी के डर से व्रत रखना छोड़ दिया. हालांकि कतलाहेड़ी और औंगद गांव कुछ सालों बाद गोंदर गांव से अलग हो गए। लेकिन उनके वंशज गोंदर के थे, इसलिए यहां भी उस परंपरा को माना जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 04, 2020, 12:47 IST