पानीपत. कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. जरूरत में इंसान कई बार ऐसे जुगाड़ पैदा कर लेता है, जो नजीर बन जाते हैं. हरियाणा के पानीपत में भी कुछ ऐसा ही करिश्मा हुआ है. पानीपत की राजीव कॉलोनी इन दिनों अपने अनोखे घरों के लिए चर्चा में है. बौने लोगों यानी लंबाई में छोटे लोगों की कहानी आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन सबसे छोटे मकानों की बात करें, तो पानीपत के इन घरों के बारे में जरूर जानना चाहिए. जी हां, पानीपत में 7 गज में बने छोटे-छोटे घरों को देखकर कुछ ऐसा ही कहा जा सकता है. इन घरों को देखकर आपको हैरानी होगी, लेकिन ये सच है.
बढ़ती आबादी और घटते रिहायशी इलाकों की वजह से इंसान घरों से होते हुए फ्लैट में सिमट गया है. बढ़ती महंगाई में मकान की कीमतें भी आसमान छू रही हैं. हर इंसान का सपना होता है कि उसका अपना आशियाना हो. बड़ा बंगला नहीं तो कम से कम सिर छुपाने की छत तो अपनी हो. शायद इसी चाह में पानीपत की राजीव कॉलोनी में लोगों ने इतने छोटे घरों का निर्माण कर लिया है.
छोटे घर के नाम पर आपके जेहन में कम से कम वन बीएचके आता होगा. अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो गलत हैं. ये घर इतने छोटे हैं कि वन बीएचके की जगह में तीन बन जाएं. इनकी यही साइज इनकी पहचान बन गई है. पानीपत की राजीव कॉलोनी में करीब 600 से 700 घर हैं. जिसमें से 100 से अधिक घर ऐसे हैं जो 7 गज से लेकर 20 गज तक की जमीन पर बने हुए हैं. इतने छोटे घरों के एक छोटे से कमरे में कई परिवार तो आठ सदस्यों के साथ रहते हैं.
यहीं नहीं कुछ लोगों ने इतनी छोटी सी जगह पर भी 3 मंजिला इमारत खड़ी की है. हालांकि ये कॉलोनी अधिकृत नहीं है. यहां पर जिसको जहां जगह मिली वो अपना घर बनाता चला गया. इस इलाके में ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. रोजी-रोटी कमाने के लिए हरियाणा आये ये परिवार अपनी जरूरत के हिसाब से इस इलाके में बसते चले गए. बाद में कुछ बिल्डरों ने भी अवैध रूप से जमीन की प्लॉटिंग कर डाली.
कॉलोनी भले ही वैध ना हो लेकिन यहां नगर निगम के टैक्स, बिजली के बिल और पानी के बिल तक घरों में आते हैं. अगर रेट की बात की जाए तो यहां जमीन के रेट 6000 रुपये गज से लेकर 10 हजार रुपये गज तक चल रहा है. पानीपत औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यहां अधिकांश प्रवासी लोग रहते हैं. इन घरों में रहने वाले परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण ऊपर नीचे घर बनाकर रहते हैं.
अगर बात की जाए 7 गज की जमीन वाले घर में तो गली के बाहर निकलने वाले छज्जे को मिलाकर एक बेड की जगह बनती है. तीन मंजिल वाले घरों में एक मंजिल पर बेडरूम, एक मंजिल पर शौचालय बनाये गये हैं. इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि 7 गज जमीन में लोग कैसे रह रहे हैं.
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