कुरुक्षेत्र. हरियाणा के कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) जिले का ज्योतिसर तीर्थ जहां पर आज से करीब 5159 वर्ष पहले श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमृत संदेश दिया था. यहां पर एक अक्षय वट वृक्ष स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसी वृक्ष के नीचे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान देकर पूरे संसार को जीवन जीने की कला सिखलाई थी. मान्यता है कि ये अक्षय वट वृक्ष (Banyan Tree) महाभारत काल का है.
वैसे तो देश भर से श्रद्धालु इस पेड़ के दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन गीता जयंती पर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगता है. इससे कुछ ही दूरी पर ब्रह्मसरोवर है. यहां स्नान करने की भी बड़ी मान्यता है. बता दें कि गीता जयंती महोत्सव के मौके पर हर वर्ष ब्रह्मसरोवर पर कार्यक्रम होते हैं, मेले लगते हैं.
श्री कृष्ण का अर्जुन को दिया गया गीता का संदेश श्रीमद्भागवत गीता ग्रंथ के रूप में आज पूरी दुनिया में मान्यता पा रहा है. श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता का अमृत संदेश आज भी प्रासंगिक है. श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश स्थली ज्योतिसर का ऐतिहासिक वट वृक्ष आज भी साक्षी है. उस ऐतिहासिक घटना का जिसने पूरी मानव सभ्यता में भारतीय संस्कृति की ध्वजा भाग के रूप में श्रीमद्भागवत गीता को स्थापित किया.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में श्रीमद्भागवत गीता के 5159 साल से ज्यादा समय बाद भी इतनी अधिक मान्यता और इतनी अधिक श्रद्धा क्यों हैं इस बारे में महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने बताया की गीता केवल हिंदुओं का ग्रंथ नहीं है, बल्कि पूरी मानव सभ्यता का ग्रंथ है. गीता संकट और धर्म संकट में फंसे उस आम आदमी के लिए एक पथ प्रदर्शक है जो आज के युग में खुद को असहाय पाता है. गीता वह ग्रंथ है जो आपको संदेश देता है कि आप कर्म करें फल की इच्छा ना करें.
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