ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के गांव खंडरा में उचित खेल सुविधाएं नहीं होने से यहां के युवा दुखी हैं
पानीपत. हरियाणा के पानीपत के खंडरा गांव निवासी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के एथलेटिक्स में देश के लिए इकलौता स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीता. गोल्डेन बॉय नीरज की जीत पर पूरे देश ने खुशियां मनाई. उनका गांव भी इस उत्सव में शामिल था. लेकिन खुद ओलंपियन नीरज चोपड़ा के गांव में खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं. इसकी वजह यहां सुविधाओं का अभाव है.
टोक्यो ओलंपिक में सोना जीतने वाले नीरज चोपड़ा के गांव के युवाओं में भी जोश है कि वो भी अपने देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएं. लेकिन गांव में स्टेडियम नहीं होने की समस्या खंडरा के युवाओं का सपना तोड़ रही है. गांव में स्टेडियम न होने की वजह से केवल 25 खिलाड़ी ही बचे हैं, जबकि पहले इनकी संख्या 50 थी. सुविधाओं के अभाव में इन खिलाड़ियों का खेल प्रभावित हो रहा है. गांव के खिलाड़ियों ने बताया कि जब नीरज चोपड़ा के राष्ट्रमंडल खेलों में जैवलिन थ्रो में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था तो सरकार ने स्टेडियम बनाने का एलान किया था. मगर तीन साल बीतने के बाद भी इलाके में स्टेडियम नहीं बन सका है.
वर्ष 2021 में भी खंडरा गांव में 2011 वाले ही हालात हैं. दस साल बाद भी गांव में कोई स्टेडियम नहीं है. वर्ष 2011 में जब नीरज चोपड़ा ने भाला फेंकने की शुरुआत की थी तब भी गांव में स्टेडियम नहीं था. जिसकी वजह से खिलाड़ियों को लिफ्ट लेकर असंध रोड तक आना पड़ता था, यहां से वो पैदल स्टेडियम तक जाते थे. गांव के किसी बच्चे को यदि खेल का अभ्यास करना हो तो उसे पानीपत के शिवाजी स्टेडियम आना पड़ता है.
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