करनाल. हरियाणा के करनाल (Karnal) स्थित सेक्टर-3 में जय किसान आंदोलन के संगठन की मीटिंग योगेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान यादव ने कहा कि SKM ने उत्तर प्रदेश में ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ चलाया हुआ है. इस मिशन के तहत भाजपा सरकार (BJP Government) का चुनाव में विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यूपी की सरकार किसान विरोधी है. लखीमपुर के कांड पर अभी तक अपराधी पर कार्रवाई नहीं की गई और न ही मंत्री को पद से हटाया है. उन्होंने कहा कि पंजाब को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है.
आंदोलन पर बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि आंदोलन अभी शुरू हुआ है. जब भी सरकार कोई किसान विरोधी काम करेगी, उसका विरोध किया जाएगा. उन्होंने आंदोलन के स्थगित होने पर कहा कि ये आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है सिर्फ मोर्चा उठाए गए हैं. किसान की लड़ाई तो अब शुरू हुई है. MSP का सवाल हो, खाद का सवाल हो, पानी का सवाल हो. किसान का संघर्ष तो अब शुरू होगा. उन्होंने कहा कि आज यहां पर जय किसान आंदोलन के कुछ साथी मिले. उन्होंने कहा कि आगे के आंदोलन में हम क्या योगदान दे सकते हैं इस पर चर्चा की गई. ये साल खत्म होने तक हरियाणा के कोने-कोने में संगठन का जाल फैलेगा और सरकार की तरफ से किसी भी तरह से किसानों की प्रताड़ना होती है तो हम उसको उठाएंगे.
हमेशा लाइन पर लगा कर रखें
उन्होंने कहा कि आंदोलन से बहुत अधिक ऊर्जा निकली है. जब तक ये संगठन में नहीं बदलेगी तब तक ये ऊर्जा काम नहीं आएगी. इस आंदोलन में हरियाणा के किसानों ने पंजाब के संगठनों से बहुत कुछ सीखा है. पंजाब की जत्थे बंदियों ने 20-20 साल से काम किया है. उन्हें संगठन चलाने आता है. इस आंदोलन का हरियाणा के लिए सबसे बड़ा गिफ्ट यहीं हो सकता है कि हम भी पंजाब की तरह संगठन बनान सीखें, आंदोलन करना सीखें, संघर्ष करना सीखें और सरकार को हमेशा लाइन पर लगा कर रखें.
उससे पीछे नहीं जाएगी
योगेन्द्र यादव ने कहा कि MSP पर अभी हमें इस आंदोलन में पांव टिकाने की जगह मिली है. सरकार से ये हक तो किसानों ने छीन लिया. हरियाणा के लिए बहुत अच्छी बात रही है. सरकार आज की तारीख में MSP पर जो खरीद कर रही है उससे पीछे नहीं जाएगी. क्योंकि बार-बार ये चिट्ठी लिख रही थी कि हरियाणा-पंजाब ज्यादा खरीद कर रहा है. इसको स्थाई बनाने के हरियाणाभर के किसानों को संगठित होना पड़ेगा. संघर्ष करना पड़ेगा. ये जो समय मिला है ये तैयारी करने के लिए मिला है. ताकि किसानों को फसल का दाम मिल सके. हरियाणा के किसानों को इस आंदोलन में आगे अगृणी भूमिका अदा करनी पड़ेगी. 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है. इस बैठक में सभी मांगों की समीक्षा करेंगे. आगे के कार्यक्रम को बनाएंगे.
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